एक की हालत नाजुक, रिम्स किया गया रेफर स्वाद का चस्का, जंगल से निकाल लाए जहरीला खुखड़ी, बड़कागांव की घटना
प्रशांत शर्मा/न्यूज11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: बरसात में खुखड़ी, फुटका और बसकरील के स्वाद का चस्का, लोगों के सिर पर ऐसे चढ़कर बोलने लगता है कि इनकी कीमत 800 से 1000 पार कर जाती है. लोगों की बेताबी के कारण अब यह उंचे दर पर बिक रहा है और इनका रेट कम नहीं हो पा रहा है. ऐसे में लाभ के चक्कर में तरह- तरह के खुखड़ी भी परोस दिया जा रहा है, जो खाने लायक नहीं बताया जाता है. खुखड़ी- फुटका की आसमान छूते भाव के कारण ग्रामीण क्षेत्र में लोग जंगल में निकल पड़ रहे हैं, खुद इनकी तलाश में और यही एक परिवार पर भारी पड़ गया, क्योंकि वे जहरीला खुखड़ी पहचान नहीं पाए और जंगल में उगे छत्ता वाली खुखड़ी को निकाल लाए और उसकी सब्जी बनाकर खाते ही सभी की जान पर बन आयी. मामला बड़कागांव का है और सभी बीमार एक ही परिवार के हैं. वीरेंद्र राम (42 वर्ष), दौलती देवी (55 वर्ष), बिंदिया कुमारी (54 वर्ष), रीमा कुमारी (24 वर्ष), अरविंद राम (50 वर्ष), नागिया देवी, ललिता देवी का नाम शामिल हैं. परिजनों ने बताया कि सोमवारी पूजा को लेकर बुढ़वा महादेव पहाड़ पूजा करने के लिए गए थे. द्वारपाल के पास सफेद एवं पीला कलर का खुखड़ी मिला. उसी को तोड़कर घर में लाया गया था. रात में सब्जी खाने के बाद आधा घंटा बाद परिवार के सदस्य बीमार पड़ने होने लगे.
परिजनो ने बताया कि खुखड़ी खाने के बाद अचानक लोग कांपने और बेहोश होने लगे. घटना रात्रि 11.00 बजे रात्रि की है. सात लोगों का इलाज हजारीबाग स्थित शेख भिखारी मेकडकल कॉलेज अस्पताल में किया जा रहा है. जबकि एक को गंभीर हालत के कारण रांची की मेडिका मे रेफर कर दिया गया. घायलों में कपूर देवी भुक्तभोगी कपूरवा देवी ने बताया कि उसकी छोटी बेटी और बड़ी गोतनी महुदी पहाड़ तरफ गई थी, जहां से वे खूंखड़ी चुनकर लौटी. दोनों के घरों में रात में खुखड़ी का सब्जी बना. जो बच्चे खुखड़ी पसंद नहीं करते थे, उनके लिए दाल भात बनाया. परिवार के लोग रात का खाना खाकर सोने की तैयारी कर रहे थे.
इस बीच पहले बड़ी सास दौलती देवी की तबीयत बिगड़ने लगी और वह छटपटाने लगी. फिर अरविंद राम बेहोश होने लगे. यह देखकर बिन्दिया कुमारी, रीमा कुमारी भी नर्वस हो गई और उल्टी करने लगी. कपूरवा देवी जो पति पत्नी बड़कागांव चौक पर फल का ठेला लगाते हैं, वो सबसे बाद में खाना खाई थी. उसने हिम्मत करके अपने आप को संभाला और परिवार के दूसरे सदस्यों को भी संभालने की कोशिश करती रही. सबको रात में बड़कागांव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया.
फिर बिना देरी किए वहां से रात में ही हजारीबाग आ गए. सभी को भर्ती कर इलाज शुरू किया गया. अरविंद राम की नाजुक स्थिति देखते हुए परिजन उसे आरोग्यम हॉस्पिटल ले गए पर उनकी हालत में सुधार न होता देख उन्हें रेफर कर दिया गया. सबको संभालते- संभालते खुद भी लाचार हो गई कपूरवा परिवार के सदस्य जब एक एक उल्टी करते हुए बेहोशी की हालत में पहुंचने लगे.
ऐसे में कपूरवा देवी ने बारी बारी से सबको संभालने का प्रयास किया और उन सबको हजारीबाग तक लाने की व्यवस्था की. हजारीबाग हस्पताल में सबको भर्ती कराने के बाद एकाएक उसे भी चक्कर और बेहोशी छाने लगा तब उसे भी सदर अस्पताल में भर्ती कर इलाज शुरू किया गया.