न्यूज 11 भारत
सिमडेगा/डेस्क: राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) के आदेश पर सभी नदी घाटों से 10 जुन के बाद बालु का उठाव बंद दिया जाएगा. लेकिन सिमडेगा के बालू माफिया एनजीटी के रोक लगाने के पहले सिमडेगा की नदियों का चीरहरण कर अधिक से अधिक बालू का स्टॉक अवैध तरीके से करने में जुट गए हैं. दूसरी तरफ खनन विभाग बालू माफियाओं के खिलाफ करवाई करने में धृतराष्ट्र बना हुआ है.
दरअसल आज सिमडेगा के अलग अलग हिस्सों से कुछ ऐसी तस्वीरें सामने आई है. जिसे देख सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि बालू माफिया बेखौफ बालू की चोरी करने में जुटे हैं. सिमडेगा के बोलबा से तीन ट्रैक्टर अवैध बालू ढोते सीओ ने पकड़े, लेकिन तुरंत बालू माफियाओं के लोग सीओ ऑफिस का घेराव करने पहुंच गए और सीओ पर बालू लदे ट्रैक्टर छोड़ने का दबाव बनाने लगे. इसके अलावा मुफस्सिल थाना क्षेत्र से अवैध बालू उठाव करते खुद खनन विभाग ने टैक्टर पकड़े और पुलिस के सुपुर्द कर दिया. लेकिन सूत्र बताते हैं कि खनन विभाग बालू चोरी करने वालों के खिलाफ कोई लिखित शिकायत पुलिस को नहीं की. जिसे पुलिस भी बालू माफियाओं पर करवाई करने को लेकर उहापोह में है. अब जब तक लिखित शिकायत नहीं मिलेगी. पुलिस कैसे करवाई करेगी.
ब्राउन गोल्ड कहे जाने वाले बालू चोरी का मामला यही नहीं रुका है. अब बालू चोरी की तीसरी पर्यटन स्थल के रूप में चयनित शंख नदी शंख घाट से सामने आई है. जहां दिन दहाड़े कई ट्रैक्टर बेखौफ बालू का अवैध तरीके से उठाव करते नजर आए. जबकि पर्यटन स्थल चयनित होने के बाद यहां से बालू उठाव पर सरकार द्वारा रोक लगाया गया था.
यही नहीं कांग्रेस के वरिष्ठ कार्यकर्ता और शंख नदी छठ सेवा संस्थान के संस्थापक प्रदीप केशरी ने बताया कि गुलजार गली से हर दिन ये बालू माफिया ब्रह्म मुहूर्त से हीं अपने ट्रैक्टर के जरिए धड़धड़ बालू का परिचालन करते हैं. जिससे गुलज़ार गली वासियों की नींद भी हराम होती है. हर दिन सुबह पौ फटते हीं जिसे हम ब्रह्म मुहूर्त कहते हैं. इस ब्रह्म मुहूर्त के बारे में हमारे बुजुर्गों ने कहा था कि ब्रह्म मुहूर्त में उठने से सुख शांति और समृद्धि आती है. लेकिन बचपन में सुनी आज याद आती है तब लगता है कि ब्रह्म मुहूर्त का फायदा हम उठा सके या नहीं नदियों से बालु उठाव करने वाले जरूर उठा रहे हैं. अब ये ब्रह्म मुहूर्त से हीं अपना फायदा कर नदियों के आस पास वालों की नीद में खलल अपनी ट्रैक्टर की खडखडाहट से जरूर डालते हैं.
आखिर किसने बालू माफियाओं को सरकार के राजस्व को इस तरह नुकसान पंहुचाने की छुट दे रखी है. कई सवाल हैं जो कई तरह के शंका भी पैदा कर रहे हैं. अब दाल में कुछ काला है या पुरी दाल काली है. ये तो खैर जांच का विषय है. अब सवाल ये भी है कि आखिर इन बालू माफियाओं पर करवाई करेगा कौन?