झारखंडPosted at: जून 26, 2025 चैनपुर में रथ मेला की तैयारी जोरों पर कल टिंगटांगर में लगेगा मेला
टिंगटांगर रथ मेला का इतिहास 200 वर्ष पुराना

राजन पाण्डेय/न्यूज 11 भारत
चैनपुर/डेस्क: चैनपुर प्रखंड के टिंगटांगर गांव में प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी रथ मेला को लेकर तैयारी जोरों पर है. समिति के सदस्य जोर शोर से तैयारी में जुटे हुए हैं. रथ बनाने को अभियंती में रूप दिया जा रहा है शुक्रवार को रथ यात्रा निकाली जाएगी, जिसका इंतजार लोगों को बेसब्री से है. चैनपुर के टिंगटांगर रथ मेला का इतिहास 200 वर्ष पुराना है. गांव के बुजुर्ग मदन सिंह ने बताया कि उनके परदादा के परदादा नन्हू दुखरन सिंह ने आज से 200 वर्ष पहले रथ मेला की शुरुआत की थी. तब से लेकर आज तक यह मेला निरंतर आयोजित किया जा रहा है. मदन सिंह ने बताया कि पहले टिंगटांगर गांव का नाम गड़तोली था, लेकिन बाद में गांव का नाम टिंगटांगर पड़ गया इसके बाद से टिंगटांगर रथ में लेकर नाम से जाना जाता है. आज भी यह मेला गांव की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है. ग्रामीणों ने बताया कि रथ यात्रा की तैयारी जोरों पर है. रथ को आकर्षक तरीके से सजाया जा रहा है और पूजा-पाठ की तैयारियां भी पूरी कर ली गई हैं. शुक्रवार को रथ यात्रा निकाली जाएगी, जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल होंगे. इस रथ यात्रा में महाप्रभु जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ मौसी बाड़ी जाएंगे. रथ यात्रा के दौरान गाजे-बाजे के साथ धूमधाम के साथ निकाली जाएगी. यह रथ यात्रा गांव की एकता और सौहार्द का प्रतीक है. टिंगटांगर रथ मेला का सांस्कृतिक महत्व बहुत अधिक है. यह मेला गांव की सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने और आगे बढ़ाने का प्रयास किया जाता है. इस मेले के माध्यम से गांव की एकता और सौहार्द को बढ़ावा मिलता है.