अमित सिंह, न्यूज11 भारत
रांचीः हजारीबाग जिले के एनटीपीसी की पकरी बरवाडीह कोल परियोजना में हुए ट्रांसपोटिंग घोटाले में नया मोड आ गया है. अब इस ट्रांसपोटिंग घोटाले में कोयला चोरी की भी जांच होगी. अफसरों व ट्रांसपोर्टरों ने मिलकर कागज पर ही लाखों टन कोयले की ढुलाई दिखाकर किराए का पैसा हड़पा है. वहीं दूसरी तरफ लाखों टन कोयले की ट्रांसपोटिंग दिखाने के साथ सिंडिकेट ने करोड़ों का कोयला चोरी कर खुले बाजार में बेचने का काम किया है. चोरी कर कोयला बेचने से संबंधित कई साक्ष्य मिले है. जिसके बाद चीफ विजिलेंस कमिशन रेस हो गया है. कमिशन ने कोयला चोरी मामले की जांच का जिम्मा कोल इंडिया के सीवीओ और रांची स्थित एक केंद्रीय पीएसयू के सीवीओ को सौंपा है. इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पीएमओ के आदेश पर हुई जांच के दौरान ही किराया मद में गड़बड़ी के साथ-साथ कोयला चोरी कर बाजार में बेचने के भी साक्ष्य मिले है. जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि एनटीपीसी में कोयला चोरी का खेल लंबे समय से चल रहा है. कंपनी के अफसर खुद को बचाने के लिए थानों में लिखित शिकायत करते रहे है.
जांच टीम की रिपोर्ट के बाद ही कमिशन ने सीवीओ को एक महीने में कार्रवाई का निर्देश दिया है. साथ ही एनटीपीसी के अफसरों पर कार्रवाई कर कार्यालय को सूचित करने को कहा है. लंबे समय से चले आ रहे इस हेराफेरी को कमिशन ने गंभीरता से लिया है. एक तरफ सीवीओ को ट्रांसपोटिंग घोटाला मामले में कार्रवाई का आदेश दिया. वहीं दूसरी तरफ झारखंड के दो पब्लिक सेक्टर में पदस्थापित सीवीओ को कोयला चोरी की रिपोर्टिंग का टास्क सौंपा. प्रधानमंत्री कार्यालय ने एनटीपीसी में कोयले के नाम पर हो रही हेराफेरी को गंभीरता से लिया है. मिली जानकारी के अनुसार सीवीओ की जांच में अगर कोयला चोरी का दायरा व्यापक मिलता है, तब इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी जाएगी. जिससे पकरी बरवाडीह कोल परियोजना में कितने करोड़ के कोयली की चोरी हुई है, इसका पता लग सकेगा. कोयला चोरी के इस खेल में कौन-कौन शामिल है, इस पर भी खुलासा विस्तृत जांच के बाद ही हो सकेगा. अभी कोयला चोरी में प्रारंभिक जांच की जिम्मेवारी सीवीओ की टीम को सौंपी गई है.
एनटीपीसी के अफसरों ने भी माना परियोजना में होती है कोयला की चोरी
कोयले की चोरी होने से हर वर्ष एनटीपीसी को करोड़ों रुपए का नुकसान उठाना पड़ता है. स्थानीय पुलिस में शिकायत दर्ज कराने के बाद भी कोयले की चोरी नहीं रुक रही है. प्रशासन के साथ भी कई बार उच्चस्तरीय बैठक हो चुकी है. एनटीपीसी के आला अफसर खुद ही बताते है कि परियोजना में कोयले की चोरी हो रही है. एनटीपीसी को जितने कोयले की आपूर्ति होती है, उसमें से दो प्रतिशत कोयले की चोरी रास्ते में ही जो जाती है. इसकी रिपोर्ट पहले भी अफसर कर चुके है. जेआइएमएस प्रणाली के तहत कोयला के ई-परिवहन चालान में अनियमितता पाये जाने की बात सामने आई है. इसमें कई ऐसे वाहनों के नंबर भी मिले है, जो टू-थ्री व्हीलर व कार के थे. इसके जरिये मेसर्स एनटीपीसी परियोजना से कोयला प्राप्त कर डीओ होल्डर, ट्रांसपोर्टर व लिफ्टर द्वारा ढुलाई का काम किया जाता था, जो खनन निदेशक के अनुसार स्पष्ट तौर पर अवैध था.
21 परियोजनाओं को होती है पकरी कोल माइंस से आपूर्ति
एनटीपीसी के पकरी बरवाडीह कोल माइन्स के चिरुड़ीह कोयला खदान से अवैध रूप से लोड कोयला चोरी कर बेचने का मामला सामने आ चुका है. इस मामले में आधा दर्जन लोगों की गिरफ्तारी भी हुई थी. पूछताछ में पता चला कि कोयला चोरी का यह सिलसिला लंबे समय से जारी है. यानी एनटीपीसी के अफसर, ट्रांसपोर्टर व अन्य ने मिलकर सरकारी कोष को करोड़ों रुपए का चुना लगाने का काम किया है. कोल परियोजना में अवैध ढुलाई के नाम पर करोड़ों का घोटाला किया, वहीं योजनावद्ध तरीके से कोयला बेच कर भी करोड़ों के अवैध कमाई का खेल बदस्तूर जारी है. अधिकारियों की मिलीभगत से आए दिन एनटीपीसी के कोयला खदान से कोयला लोड करा कर रेलवे साइडिग ना ले जाकर खुले बाजार में उस कोयले को बेचा जाता है. 21 परियोजनाओं को पकरी बरवाडीह परियोजना से उच्च स्तर के कोयले की सप्लाई की जा रही है.
एनटीपीसी ने बनाया कोयला आपूर्ति का रिकॉर्ड, 135 दिनों में भेजा 1000 कोयला रैक
एनटीपीसी पकरी बरवाडीह कोयला खनन परियोजना (पीबीसीएमपी) ने 27 मार्च 2022 को एनटीपीसी के विभिन्न बिजली संयंत्रों को 9000 वें कोयला रैक भेज कर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया. परियोजना ने इसके साथ ही 34 मिलियन मेट्रिक टन एनटीपीसी के विभिन्न संयंत्रों को कोयला अभी तक भेज चुका है. इसके साथ ही परियोजना ने मात्र 135 दिनों के रिकॉर्ड समय में 1000 कोयला रैक भेज कर एक और मील का पत्थर हासिल किया.
पूर्व की जांच में ट्रांसपोटिंग घोटाले का चल चुका है पता
हजारीबाग जिले के एनटीपीसी की पंकरी बरवाडीह कोल परियोजना में लाखों टन कोयला दो पहियां वाहनों से ढोने का मामला सामने आया है. जिसमें ट्रांसपोर्टरों और अफसरों ने मिलकर कागज पर ही लाखों टन कोयले की ढुलाई दिखाकर किराए का पैसा हड़प लिया. जब इसकी जांच हुई, तब पुरा हेराफेरी का यह मामला प्रकाश में आया. अब इस ममाले में कार्रवाई होगी. केंद्रीय विजिलेंस ऑफिसर को एक महीने में कार्रवाई का निर्देश दिया है. एनटीपीसी के अफसरों को कार्रवाई कर विजिलेंस कार्यालय को सूचित करना है. 2017 में जब डीएमओ नीतेश गुप्ता ने बानादाग और कटकमसांडी साइडिंग के लिए ढुलाई में फर्जी गाड़ियों के चालान पकड़े थे, तब ट्रांसपोर्टिंग चार्ज प्रति टन 500 रुपए था. एक ट्रक से करीब 30 टन कोयेल की ढुलाई होती थी. यह गड़बड़झाला आज भी जारी है.
फर्जी चालान से लाखों टन कोयले की कागजी ढुलाई
ऑटो और कार के नंबर चालान पर मिले, जिसका ऑटो नंबर जेएच 05 एसी 1320 है. इससे चलान नंबर 112 और कार नंबर जेएच 05 ए 2828 से चलान नंबर 250 के तहत कोयले की ढुलाई की गई.
मोटरसाइकिल, जिससे ढुलाई हुई: जेएच 02 एक्यू 1170, जेएच 05ए 0689, जेएच 05ए 2618 , जेएच 05ए 2619, जे एच 05 एसी 9791, जेएच-05ए 2622, जेएच 05 एसी 1359, जेएच 05 एसी 1509, जेएच02 एई 9031 और जेएच 02एफ 0526