जोवाला प्रसाद को बेची गयी जमीन, जिनका रांची में है पेट्रोल पंप
मरे हुए व्यक्ति के नाम पर खोली गयी नयी जमाबंदी
खेल में अंचल के तत्कालीन हल्का कर्मचारी रवींद्र प्रसाद, दलाल जीतेंद्र शर्मा और अन्य शामिल
भूत पूजा की जमीन पहनई जमीन है, जिसकी जमाबंदी खोलने का अधिकार ही नहीं है सीओ को
इस जमीन का उपयोग समाज के जनजातीय समाज के पूर्वजों की पूजा के लिए होती है
इस जमीन पर होनेवाली उपज का पहला हक संबंधित गांव के पाहन का होता है
जनजातीयों के सभी सामाजिक अनुष्ठान यहां पाहन द्वारा होते हैं संचालित
भूमि सुधार उप समाहर्ता से पहले लगान निर्धारण का परमिशन लेना जरूरी
लगान निर्धारण का नंबर और अन्य प्रक्रियाओं के लिए नहीं खोली गयी पंजी
सीओ ने अपने डोंगल से खोल दिया जमाबंदी
न्यूज11 भारत
रांची: झारखंड में भुंईहरी, सीएनटी एक्ट की जमीन को बेचने, खरीदने और जमाबंदी खोलने का काम धड़ल्ले से जारी है. इसके लिए संबंधित अंचल अधिकारी ही सारा खेल कर रहे हैं. अंचल अमीन की रिपोर्ट के आधार पर अंचल अघिकारी अपने डोंगल का इस्तेमाल कर जमाबंदी खोल रहे हैं. न्यूज 11 भारत ने अब तक भुंईहरी, सीएनटी एक्ट की जमीन बेचने की कई खबरें अपने दर्शकों तक पहुंचायी है. इसी कड़ी में आज एक सनसनीखेज मामले का हम खुलासा कर रहे हैं. यानी नामकुम अंचल के सीओ विनोद प्रजापति ने अपने डोंगल (डिजिटल सिग्नेचर) के माध्यम से भूत पूजा (पहनई ) जमीन की डीलिंग कर दी. इसके लिए उन्हें दो और लोगों ने सहयोग किया. इसमें ब्रोकर जीतेंद्र शर्मा और अंचल उप निरीक्षक रहे रवींद्र प्रसाद शामिल हैं. इस तिकड़ी ने ओबरिया में मनुवा पाहन वल्द कान्हू पाहन के खेवट आठ की पहनई जमीनके 1.64 एकड़ जमीन का पार्ट बेच दिया. इसके लिए एक मोटी रकम ली गयी. पूर्व में भी हल्का कर्मचारी रवींद्र प्रसाद ने दो बार इस जमीन की जमाबंदी खोलने की कोशिश की थी. पर सफलता हाथ नहीं लगी. नामकुम अंचल से निलंबित होने के ठीक एक माह पहले यानी स्थापना दिवस की छुट्टी के दिन रात में जमाबंदी खोली गयी. इसमें यह लिख दिया गया कि जोवाला प्रसाद जो जमींदार थे ने हलफनामे के जरिये खाता 77 का इस जमीन पर हक जताया है. इसकी रिपोर्ट अंचल अमीन और अंचल उप निरीक्षक ने दी है, जिस पर अंचल निरीक्षक की भी सहमति थी. इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करने की आवश्यकता है जो आदिवासियों की कोई भी जमीन अपने हिसाब से बिकवा दे रहे हैं.
क्या होती है भूत पूजा की पहनई जमीन
भूत पूजा का अर्थ है जनजातीय समुदाय की वैसी जमीन जिसमें उनके पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए संबंधित गांव के पाहन पूजा अर्चना करते हैं. इतना ही नहीं इस जमीन पर जनजातीय समुदाय के वैवाहिक रस्मों की अदायगी भी होती है. चुंकि इस जमीन के सामाजिक मान्यता के अनुसार पाहन का कब्जा रहता है, इसलिए इसे पहनई जमीन कहा जाता है. जिस खेवट के भूत पहनई जमीन को सीओ खेवट में लिखा गया है कि खाता 77 की है. इसकी सारी उपज पर पाहन का हक होता है. इस जमीन की किसी प्रकार की खरीद बिक्री नहीं हो सकती है. बिहार लैंड ट्रांसफर एक्ट के बकास्त मालिक स्तर की जमीन से संबंधित धारा, 4, 5 अथवा 6 पर उसे बेचने के पहले उसकी इजाजत भूमि सुधार उप समाहर्ता से लेना जरूरी है. पर पूरे प्रकरण में नामकुम सीओ ने ऐसी कोई अनुमति एलआरडीसी से नहीं ली गयी. हल्का कर्मचारी ने पंजी-2 का पेज, खाता-खेसरा संख्या तक नहीं खोला. इस जमीन की जमाबंदी खोलने का अधिकार भी अंचल अधिकारी को नहीं है. बर्खास्त मालिक जमीन के लिए पहले एलआरडीसी से अनुमति लेनी पड़ती है. एलआरडीसी अनुमति देने के पहले इस परअपनी रिपोर्ट सौंपते हैं.
जोवाला प्रसाद के नाम से खोली गयी जमाबंदी
जोवाला प्रासद के नाम से जमाबंदी खोल कर जमीन का मालिकाना हक ही बदल दिया गया. सूत्र बताते हैं कि जोवाला प्रसाद का निधन 1955-56 में हो गया था. फिलहाल इनके वंशजो के द्वारा रांची विश्वविद्यालय के निकट एक पेट्रोल पंप है. जोवाला प्रसाद पुराने कारोबारी थे. अब इनके परिवार वालों में से एक कृष्णा प्रसाद इनका कारोबार देख रहे हैं.