न्यूज11 भारत,
सिमडेगा में मानवता और ममता को शर्मसार करने वाला एक मामला सामने आया है. जहां खेत से एक नवजात बच्ची का शव गत्ते के डब्बे में बंद बरामद किया गया. दरअसल यह मामला जिले के कोलेबिरा थाना क्षेत्र के लचड़ागढ़ गांव का है जानकारी के अनुसार, सोमवार की देर शाम इलाके में सनसनी फैल गई जब सड़क किनारे खेत में मिट्टी में आधी दबी हुई एक गत्ते के डब्बे में महज एक दिन के नवजात बच्ची का शव मिला. खेत में कुछ गांव वालों ने जब एक बंद गत्ते का बॉक्स मिट्टी में आधा दबा देखा और उसके आसपास कुत्तों को मंडराते हुए देखा तो उन्हें कुछ शक हुआ. गांव वालों ने तुरंत इसकी सूचना कोलेबिरा पुलिस को दी. सूचना मिलते ही पुलिस घटनास्थल पंहुची. पुलिस ने जब गत्ते के डिब्बे को देखा तो भौचक रह गई. यह खबर पूरे क्षेत्र में आग की तरह फैल गई. पुलिस ने बच्ची के शव को कब्जे में लेते हुए आसपास छानबीन शुरू की. पुलिस बच्ची के शव को कोलेबिरा थाना ले आई. पुलिस के मुताबिक, बच्चे का शव जिस बॉक्स में बंद था उसपर जियो मार्ट का टैग लगा हुआ है. एक बॉक्स के भीतर एक छोटा बॉक्स और है. जिसके अंदर कपड़े में लपेटकर नवजात का शव रखा गया है. अब पुलिस इस बॉक्स में दर्ज कंपनी के बैच नंबर के आधार पर आगे की तफ्तीश कर रही है. एसडीपीओ डेविड ए डोडराय ने कहा कि इस घटना में शामिल गुनहगारों को पुलिस नहीं छोड़ेगी.
बता दें, ये इस तरह कि पहली घटना नहीं है. इसी कोलेबिरा थाना क्षेत्र के कोंबाकेरा में इसी वर्ष तीन फरवरी की सुबह इसी तरह एक नवजात बच्ची का शव गत्ते के पुलिस में डाल कर फेंका हुआ मिला था. उस घटना के ठीक दस माह बाद उसी क्षेत्र से फिर एक बार बॉक्स में बंद नवजात का शव मिलना कई सवाल भी खड़े कर रहा है. इस घटना ने एक बार फिर से समाज के सामने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. जिस बच्ची को दुनिया देखना था. आखिर उसे क्यों फेंक दिया गया? आखिर इसे जन्म देने वाली मां की क्या मजबूरी रही कि इस बच्ची को फेंक दिया. या बच्ची मृत पैदा हुई थी. या समाज के डर से जीवित बच्ची को फेंक कर मार दिया गया. अगर बच्ची मृत ही पैदा हुई थी तो इसे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार करना था. यदि समाज के डर से इसे फेंककर मार दिया गया तो यह एक बड़ा सवालिया निशान समाज पर है कि आखिर ऐसा क्यों. आखिर क्या कसूर था इस बच्ची का जिसे न तो मां की गोद मिली न जिन्दगी. ये देखकर तो यही ख्याल आता है भगवान है कहां रे तू...
उस क्षेत्र से बार-बार इस तरह नवजात का शव मिलना मानवता पर भी बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा कर रहा है. सोशल वर्कर सह नेशनल कौंसिल ऑफ वुमेन लिडर्स की सदस्य अगुस्टीना सोरेंग से मंगलवार को जब इस संदर्भ में बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि मानवता शब्द जिस कारणों से बना है वह कारण यहां समाप्त हो गई है. उन्होंने कहा इस तरह नवजात का शव मिलना अनचाहे बच्चे के जन्म की तरफ ईशारा कर रहा है. उन्होंने कहा कि हो सकता है ये समाज से छिपा प्रेम संबध का असर हो या फिर ऐसी दुष्कर्म का जो समाज के डर से छिपा दिया गया हो. जिसका नतीजा खेत से नवजात का शव मिलना है. उन्होंने कहा ये पुरूष प्रधानता का नतीजा है कि इस तरह स्त्री वर्ग समाज और अपनों के दबाव में अपने जन्मे बच्चे को छाती से लगाकर दूध पिलाने की जगह एक बॉक्स में बंद कर फेंक दे रही हैं बॉक्स में नवजात अपनी जननी से दूर होकर दम तोड़ दे रही है. उन्होंने कहा ये ईश्वर की उस रचना का भी अपमान है जिसे ईश्वर ने संसार में जीवन जीने के लिए भेजा. लेकिन संसार में समाज का डर और भय भेड़िया बनकर उस नवजात को आंख खोलने से पहले सदा के लिए सुला दिया.
अगुस्टीना सोरेंग ने कहा कि इन सब के लिए समाज के साथ साथ जनप्रतिनिधि और प्रशासन भी दोषीदार है जो स्त्री शक्ति के समानता की बात तो करती है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. जिसका नतीजा खेत और सड़क किनारे नवजात का फेंका शव मिलना है. उन्होंने कहा कि स्त्री शक्ति को मजबूत करने और पुरूष वर्ग के समानांतर जमीनी स्तर पर खड़े करने के लिए अभी भी बड़े पैमाने पर कार्य करने की जरूरत है. इसके लिए प्रशासन, जनप्रतिनिधि और समाज के हर अगुवा को मिल कर ईमानदारी के साथ सतत प्रयास करने होंगें तभी इस तरह नवजात खेतों और सडक किनारे नहीं पाए जाएगें. अगुस्टीना सोरेंग ने जिला प्रशासन से मांग की है कि जब तक समाज जागरूक होकर स्त्री वर्ग को मजबूत ना बनाए तब तक एक पालनघर की व्यवस्था करें. जहां इस तरह के अनचाहे बच्चों को पालनहार मिल सकें.