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रांची/डेस्क: भगवान जगन्नाथ की नगरी पुरी में बुधवार को पूरे श्रद्धा और भक्ति के साथ स्नान पूर्णिमा मनाई गई. इस पावन अवसर पर भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा का 108 घड़ों औषधीय जल से भव्य स्नान कराया गया. इसके साथ ही भगवान जगन्नाथ सालाना अनासर काल में प्रवेश कर गए हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस स्नान के बाद भगवान 15 दिनों के लिए बीमार हो जाते है और इस दौरान भक्तों को दर्शन नहीं देते.
15 दिनों के लिए एकांतवास में रहते है भगवान
पुरी धाम और रांची के धुर्वा स्थित जगन्नाथ मंदिर समेत देशभर के मंदिरों में स्नान यात्रा के बाद भगवान जगन्नाथ 15 दिनों के एकांतवास में चले जाते हैं. इस अवधि में मंदिर के पट बंद कर दिए जाते है और किसी भी भक्त को भगवान के दर्शन नहीं होते. माना जाता है कि भगवान की तबीयत खराब हो जाती है और उनकी सेवा गुप्त रूप से की जाती हैं.
कब होंगे भगवान के दर्शन?
भगवान के स्वस्थ होने के बाद 26 जून को नेत्रदान महोत्सव का आयोजन होगा, जिसके साथ ही भगवान के पट दोबारा खुलेंगे और भक्तों को दर्शन मिलेंगे. इसके अगले दिन 27 जून को पूरे हर्षोल्लास के साथ रथ यात्रा निकली जाएगी, जिसमें लाखों श्रद्धालु शामिल होंगे. 6 जुलाई को धुरती यात्रा निकाली जाएगी, जिसमें भगवान पुन: अपने मंदिर लौटेंगे.
क्यों बीमार पड़ते है भगवान?
भगवान जगन्नाथ के बीमार पड़ने की परंपरा के पीछे एक बेहद भावुक और प्रेरणादायक कथा जुड़ी हैं. कहा जाता है कि माधव दास नमक एक महान भक्त रहते थे, जो हमेशा भगवान जगन्नाथ की सेवा में लीन रहते थे. एक बार माधव दास गंभीर रूप से बीमार हो गए लेकिन उन्होंने इलाज कराने से मना कर दिया. उनका विश्वास था कि भगवान ही उनका ध्यान रखेंगे.
जब माधव दास की हालात बिगड़ने लगी तब स्वयं भगवान जगन्नाथ उनकी सेवा करने पहुंचे. माधव दास जब ठीक हुए तब उन्होंने भगवान से पूछा "प्रभु! आप मेरी सेवा क्यों कर रहे थे?" तब भगवान ने मुस्कुराकर उत्तर दिया "मैं अपने भक्तों का साथ कभी नहीं छोड़ता लेकिन तुम्हारे कर्मों का फल तो तुम्हें भोगना ही पड़ेगा. तुम्हारी बीमारी के जो 15 दिन बचे हैं, उन्हें मैं अपने ऊपर ले लेता हूं."
यह घटना ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन हुई थी. तभी से यह परंपरा चल रही है कि हर साल ज्येष्ठ पूर्णिमा के बाद भगवान 15 दिनों के लिए बीमार पड़ जाते है और अनासर काल का पालन करते हैं. इसके बाद भगवान के पुन: स्वस्थ होने का जश्न नेत्रोत्सव और रथ यात्रा के रूप में मनाया जाता हैं.