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खूंटी लोकसभा सीट इस बार बनेगी रोमांचक चुनावी रणक्षेत्र

लोकसभा के चुनावी दंगल अप्रत्याशित हो सकता है जनता का निर्णय
खूंटी लोकसभा सीट इस बार बनेगी रोमांचक चुनावी रणक्षेत्र
आशीष शास्त्री/न्यूज11 भारत

सिमडेगा/डेस्क: लोकसभा चुनाव के तरीकों की घोषणा हो गई है. खूंटी लोकसभा सीट में 13 मई को मतदान होना है. खूंटी लोकसभा सीट का इतिहास शुरू से काफी रोमांचक रहा है, और इस बार इस सीट के रोमांस में और बढ़ोतरी होने की उम्मीद जताई जा रही है. खूंटी लोकसभा का यह सीट इस लोकसभा चुनाव के दौरान काफी रोमांचक चुनावी रण क्षेत्र के रूप में तब्दील हो सकता है. भाजपा ने इस खूंटी लोकसभा सीट के सिटिंग संसद सह केंद्रीय मंत्री के पद पर रहे अर्जुन मुंडा को फिर से दूसरी बार चुनाव मैदान में उतारा गया है. इंडिया गठबंधन और अन्य स्थानीय राजनीति पार्टियों की तरफ से अभी तक इस लोकसभा सीट की लिए उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है. लेकिन पिछले चुनाव को देखते हुए यह माना जा रहा है कि खूंटी लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार ही अर्जुन मुंडा के सामने होंगे.

 

बता दें कि खूंटी लोकसभा क्षेत्र में छह विधानसभा सीटें है. इनमें से चार सीटें इंडिया गठबंधन के पास है. और दो सीट भाजपा के पास है. पिछली बार की तरह इस बार भी खूंटी में अर्जुन मुंडा को मजबूत चुनौती मिलने के कयास लगाये जा रहे हैं. 2019 में अर्जुन मुंडा और कांग्रेस के उम्मीदवार कालीचरण मुंडा के बीच जैसी चुनावी लड़ाई दिखी थी, उसे 2024 के चुनावी समीकरण में निश्चित तौर पर भाजपा के लिए चिंता का विषय कहा जा सकता है. भाजपा के इस अभेद्य दुर्ग को 2004 में कांग्रेस की महिला उम्मीदवार सुशीला केरकेट्टा  ने भेदा था. उन्होंने पांच बार से लगातार जीत रहे कड़िया मुंडा को हराया था और इस सीट पर कांग्रेस का झंडा लहराया था.

 

उल्लेखनीय है कि खूंटी जिला अक्सर सुर्खियों में रहता है. संयुक्त बिहार में इसे पहला अनुमंडल बनाया गया था. मुंडा बहुल इस जिला में बिरसा मुंडा ने अंग्रेजों के विरुद्ध उलगुलान किया था. वर्ष 1890 से लगभग 10 वर्ष तक चले बिरसा आंदोलन का प्रमुख केंद्र खूंटी ही था. कोयल-कारो बांध का विरोध भी इसी इलाके में हुआ था. झारखंड गठन के बाद भी इलाके में जनआंदोलन होते रहे. मित्तल कंपनी के स्टील प्लांट और सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन के खिलाफ हुए आंदोलनों के लिए भी जाना जाता है. हॉकी के धुरंधर मारांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा की जनस्थली भी खूंटी ही रही है. 1980 में हुए लोकसभा चुनाव में झारखंड पार्टी से मिरल एनेम होरो ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी. उस वक्त कड़िया मुंडा भारतीय लोकदल से चुनाव लड़े थे, लेकिन 25.7 फीसदी वोट ही उन्हें मिल पाया था.

 

1989 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की टिकट पर कड़िया मुंडा विजयी हुए. इसके बाद लगातार पांच लोकसभा चुनाव में यह सीट भाजपा के कब्जे में रही कड़िया मुंडा इस सीट से सांसद बनते रहे. 1989 में कड़िया मुंडा को कुल 32.5 प्रतिशत वोट मिले थे, जबकि झारखंड दल को 31.30 प्रतिशत, कांग्रेस को 27.7 प्रतिशत वोट मिले थे.

 

1996 में हुए लोकसभा चुनाव में कड़िया मुंडा ने फिर जीत की हैट्रिक लगाई थी. उन्हें 32.8 प्रतिशत वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस की सुशीला केरकेट्टा को 25.7 प्रतिशत वोट मिल सका था. वहीं, झारखंड पार्टी को 14.3 प्रतिशत वोट मिले थे. इसके बाद 1998 में भी खूंटी लोकसभा सीट पर भाजपा का कब्जा रहा और कड़िया मुंडा ने जीत दर्ज की. 1998 के लोकसभा चुनाव में कड़िया मुंडा को कुल 42.1 प्रतिशत वोट मिले थे. जबकि कांग्रेस की सुशीला केरकेट्टा को 33.7 प्रतिशत और झारखंड मुक्ति मोर्चा को 13.3 प्रतिशत वोट मिले थे.

1999 में कड़िया मुंडा ने कुल 45.5 प्रतिशत वोट के साथ एक बार फिर से खूंटी लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की थी. जबकि कांग्रेस की सुशीला केरकेट्टा के खाते में 39.8 प्रतिशत वोट आया था.

 

झारखंड बंटवारे से पहले हुए लगातार पांच चुनावों में इस सीट से भाजपा जीतती रही थी।. लेकिन झारखंड अलग होने के बाद 2004 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में यहां से कांग्रेस की महिला उम्मीदवार ने जीत दर्ज कर भाजपा के अभेद्य दुर्ग को भेद दिया. 2004 में कांग्रेस की सुशीला केरकेट्टा विजयी हुईं थीं. कांग्रेस को कुल 44.5 प्रतिशत वोट मिले थे, जबकि भाजपा को 34 प्रतिशत वोट मिले थे. लेकिन 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने एक बार फिर से खूंटी लोकसभा सीट पर कब्जा कर लिया था. कड़िया मुंडा को 41.2 प्रतिशत वोट मिले. कांग्रेस ने 2009 के चुनाव में अपने उम्मीदवार को भी बदला था.

 

सुशीला केरकट्टा की जगह नियेल तिर्की को मैदान में उतारा था. शायद यही कारण रहा कि कांग्रेस को 25.5 प्रतिशत वोट मिला था।जबकि झारखंड पार्टी को 16.5 प्रतिशत वोट मिले थे. 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में मोदी नाम की लहर में भाजपा ने फिर खूंटी सीट पर कब्जा जमा लिया। लेकिन 2014 में पहली बार भाजपा को कांग्रेस से नहीं बल्कि झारखंड पार्टी के उम्मीदवार एनोस एक्का से टक्कर मिली थी. 2015 लोकसभा चुनाव में भाजपा के कड़िया मुंडा को जहां 36.5 वोट वोट मिले थे, वहीं झारखंड पार्टी के एनोस एक्का को 24.4 प्रतिशत वोट मिले थे. जबकि कांग्रेस को महज 19.9 प्रतिशत वोट मिले थे. मतलब झारखंड पार्टी ने कांग्रेस के काफी वोट पर कब्जा जमाते हुए भाजपा को आसान जीत दिलवाने में मददगार साबित हुई. 

 

2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने खूंटी लोकसभा सीट में एक बड़ा बदलाव करते हुए इस सीट के अभेद योद्धा कड़िया मुंडा का टिकट काट कर झारखंड के पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा को चुनाव मैदान में उतारा था. 2019 में कांग्रेस और भाजपा के बीच काफी कांटे की टक्कर हुई. भाजपा को 46 प्रतिशत वोट मिले, जबकि कांग्रेस को 45.8 प्रतिशत वोट मिले थे. अर्जुन मुंडा इस चुनाव में महज 1435 वोट से जीत दर्ज किए. जो कि कई दिनों तक विवाद के घेरे में भी रहा था.

 

2024 लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी के उम्मीदवार के नाम की घोषणा तो हो गई है. लेकिन कांग्रेस यहां अपने उम्मीदवार के नाम को लेकर अभी तक सस्पेंस बनाई हुई है. कालीचरण मुंडा और दयामनी बारला के नामों के कयास कई दिनों से लगाए जा रहे थे. लेकिन इस बीच खूंटी लोकसभा सीट के लिए कांग्रेस के तरफ से कोलेबिरा विधायक नमन विक्सल कोंगाड़ी के भी नाम की चर्चा जोरों पर है. अब इन तीन नाम के चर्चे के बीच मैदान पर कौन रहेगा ये तो कांग्रेस के द्वारा हीं क्लियर किया जायेगा. वहीं इस बार पूर्व मंत्री एनोस एक्का ने भी अपने झारखंड पार्टी के उम्मीदवार को खूंटी लोकसभा सीट से चुनाव लड़वाने की घोषणा की है. हालांकि अभी तक झारखंड पार्टी के उम्मीदवार के नाम सामने नहीं आए हैं. लेकिन इस लोकसभा सीट के इतिहास बता रहे हैं कि इस बार के चुनावी दंगल के समीकरण काफी रोमांचक मुकाबले के रहेंगे. जिसमें जनता का निर्णय अप्रत्याशित होने के कयास लगाए जा रहे हैं. 

 

हालांकि इन सारे कयास से 04 जून को हीं चुनावी परिणाम आने के बाद पर्दा उठेगा. लेकिन तब तक चुनावी रोमांच से अटकलों का बाजार जरूर गर्म रहेगा.
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