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रांची/डेस्कः हजारीबाग जिले में खास महाल भूमि से संबंधित एक बड़ा घोटाला सामने आया है, जिसमें राज्य भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB ) की जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. इस मामले में पूर्व हजारीबाग डीसी विनय कुमार चौबे समेत कई अधिकारियों और निजी व्यक्तियों पर आरोप है. कि उन्होंने खासमहल और ट्रस्ट को आवंटित भूमि का अवैध हस्तांतरण किया.
तत्कालीन डीसी विनय चौबे पर है आरोप
निलंबित आईएएस अधिकारी विनय चौबे, जो शराब घोटाले के चलते जेल में हैं, उनकी समस्याएं और बढ़ने वाली हैं. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB ) ने हजारीबाग जिले में 2.75 एकड़ खास महाल भूमि से संबंधित एक मामले में विनय चौबे और तत्कालीन खास महाल अधिकारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की अनुमति मांगी है. जब यह मामला सामने आया, तब विनय चौबे हजारीबाग के डीसी थे. एसीबी ने 2015 में इस मामले की प्रारंभिक जांच शुरू की थी, जिसमें यह पाया गया कि हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया गया. जांच में यह भी सामने आया कि "सेवायत" शब्द को हटाकर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जमीन की बंदोबस्ती की गई, जिससे करोड़ों रुपए की संपत्ति निजी व्यक्ति के हाथ में चली गई. इस मामले में कई अधिकारियों की मिलीभगत भी उजागर हुई है, और अब एसीबी ने राज्य सरकार से केस दर्ज करने की अनुमति मांगी है, जिसकी फाइल सरकार को भेज दी गई है.
जानें, क्या है खासमहाल और ट्रस्ट की भूमि से जुड़ा मामला
यह मामला हजारीबाग की 2.75 एकड़ खासमहल भूमि से जुड़ा है, जिसे 1948 में 30 वर्षों के लिए एक ट्रस्ट सेवायत को लीज पर दिया गया था. यह लीज 1978 में समाप्त हो गई थी, लेकिन 2008 तक इसका नवीकरण किया. 2008 से 2010 के बीच, एक सुनियोजित प्रशासनिक षड्यंत्र के तहत इस भूमि को सरकारी घोषित कर 23 निजी व्यक्तियों को आवंटित किया गया. आरोप है कि इस षड्यंत्र में तत्कालीन डीसी हजारीबाग, श्री विनय कुमार चौबे शामिल थे, जिन्होंने खासमहल पदाधिकारी के साथ मिलकर लीज नवीनीकरण के लिए दिए गए आवेदन से "सेवायत" शब्द को जानबूझकर हटवाया, ताकि ट्रस्ट भूमि को सरकारी दिखाकर उसका अवैध हस्तांतरण किया जा सके.