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रांची/डेस्क: झारखंड में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने हजारीबाग जिले में एक बड़े भूमि घोटाले का पर्दाफाश किया है. यह घोटाला ‘ग़ैर मजरुआ खास किस्म जंगल’ प्रकृति की भूमि से जुड़ा है, जिसे कानूनी रूप से डीम्ड फॉरेस्ट (Deemed Forest) की श्रेणी में रखा गया है और सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के आदेशों के तहत संरक्षित माना गया है. हालांकि, इस सरकारी वन भूमि को कथित तौर पर मिलीभगत से विनय कुमार सिंह और उनकी पत्नी स्निग्धा सिंह के नाम पर अवैध रूप से दाखिल-खारिज कर दिया गया. ACB की जांच में इस घोटाले में करोड़ों रुपये मूल्य की भूमि के अवैध हस्तांतरण और कई सरकारी अधिकारियों की संलिप्तता सामने आई है.
पूर्व डीसी विनय चौबे के कार्यकाल में हुआ घोटाला
ACB की प्रारंभिक जांच के अनुसार, यह मामला उस समय का है जब विनय कुमार चौबे हजारीबाग के जिलाधिकारी (DC) थे. यह दूसरा मौका है जब उनके कार्यकाल में सरकारी जमीन को निजी स्वामित्व में अवैध रूप से स्थानांतरित किए जाने का मामला सामने आया है. ACB ने इस मामले में प्राथमिकी (FIR) दर्ज करने के लिए सरकार से अनुमति मांगी है.
मिलीभगत से दाखिल-खारिज
यह जमीन खाता संख्या 95 के तहत आती है, जो सदर अंचल, हजारीबाग क्षेत्र में स्थित है. ACB के अनुसार, यह ‘ग़ैर मजरुआ खास किस्म’ की जमीन सुप्रीम कोर्ट के आदेश (WPC 202/95) के तहत डीम्ड फॉरेस्ट घोषित है. वर्ष 2010 में इस जमीन को पंजी-2 में अवैध रूप से दाखिल-खारिज कर दिया गया, जबकि सरकार द्वारा पूर्व में ऐसे मामलों को रद्द किया जा चुका था.
जांच में कई नामों का खुलासा
ACB की जांच में कई अफसरों और जमीन माफियाओं की भूमिका सामने आई है. जिन प्रमुख सरकारी अधिकारियों के नाम जांच में सामने आए हैं, वे हैं:
- संतोष कुमार वर्मा, तत्कालीन राजस्व निरीक्षक
- राजेंद्र प्रसाद सिंह, तत्कालीन अंचल निरीक्षक
- अलका कुमारी, तत्कालीन अंचल अधिकारी
विक्रेताओं में शामिल हैं:
- दानींद्र कुमार, निवासी शिवदयाल नगर, हजारीबाग
- निरंजन कुमार, निवासी जोजबरा रोड, कोर्रा
क्रेताओं में मुख्य रूप से शामिल हैं:
- विनय कुमार सिंह, पिता साधु शरण सिंह
- स्निग्धा सिंह, पत्नी विनय कुमार सिंह
भ्रष्टाचार और कब्जे का संगठित नेटवर्क
ACB की जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि यह कोई इकसांगी घोटाला नहीं, बल्कि सरकारी अफसरों और भू-माफियाओं की मिलीभगत से चलाया जा रहा एक संगठित भ्रष्टाचार नेटवर्क है. सैकड़ों एकड़ सरकारी वन भूमि को फर्जी दस्तावेजों और पदाधिकारियों की मदद से निजी हाथों में सौंपा गया. यह मामला झारखंड में सरकारी भूमि के दुरुपयोग और उच्चस्तरीय भ्रष्टाचार के गंभीर संकेत देता है. ACB की रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले समय में इस घोटाले में अधिक गिरफ्तारियों और कार्रवाई की संभावना है. सरकार की अनुमति मिलने के बाद ACB इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कर अगली कानूनी कार्रवाई शुरू करेगी.