Saturday, May 10 2025 | Time 10:25 Hrs(IST)
  • भोजपुर के खिलाड़ियो ने खेलों इन्डिया युथ गेम्स में रग्बी में जीता स्वर्ण पदक
  • गांडेय में पिकअप वैन और डीजे वाहन के बीच जोरदार टक्कर,
  • भारत ने दागीं 6 बैलिस्टिक मिसाइलें, पाकिस्तान के 4 एयरबेस के पास हुआ धमाका
  • भारत-पाकिस्तान युद्ध के बीच बिहार में सुरक्षा हाई अलर्ट पर, होटल और सोशल मिडिया पर कड़ी नज़र
  • भारत-पाक युद्ध के बीच गुजरात के तटीय इलाकों में हाई अलर्ट, मांगरोल पोर्ट हो रही जांच
  • Virat Kohli Retirement: Virat Kohli टेस्ट क्रिकेट को कहेंगे अलविदा, BCCI को दी जानकारी, इंग्लैंड दौरे में नहीं होंगे शामिल
  • ED ने 800 करोड़ के GST घोटाले में तीन और आरोपियों को किया गिरफ्तार
  • पाकिस्तान ने भारत पर छोड़े फतेह-1 मिसाइल, हवा में ही डिफेंस सिस्टम ने कर दिया गुम
  • Pak की डूबती हुई कश्ती को IMF का सहारा! 1 अरब डॉलर लोन की दी मंजूरी, भारत ने जताया विरोध, वोटिंग से बनाई दूरी
  • भूकंप के झटकों से फिर कांपा पाकिस्तान, रिक्टर स्केल पर 4 0 मापी गई तीव्रता
  • Jharkhand Weather Update: कहीं हीट स्ट्रोक तो कहीं बारिश लोगों को कंफ्यूज कर रहा मौसम, जानें आज का वेदर अपडेट
NEWS11 स्पेशल


Janmashtami: गढ़वा के श्री बंशीधर नगर में 32 मन ठोस सोने के राधा कृष्ण की मूर्ति, प्राचीन काल और UP से जुड़ा हैं इतिहास!

Janmashtami: गढ़वा के श्री बंशीधर नगर में 32 मन ठोस सोने के राधा कृष्ण की मूर्ति, प्राचीन काल और UP से जुड़ा हैं इतिहास!

अरुण कुमार यादव/न्यूज़11 भारत 


गढ़वा/डेस्क: झारखंड के गढ़वा जिले के बंशीधर नगर में मंदिर का इतिहास नगर उंटारी राज परिवारों से जुड़ा है. झारखण्ड राज्य के उत्तर पश्चिम में स्थित गढ़वा जिला छोटानागपुर का एक अहम हिस्सा रहा है. इस जिले से झारखण्ड राज्य के पलामू जिले और अन्य तीन राज्यों जैसे बिहार के रोहतास, उत्तर प्रदेश का सोनभद्र और छत्तीसगढ़ का सरगुजा जिले की सीमाएं लगती हैं. इसलिए इसे गेटवे ऑफ़ छोटानागपुर कहा जाता है. झारखंड की राजधानी रांची से गढ़वा जिले का मुख्यालय की दूरी 205 कि.मी.है. गढ़वा से लगभग 40 कि० मी० पश्चिम में मिर्जापुर सड़क मार्ग पर उत्तर प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ के संगमस्थल और रांची के चोपन रेललाइन पर स्थित है बंशीधर नगर एक अनुमंडल भी है. जहां पर सम्पूर्ण विश्व में अनुपम शताब्दियों प्राचीन वंशीधर श्रीकृष्ण की साढ़े चार फ़ीट ऊंची और बत्तीस मन स्वर्णिम निर्मित एक मोहक प्रतिमा अवस्थित है यह अद्भुत प्रतिमा भूमि में गड़े शेषनाग के फन पर निर्मित चौबीस पंखुड़ियों वाले विशाल कमल पर विराजमान है.


बंशीधर नगर राज परिवार के संरक्षण में यह वंशीधर मंदिर देशी-विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है. कई दशकों से यहां प्रतिवर्ष फागुन महीने भर यहाँ आकर्षक एवं विशाल मेला लगता आ रहा है. मंदिर के प्रस्तर लेख और उसके पुजारी के अनुसार स्व० सिद्देश्वर तिवारी केद्वारा लिखित इतिहास के अनुसार सम्वत 1674 में नगर उंटारी के महाराज भवानी सिंह की विधवा रानी शिवमानी कुवंर ने लगभग बीस किलोमीटर दूर शिवपहरी पहाड़ी में दबी पड़ी इस कृष्ण प्रतिमा के बारे में स्वप्न देख कर जाना. रानी शिवमानी कुंवर कृष्ण भक्त, धर्मपरायण, और भगवत भक्ति में पूर्ण निष्ठावान थीं. साथ ही वे राज काज का संचालन भी कर रही थीं. 


बताया जाता है कि एक बार जन्माष्टमी व्रत धारण किये रानी साहिबा को मध्य रात्रि में स्वप्न में भगवान श्रीकृष्ण का दर्शन हुआ था. स्वप्न में ही श्री कृष्ण ने रानी से वर मांगने को कहा. रानी ने भगवान श्री कृष्ण से कहा कि प्रभु आपकी सदैव कृपा हम पर बनी रहे. तब श्री कृष्ण ने कहा कि कनहर नदी के किनारे शिवपहरी पहाड़ी में उनकी प्रतिमा गड़ी है. तुम आकर मुझे यहां से मुझे अपनी राजधानी में ले जाओ. साथ ही उन्हें सपने में वंशीधर श्रीकृष्ण की इसी प्रतिमा के दर्शन भी हुए. 


भगवत कृपा जानकर रानी ने अगले दिन सुबह यह बात राज परिवार के लोगों को बताई. रानी की भक्ति पर लोगों को विश्वास था. राज परिवार ने एक सेना प्रतिमा को खोजने के लिए भेज दी. रानी भी उस सेना के साथ-साथ गयी थीं. विधिवत पूजा अर्चना के बाद रानी की सेना ने शिवपहरी पहाड़ी में रानी के कहे अनुसार खुदाई की तो श्री वंशीधर श्रीकृष्ण की अद्वितीय प्रतिमा मिली. जिसे हाथियों पर बैठाकर नगर उंटारी लाया गया. रानी इस प्रतिमा को अपने गढ़ में स्थापित कराना चाहती थीं. परन्तु नगर उंटारी गढ़ के मुख्य द्वार पर अंतिम हाथी बैठ गया. लाख प्रयत्न के बावजूद हाथी नहीं उठने पर रानी ने राजपुरोहितों से मशविरा कर वहीँ पर मंदिर का निर्माण कराया. प्रतिमा केवल बंशीधर श्रीकृष्ण की ही थी. इसलिए बनारस से श्री राधा-रानी की अष्टधातु की प्रतिमा बनवाकर मंगाया गया और उसे भी मंदिर में श्रीकृष्ण के साथ स्थापित कराया गया.


इतिहासकार ऐसा अनुमान लगाते हैं कि यह प्रतिमा मराठो के द्वारा बनवाई गई होगी जिन्होंने वैष्णव धर्म का काफी प्रचार किया था और मूर्तियाँ भी बनवाई थीं. मुगलों के आक्रमण से बचाने के लिए मराठों ने इसे शिवपहरी पहाड़ी के कंदराओं में छुपा दिया गया था.इस मंदिर में 1760 के आस पास एक चोरी भी हुई थी. जिसमें भगवान बंशीधर की बांसुरी और छत्र चोर चुरा के ले गए थे. जिसे उन्होंने पास के ही बांकी नदी में छुपा दिया था. चोरी करने वाले अंधे हो गए थे. उन्होंने अपना अपराध स्वीकार कर लिया. परन्तु चोरी की हुई वस्तुएं बरमद नहीं हो पायीं. बाद में राज परिवार ने दुबारा स्वर्ण बांसुरी और छतरी बनवा कर मंदिर में लगवाया.


साठ एवं सत्तर के दशक में बिरला ग्रुप ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था. आज भी श्री वंशीधर की प्रतिमा कला के दृष्टिकोण से अतिसुन्दर एवं अद्वितीय है. बिना किसी रसायन के प्रयोग या अन्य पोलिश के प्रतिमा की चमक पूर्ववत है. तो कभी आइये और बंशीधर श्रीकृष्ण की मनोहारी छवि के दर्शन करने.


अन्य देशो मे भी है श्रीवंशीधर की चर्चाः- कुछ वर्ष पूर्व आंतकियो द्वारा वंशीधर की प्रतिमा की चोरी करने की साजिश की खबर आने के बाद मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था व मंदिर की पहचान की खबर देश के अलावे अन्य देशो मे भी फैला. वहीं 2018 से हर वर्ष राज्य सरकार द्वारा महोत्सव कराकर बॉलीवुड व हॉलीवुड के कलाकारो द्वारा कार्यक्रम प्रस्तुत करने के बाद से वंशीधर मे बाहरी पर्यटको का आने का सिलसिला प्रतिदिन देखा जाता है. शिव रात्रि महापर्व के अवसर पर विश्व विख्यात वंशीधर मंदिर मे एक माह तक लगने वाला मेला की तैयारी जोरो पर लगता है . मेला परिसर मे दुकाने भारी तादात में सजने लगती है. मेले की तैयारी के लेकर मंदिर ट्रस्टी के सदस्य तनमन से कार्य कर रहते हैं. 


बताया जाता है कि शिव रात्रि पर्व के अवसर पर मंदिर को आर्कर्षित रूप से सजाया जाता है तथा मंदिर के विद्वान पंडितो द्वारा पुजन अर्चन की जाती है. मेला आयोजन के दौरान झारखंड से सटे उतरप्रदेश, छतीसगढ, मध्यप्रदेश, बिहार, सहित अन्य राज्यो से श्रद्धालुओ की भीड मंदिर मे पुजन अर्चन करने आते है. 2018 में तत्कालीन  मुख्यमंत्री रघुबर दास के पहल से केंद्र सरकार से मंजूरी मिलने के बाद इस जगह का 2018 से नगर उंटारी से श्री बंशीधर नगर हो गया है. श्री कृष्ण की जन्माष्टमी पर हर साल मथुरा एवं वृंदावन की तरह मनाई जाती है. मौके पर एक सप्ताह तक श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया जाता है जिससे श्री बंशीधर नगर सहित आस पास के गांवों का माहौल भक्तिमय हो जाता है.

अधिक खबरें
आस्था और अंधविश्वास का संगम: झारखंड के इस जिले में नवरात्र के समय लगता हैं 'भूत मेला', देश कई राज्यों से आते हैं लोग
अप्रैल 05, 2025 | 05 Apr 2025 | 1:02 AM

झारखंड के पलामू जिले के हैदरनगर में नवरात्र के दौरान आयोजित होने वाला "भूत मेला" एक अनूठा आयोजन है, जो आगंतुकों के मन में कई सवाल खड़े करता है. क्या यह मेला गहरी आस्था की अभिव्यक्ति है, या फिर अंधविश्वास की पराकाष्ठा? यह प्रश्न इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि यह आयोजन नवरात्रि जैसे पवित्र समय में होता है, जो देवी की आराधना और सकारात्मकता का प्रतीक है . इस विरोधाभास के कारण, इस मेले का विश्लेषण करना आवश्यक हो जाता है ताकि इसकी जटिलताओं को समझा जा सके.

इस धाम में लगता हैं भक्तों का तांता, झारखंड के प्रमुख तीर्थ स्थलों में हैं शामिल
अप्रैल 06, 2025 | 06 Apr 2025 | 1:44 PM

अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य और पहाड़ों से घिरे कालेश्वरी धाम झारखंड के प्रमुख तीर्थ स्थलों में शुमार है. चैत्र नवरात्र और रामनवमी के मौके पर झारखंड और बिहार के साथ-साथ बंगाल, उड़ीसा सहित अन्य प्रदेशों के भक्त जनों का तांता यहां लगा रहता है. दुर्गा सप्तशती कथा में भी मां कालेश्वरी का भी वर्णन मिलता है जिससे श्रद्धालुओं की अटूट श्रद्धा कालेश्वरी धाम के प्रति है.

युवा उद्यमियों ने बदल दी जिला की फिजा, अब विदेशों में लोग चखेंगे चतरा के शुद्ध देशी चावल का स्वाद..
अप्रैल 03, 2025 | 03 Apr 2025 | 10:22 AM

झारखंड राज्य के सबसे पिछड़े जिलों में सुमार चतरा को जल्द ही एक बड़े उद्योग निजी उद्योग की सौगात मिलने वाली है. जिससे न सिर्फ यहां के सैकड़ो हुनरमंद हाथों को स्थानीय स्तर पर रोजगार मिलेगा, बल्कि चतरा के शुद्ध देशी गांवों से निकलने वाले धान के चावल का स्वाद अब देश के साथ-साथ विदेश के लोग भी चख सकेंगे.

झारखंड में लगातार बढ़ रहा है भूकंप का खतरा ! देखिए ये Special Report
अप्रैल 02, 2025 | 02 Apr 2025 | 5:09 PM

झारखंड में अब तक का सबसे बड़ा भूकंप 31 जुलाई 1868 को हजारीबाग क्षेत्र में आया था. तब से लेकर अब तक झारखंड में 4 से 5 रिक्टर स्केल का भूकंप लगातार आता रहा है. भूगर्भ वैज्ञानिकों के मुताबिक जिस गति से झारखंड में खनन हो रहा है और खदानों में पानी भरा जा रहा है, झरखंड में भी भूकंप का खतरा बढ़ रहा है.

तलाक के बाद एलिमनी की रकम कैसे तय होती है? क्या पति को भी मिल सकता है गुजारा भत्ता?
मार्च 20, 2025 | 20 Mar 2025 | 8:16 AM

भारत के स्टार क्रिकेटर युजवेंद्र चहल (Yuzvendra Chahal) और धनश्री वर्मा (Dhanashree Verma) के तलाक के बाद, चहल को कोर्ट के आदेश पर 4.75 करोड़ रुपये की एलिमनी राशि चुकानी है. अब तक उन्होंने करीब 2.30 करोड़ रुपये चुका दिए हैं, और बाकी की रकम जल्द अदा करेंगे. यह पहला मामला नहीं है जब तलाक के बाद एलिमनी की मोटी रकम चर्चा में आई हो, चाहे वह हॉलीवुड के सेलिब्रिटी हों या बॉलीवुड के हाई-प्रोफाइल ब्रेकअप. तलाक और एलिमनी की रकम हमेशा से खबरों में बनी रहती है.