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रांची/डेस्क: मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के घेरे में आए पूर्व विधायक अंबा प्रसाद और उनके परिवार के सदस्यों द्वारा चलायी जा रही 17 कंपनियों की जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. इन कंपनियों में सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से अंबा प्रसाद के पारिवारिक सदस्यों का एकाधिकार है. जांच में सामने आया है कि योगेंद्र साव ने अपनी एक कंपनी को चलाने के लिए अपने रिश्तेदार को करोड़ों रुपये की नकदी दी थी.
परिवार के सदस्य वैध और अवैध दोनों प्रकार के व्यापार चला रहे
प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच में यह पाया गया है कि इन कंपनियों के जरिए अंबा प्रसाद और उनके परिवार के सदस्य वैध और अवैध दोनों प्रकार के व्यापार चला रहे थे. अधिकांश कंपनियों में योगेंद्र साव और उनके करीबी रिश्तेदार अंकित राज या तो निदेशक के तौर पर जुड़े हुए हैं या मालिक हैं. ये कंपनियां विभिन्न व्यापारिक गतिविधियों जैसे निर्माण, खनिज खनन आदि में शामिल हैं.
ED की जांच में हुआ खुलासा
इसके अतिरिक्त, पूर्व विधायक अंबा प्रसाद और उनकी बहन अनुप्रिया के नाम पर भी कई संस्थाएं स्थापित की गई हैं. इन संस्थाओं के माध्यम से सामाजिक और कल्याणकारी कार्यों का दावा किया जाता था, लेकिन ED की जांच में यह खुलासा हुआ कि इन संस्थाओं के नाम का इस्तेमाल केवल व्यापारिक गतिविधियों को छिपाने के लिए किया जा रहा था.
जांच में सामने आईं प्रमुख कंपनियां:
- मिलियन ड्रिम्स फाउंडेशन – अनुप्रिया (योगेंद्र साव की बेटी और अंबा की बहन)
- हिबकॉन प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड – अंकित राज, धीरेंद्र कुमार (योगेंद्र साव के भाई)
- कश्यप देव ट्रांसपोर्टर प्राइवेट लिमिटेड – अंकित राज
- वी कनेक्ट इंडिया – अनुप्रिया
- मेसर्स धीरेंद्र कुमार – धीरेंद्र साव
- अनन्या इंटरप्राइजेज – सागर साव (योगेंद्र साव के भाई)
- मां अष्टभुजा सिरामिक्स एंड मिनरल – अंकित राज
- अंकित राज सैंड स्टॉकयार्ड – अंकित राज
- एसकेएस इंटरप्राइजेज – अंकित राज
- अष्टभुजी माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड – अंकित राज व ममता नाइक
- अंबा प्रसाद वेलफेयर फाउंडेशन – अंबा प्रसाद और पंचवत कुमार
- मां कामाख्या कंक्रीट्स – अंकित राज, विंदेश्वर दांगी, विकास रंजन
- मेसर्स अंकित राज – अंकित राज
- मेसर्स योगेंद्र साव – योगेंद्र साव
- जय मां अष्टभुजी कंस्ट्रक्शन – राजेश साव, बादल कुमार, पूजा देवी
- कंडाबर फायर क्ले माइंस – योगेंद्र साव
जांच में यह भी पाया गया है कि योगेंद्र साव के परिवार के सदस्यों द्वारा NTPC के खनन कार्यों में अवरोध डाला जाता है, और लेवी वसूली के लिए भय का माहौल भी पैदा किया जाता है.
2.96 करोड़ रुपये का नकद लेन-देन
सर्वेक्षण में यह भी सामने आया कि योगेंद्र साव ने अपनी मां 'अष्टभुजी' नामक कंपनी में 2.96 करोड़ रुपये का निवेश किया था. यह राशि योगेंद्र साव ने अपने करीबी रिश्तेदार राजेश कुमार को नकद के रूप में दी थी. योगेंद्र साव ने एक अदालत में अपने बयान में भी यह स्वीकार किया कि उन्होंने राजेश को यह रकम दी थी. इस मामले की जांच जारी है, और ED ने कहा है कि वे सभी तथ्यों और सबूतों का विश्लेषण कर रहे हैं, ताकि इस मामले की गहनता से जांच की जा सके और दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जा सके.