गुमला, खूंटी और राजधानी के बालू घाटों से स्टॉक यार्ड तक अभी भी अवैध तरीके से पहुंच रहा बालू
न्यूज11 भारत
रांचीः झारखंड की राजधानी में बालू की भारी कमी कर दी गयी है. सरकार की ओर से यह विज्ञापन निकाला गया था कि लोग जेएसएमडीसी में ऑनलाइन आवेदन देकर बालू की बुकिंग करायें. बावजूद इसके बालू की बुकिंग कराने में लोगों की दिलचस्पी नहीं है.ऑनलाइन बुकिंग की पेचिदगियों से लोग बुकिंग कराने में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं. दो महीने से हर तरह का निर्माण कार्य ठप हो गया है. बालू के बिचौलिये ऊंची कीमतों पर बालू बेच रहे हैं. जहां पहले 15 से 20 हजार में एक हाइवा ट्रक-बालू उपलब्ध हो जाता था, उसके लिए बालू के कारोबारी 40 से 50 हजार रुपये की मांग कर रहे हैं. ट्रैक्टर से 100 सीएफटी बालू जो आसानी से मिलता था, वह अब तीन हजार रुपये में भी नहीं मिल रहा है. प्रवर्तन निदेशालय की ओर से रांची, गढ़वा, साहेबगंज, दुमका, सरायकेला खरसांवा, चाईबासा, जमशेदपुर, धनबाद, पाकुड़ समेत अन्य जिलों के जिला खनन पदाधिकारियों से हुई पूछताछ के बाद बालू और गिट्टी की कृत्रिम संकट पैदा कर दी गयी है. 1000 रुपये प्रति टन गिट्टी के लिए अब 15 हजार रुपये तक मांगे जा रहे हैं. यहां बताते चलें कि 2017 के बाद से झारखंड राज्य खनिज विकास निगम की तरफ से ही बालू घाटों की बंदोबस्ती और स्टॉक यार्ड तक बालू पहुंचाने के लिए कांट्रैक्टरों की नियुक्ति की गयी है. अब ये माइन डेवलपमेंट ऑपरेटर नदियों से बालू निकाल कर स्टॉक यार्ड तक पहुंचा रहे हैं. पर यह बालू लोगों को नहीं मिल रही है. खुले बाजार में बालू की बिक्री बंद कर दी गयी है. चोरी-छिपे अभी भी कारोबार जारी है. पर सरकार अथवा जिला प्रशासन इस दिशा में कोई खास कार्रवाई नहीं कर रही है.
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राजधानी नहीं पहुंच रहा है सरकारी डंप यार्ड का बालू
राजधानी रांची में गुमला, खूंटी और बुंडू तमाड़ तथा सिल्ली से बालू आना बंद हो गया है. सरकार की तरफ से गुमला के सिसई स्थित डंप यार्ड से बालू की बुकिंग ली जा रही है. पर यहां से प्रति दिन मात्र दो से तीन हाइवा यानी 30 टन तक बालू पहुंच रहा है. सिसई के लरंगो, बुंडू के ग्रामीण इलाकों, कांची नदी, खूंटी के तजना और कर्रा के पास की नदी से बालू की खेप कम आ रही है. वहीं सिल्ली के सुवर्णरेखा घाट से भी कारोबारियों ने बालू लाना कम कर दिया है. गुमला के सिसई स्थित नागफेनी के पास से कई डंप यार्ड बनाये गये हैं. ऑनलाइन बुकिंग की पेचिदगियों से लोग इसमें दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं.
15 जून तक सरकार चला रही थी अभियान
एक से 15 जून तक राज्यभर में खान एवं भूतत्व विभाग की तरफ से जिला स्तरीय टास्क फोर्स की तरफ से अवैध खनन परिवहन और माइनिंग को लेकर लगातार छापेमारी की जा रही थी. इसकी वजह से भी बालू का उठाव नहीं हो रहा था. अब यह मियाद समाप्त हो गयी है. पर लोगों को सरकारी अभियान के बाद भी बालू, गिट्टी और अन्य चीजें नहीं मिलने से निर्माण कार्य पर लगातार असर पड़ रहा है.
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