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रांची/डेस्क: झारखंड में इंटर कॉलेजों को बंद किए जाने के फैसले से राज्य के हजारों छात्रों का भविष्य अधर में लटकता नजर आ रहा था, लेकिन अब छात्रों और उनके परिवारों को राहत की खबर मिली है.. शिक्षा विभाग ने इस गंभीर समस्या का हल ढूंढ़ लिया है और यह सुनिश्चित कर दिया है कि राज्य के 27 हजार प्लस टू विद्यार्थियों का भविष्य सुरक्षित रहेगा.
दरअसल, नई शिक्षा नीति के तहत झारखंड में डिग्री कॉलेजों में अब इंटरमीडिएट (12वीं) की पढ़ाई नहीं कराई जाएगी. राज्यपाल के निर्देश पर यह निर्णय लागू किया गया है, जिससे इंटर कॉलेजों से संबद्ध 42 अंगीभूत कॉलेजों के लगभग 27 हजार छात्रों की पढ़ाई पर संकट मंडराने लगा था.. इस फैसले के बाद शिक्षा विभाग भी सकते में आ गया था और तत्काल समाधान की दिशा में प्रयास शुरू किए गए.
शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया और छात्रों की पढ़ाई बाधित न हो, इसके लिए सक्रियता दिखाई. मंत्री सोरेन के नेतृत्व में विभाग ने वैकल्पिक व्यवस्था पर काम किया और अब 27 हजार छात्रों को राज्य के अन्य इंटर स्कूलों में समायोजित करने की योजना तैयार कर ली गई है.. सभी जिला शिक्षा अधिकारियों (DEO) को आवश्यक निर्देश जारी कर दिए गए हैं कि प्लस टू स्कूलों में शिक्षकों की कमी को प्राथमिकता के आधार पर दूर किया जाए.
इसके साथ ही सरकार उन शिक्षकों के पुनर्स्थापन (एडजस्टमेंट) पर भी विचार कर रही है जो इंटर कॉलेजों के बंद होने से प्रभावित होंगे. शिक्षा विभाग की यह पहल छात्रों के साथ-साथ शिक्षकों के हितों को भी ध्यान में रखती है. शिक्षा मंत्री ने स्पष्ट किया कि छात्रों की पढ़ाई किसी भी हाल में बाधित नहीं होने दी जाएगी. उनकी सतत निगरानी और विभागीय समीक्षा की बदौलत यह समाधान सामने आया है. इस तरह, झारखंड के 27 हजार इंटरमीडिएट छात्रों का भविष्य अब सुरक्षित है और शिक्षा विभाग ने समय रहते जरूरी कदम उठाकर छात्रों को अंधकारमय भविष्य से बचा लिया है.