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रांची/डेस्क: झारखंड हाई कोर्ट ने राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष काजल यादव को बड़ी राहत देते हुए उनकी बर्खास्तगी के आदेश को रद्द कर दिया है. कोर्ट ने मामले को पुनर्विचार के लिए राज्य सरकार को लौटा दिया है और आदेश पारित करने से पहले प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है.
क्या है मामला?
काजल यादव, जो मूल रूप से जमशेदपुर के सोनारी की निवासी हैं, को 28 नवंबर 2022 को आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. लेकिन कुछ शिकायतों के आधार पर 12 फरवरी 2024 को राज्य सरकार ने उन्हें पद से हटा दिया था. इसके खिलाफ यादव ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे एकल पीठ ने खारिज कर दिया. इसके बाद उन्होंने डिवीजन बेंच में अपील की.
कोर्ट का रुख
डिवीजन बेंच ने माना कि यादव को जांच रिपोर्ट की प्रति नहीं दी गई और न ही उन्हें पर्याप्त रूप से पक्ष रखने का अवसर मिला. कोर्ट ने कहा कि केवल शो-कॉज नोटिस देना और जांच समिति के सामने पेश होने का मौका देना, प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों की पूर्ति नहीं करता.
आगे क्या?
हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह आठ सप्ताह के भीतर मामले की पुन: जांच कर यादव को रिपोर्ट की प्रति उपलब्ध कराए और उचित प्रक्रिया अपनाते हुए नया निर्णय ले. यह फैसला केवल काजल यादव के मामले तक सीमित नहीं है, बल्कि यह प्रशासनिक प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता को लेकर एक अहम कानूनी नजीर भी बन सकता है.