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रांची/डेस्कः भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने आज राज्य सरकार पर बड़ा निशाना साधा. बाबूलाल मरांडी ने आज प्रदेश कार्यालय में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए राज्य के दो प्रमुख मुद्दे पर हेमंत सरकार को कटघरे में खड़ा किया. बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार द्वारा राज्य की जनता को आयुष्मान योजना के लाभ से वंचित किए जाने पर गहरी चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत योजना जो स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारत सरकार की अनूठी पहल है जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने झारखंड की धरती से ही लॉन्च किया था आज झारखंड में शिथिल पड़ी हुई है.
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गरीबों के 5 लाख तक के इलाज की सुविधा उपलब्ध कराई है. इस योजना के प्रावधान के तहत केंद्र सरकार की भागीदारी 60% और राज्य सरकार की 40% है. और यदि राज्य सरकार इसे अपने राज्य की योजना में अलग नाम से चलाती है तो यह अनुपात 40:60 का हो जाता है.झारखंड में यह मुख्यमंत्री स्वास्थ्य योजना के अंतर्गत इसी अनुपात में चल रहा. उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार के प्रावधान के तहत लाल कार्ड,पीला कार्ड, हरा कार्ड धारियों के साथ राज्य के कर्मचारी,पेंशन धारी सहित पत्रकार,वकील आदि भी शामिल हैं.
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि राज्य सरकार ने वाहवाही केलिए घोषणाएं तो खूब की हैं लेकिन वास्तविकता इसके विपरीत है. आज सरकार के के निर्णयों से जनता परेशान है. हेमंत सरकार ने ग्रामीण क्षेत्र केलिए 30 बेड के हॉस्पिटल और शहरी क्षेत्र केलिए 50 बेड की अनिवार्यता की है . जबकि ग्रामीण केलिए यह नियम कहीं से भी उपयुक्त नहीं है.झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में 30 बेड के हॉस्पिटल उपलब्ध नहीं है.जबकि भारत सरकार के निर्णयों में 10 बेड के हॉस्पिटल का प्रावधान किया गया है.ऐसे में यह सरकार अपने निर्णयों से बड़े अस्पतालों को लाभान्वित करना चाहती है. कहा कि इतना ही नहीं राज्य में जो 750 हॉस्पिटल मुख्यमंत्री स्वास्थ्य योजना में सूचीबद्ध हैं जिसमें प्राप्त जानकारी के अनुसार 538 हॉस्पिटल का भुगतान फरवरी 25 से नहीं हुआ है. और 212 हॉस्पिटल का पिछले 10 महीने से बकाया भुगतान नहीं हुआ .
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि ऐसे में सूचीबद्ध अस्पतालों ने राज्य सरकार को त्राहिमाम संदेश भेजकर गरीबों का इलाज इस योजना के तहत बंद कर दिया है. आज गरीब जनता इलाज केलिए दर दर भटक रही और जान बचाने केलिए महंगे इलाज कराने केलिए विवश है. उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत प्रदेश और जिला स्तर पर शिकायत निवारण समितियां भी गठित है जिसकी बैठके भी नहीं होती है. उन्होंने कहा कि राज्य के स्वास्थ्य मंत्री का बयान भी बेतुका आता है.वे इस लचर व्यवस्था केलिए ईडी को दोषी ठहराते हैं जबकि ईडी ने कभी किसी हॉस्पिटल पर छापेमारी नहीं की. छापेमारी हुई तो दलालों,बिचौलियों के घर.और यदि सरकारी फाइलें दलालों बिचौलियों के घर थी तो मंत्री जी सबसे पहले ऐसे लोगों पर एफआईआर दर्ज कराएं.
बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार से मांग किया कि अविलंब राज्य सरकार अस्पतालों के बकाए का भुगतान सुनिश्चित कराए, केंद्र सरकार के तय मानक के तहत 10 बेड के हॉस्पिटल को ग्रामीण क्षेत्रों में सूचीबद्ध किया जाए.तभी गरीबों और जरूरतमंद तक इसका लाभ पहुंचेगा. राज्य सरकार को इधर उधर की बातें कर जनता को धोखा नहीं देना चाहिए. कांग्रेस झामुमो द्वारा सरना कोड के नाम पर झंडा लेकर घूमने पर बाबूलाल मरांडी ने कहा कि कांग्रेस झामुमो को यदि सरना आदिवासियों की चिंता है तो आधा अधूरा काम नहीं करें इसे पूरी तरह करें. सरना कोड के पहले महत्वपूर्ण है सरना धर्म संस्कृति की रक्षा.
उन्होंने 2011 की जनगणना के हवाले आंकड़ा देते हुए बताया कि 2011 में झारखंड की कुल आबादी ,3,29,88,134 थी जिसमें 86,45042 आदिवासियों की संख्या थी. 2011 में राज्य में आदिवासियों की कुल आबादी 26.20% थी. इसमें 14,18,608 ईसाई की संख्या है.अर्थात कुल आदिवासी आबादी के 15.48% लोग ईसाई धर्मावलंबी हो चुके हैं. अगर इसे हम जातिवार और विस्तार से देखें तो उरांव में 26% मुंडा( पातर मुंडा सहित) में 33%, संथाल में 0.85% ,हो में 2.14% और खड़िया में 67.92% ईसाई बन चुके हैं. और यह आंकड़ा लगभग 15 वर्ष पहले का है. अर्थात झारखंड की कुल आबादी के 4.30% ईसाई हैं. बाबूलाल मरांडी ने झामुमो कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व हेमंत सोरेन, राहुल गांधी से पूछा कि वे बताएं कि आखिर आदिवासी ऐसे ही अपनी धर्म संस्कृति से अलग होता गया तो फिर सरना धर्म कोड कौन भरेगा.
उन्होंने कहा कि सरना कोड तो वहीं भरेगा जो सरना स्थल, मारांग़ बुरू, जाहिर थान को मानेगा. ये बचेंगे तभी तो धर्म कोड की जरूरत होगी. बाबूलाल ने कहा कि अगर कांग्रेस झामुमो को आदिवासी समाज की धर्म संस्कृति की चिंता है तो पहले इसे बचाने केलिए प्रयास करें. कहा कि इस राज्य में रघुवर दास सरकार ने धर्म स्वातंत्र्य कानून बनाकर इसे संरक्षित रखने केलिए कड़े प्रयास किए थे. उन्होंने राज्य सरकार से इस कानून को कड़ाई से लागू करने की मांग की. कहा कि वे राहुल गांधी,हेमंत सोरेन से चाहेंगे कि वे राज्य के 32 जनजाति समाज की परंपरा,संस्कृति ,विश्वास को बचाने का प्रयास करें. प्रेसवार्ता में प्रदेश मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक, प्रवक्ता प्रतुल शाह देव भी मौजूद रहे.