अवधेश/न्यूज़11 भारत
केरेडारी/डेस्क: NTPC की चट्टी बरियातू कोयला खनन परियोजना से कोयला लदे भारी वाहनों हाइवा के परिचालन से अब आम जनता त्रस्त हो चुके हैं और लोग बड़ी आंदोलन का मन बना रहे हैं. आम राहगीरों के आवागमन के लिए बनी सड़क हाइवा रूपी यमदूतों की वजह से अब अपना स्तीत्व खोने के कगार पर है. चट्टी बरियातू कोल माइंस से कोयला लेकर ये हाइवा एनटीपीसी टंडवा व सिमरिया होते हुए कटकमसांडी व अन्य स्थानों पर कोयले की सप्लाई का काम करते हैं. एक ओर तो कोल कंपनिया क्षेत्र में खनन कार्य कर करोड़ों अरबों रूपये कमा रही है वहीँ दूसरी ओर स्थानीय ग्रामीण मुलभुत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. यहाँ के कोयले से दूसरे राज्य रौशन हो रहे हैं लेकिन जिस सड़क पर कोयले की ढुलाई होती है वो सड़क ही अभी अँधेरे में डूबा हुआ है.
चट्टी बरियातू कोयला खनन परियोजना से पब्लिक सड़क से कोयले की ट्रांसपोर्टिंग के कारण आये दिन लगातर सड़क दुर्घटनाएं हो रही हैं जिसमे अब तक कई निर्दोष लोग इन कंपनियों की भेंट चढ़ चुके हैं और अपने प्राणों की आहुति दे चुके हैं. यहाँ न तो आम जनता सुरक्षित है और न तो पशु ही सुरक्षित हैं. लोगों का कहना है की जब यहाँ कोल कम्पनियाँ नहीं थी तो स्थानीय लोग सुख चैन का जीवन व्यतीत कर रहे थे लेकिन जब से यहाँ कोयले का उत्पादन और आम जनता के आवागमन के लिए बनी सड़क से कोल वाहनों का परिचालन शुरू हुआ है तब से लोग बद से बदतर जीवन जीने को मजबूर हो गए हैं. लोगों का कहना है की जोरदाग से लबनिया मोड़ और लबनिया मोड़ से तिन मुहान मोड़ जाना अब खतरे से खाली नहीं है पता नहीं हाइवा रूपी यमदूत कब किसे निगल जाएँ कहना मुश्किल है.
ग्रामीणों का कहना है की कम्पनी के द्वारा आश्वासन दिया गया था की ट्रांसपोर्टिंग के लिए अलग सड़क बनाया जायेगा लेकिन सिर्फ आश्वासन का लॉलीपॉप ही मिला हकीकत इससे कोसो दूर है. हाइवा चालक मनमाने तरीके से अनियंत्रित होकर गाडी चलाते हैं जिससे खतरा हमेशा बना रहता है. जबकि केरेडारी सीओ रामरतन बर्णवाल समय समय पर इन चालकों को मानक गति के अनुसार वाहन चलाने का निर्देश भी देते हैं लेकिन इन चालकों की हिम्मत तो देखिये ये बार बार ये अधिकारीयों के निर्देशों को भी धता बता देते हैं.