शेल कंपनियों को लिये गये कर्ज को किया ट्रांसफर
साथ देते थे अमित अग्रवाल, जो हैं रिश्तेदार
न्यूज11 भारत
रांची: बैंक ऑफ इंडिया और पंजाब नेशनल बैंक फ्रॉड मामले में दर्ज प्राथमिकी के आधार पर बिल्डर ज्ञान प्रकाश सरावगी को गिरफ्तार कर लिया गया है. इन पर सीबीआइ चार साल पहले से ही नजर रख रही थी. इनका कार्यालय कामर्स टावर, लालपुर और अन्य जगहों में था. सीबीआइ की तरफ से 2018-19 में ज्ञान प्रकाश सरावगी, अमित सरावगी और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. इन लोगों ने फरजी तरीके से शेल कंपनियां खोल कर बैंक से लिये गये कर्ज को इधर-उधर किया था. इनके साथ रांची के एक नामी-गिरामी चार्टर्ड एकाउंटेंट भी थे. इनका कारोबार सिर्फ रांची ही नहीं आसनसोल, पुरुलिया, पश्चिम बंगाल के अन्य शहरों और झारखंड की राजधानी रांची समेत अन्य जगहों में फैला हुआ था.
दर्ज प्राथमिकी में 31.24 करोड़ रुपये का गलत तरीके से कर्ज लेने का पहला मामला था. पीएमएलए के तहत बैंक फ्राड मामले पर जब सीबीआइ जांच कर रही थी, तो यह पता चला कि सिर्फ बैंक ऑफ इंडिया ही नहीं तत्कालीन यूनााईटेड बैंक के खातों से फरजी तरीके से पैसे की निकासी कर 75 करोड़ रुपये की हेराफेरी कर दी गयी है. ज्ञान प्रकाश सरावगी ने शेल कंपनी बनायी थी. इसमें बद्री केदार उद्योग प्राइवेट लिमिटेड, सरावगी बिल्डर्स एंड प्रमोटर्स, सनबीम डीलर्स प्राइवेट लिमिटेड, श्रीराम कोमट्रेड पाईवेट लिमिटेड और मेसर्स द्वारकाधीश उद्योग प्राइवेट लिमिटेड बनाये थे. इन पर जांच के क्रम में पता चला कि इन लोगों ने बैंक ऑफ इंडिया और यूनाइटेड बैंक से अलग-अलग तरीके से कर्ज लिये. इसके लिए थर्ड पार्टी गारंटी दी गयी थी, जिसके जरिये बैंकों को मार्टगेज औऱ कोलैटरल दिये गये थे, जो फरजी थे. बैंकों से यह क्ज कैश क्रेडिट लोन, टर्म लोन, लेटर ऑफ क्रेडिट के तर्ज पर दिये गये थे.
ज्ञान प्रकाश सरावगी ही सारे बिजनेस को आपरेट करते थे, जिनके नाम पर कर्ज लिये गये
सीबीआइ जांच में पता चला कि ज्ञान प्रकाश सरावगी ही मेसर्स सरावगी बिल्डर्स प्रमोटर्स प्राइवेट लिमिटेड की ओर से नियंत्रित करते थे. सीबीआइ की तरफ से इस मामले में चार्जशीट भी दायर की गयी थी. सभी कर्ज सेल और पर्चेज डॉक्यूमेंट्स के आधार पर दिये गये थे. ज्ञान प्रकाश सरावगी और अमित सरावगी कर्ज के पैसे को विभिन्न कंपनियों को ट्रांसफर करते थे. कर्ज की राशि टेक्सटाइल और गारमेंट्स की ट्रेडिंग के लिए किये जाते थे. बाद में पता चला कि सारा पैसे रीयल इस्टेट बिजनेस में लगाया जाता था. सीबीआइ की जांच में यह भी पता चला कि कैपिटल मार्केटिंग, सेलेस्टियल सेल्स एंड मार्केटिंग, प्रकाश ट्रेडर्स, राधा कृष्ण विनिमय, श्रीराम कोम ट्रेड की तरफ से कंट्रोल किया जाता था.