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Good Friday 2025: हर साल क्यों बदलती है गुड फ्राइडे की डेट? जानिए इसका इतिहास, महत्व और कैसे होता है तारीख का चुनाव

Good Friday 2025: हर साल क्यों बदलती है गुड फ्राइडे की डेट? जानिए इसका इतिहास, महत्व और कैसे होता है तारीख का चुनाव

न्यूज़11 भारत


रांची/डेस्क: इस साल गुड फ्राइडे 18 अप्रैल को भारत समेत दुनियाभर में श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा हैं. यह दिन ईसाईं धर्म के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि मान्यता है कि आज से करीब 2000 साल पहले इसी दिन ईसा मसीह को सूली (क्रूस) पर चढ़ाया गया था. इस दिन को 'गुड' इसलिए कहा गया है क्योंकि ईसा मसीह ने मानवता के उद्धार के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी. लेकिन हर साल एक सवाल बार-बार लोगों के मन में उठता है कि क्रिसमस की तारीख तो 25 दिसंबर को तय होती है लेकिन गुड फ्राइडे हर साल बदल क्यों जाती हैं?

 

क्यों हर साल बदलती है गुड फ्राइडे की तारीख?

गुड फ्राइडे की तारीख बदलने के पीछे मुख्य कारण है कि इसकी गणना सौर नहीं चंद्र कैलेंडर और खगोलीय घटनाओं के आधार पर की जाती हैं. दरअसल, गुड फ्राइडे की तारीख ईस्टर संडे पर निर्भर करती है और ईस्टर की तारीख वसंत विषुव (Vernal Equinox) और उसके बाद आने वाली पूर्णिमा (Full Moon) के आधार पर तय होती हैं. 

 

साल 325 ईस्वी में हुई एक ऐतिहासिक ईसाई धर्मसभा काउंसिल ऑफ नाइसिया में यह तय किया गया था कि वसंत विषुव (जब दिन और रात बराबर होते है, यानी 21 मार्च के आस-पास) के बाद आने वाली पहली पूर्णिमा के बाद आने वाले रविवार को ईस्टर संडे मनाया जाएगा और ईस्टर से दो दिन पहले के शुक्रवार को गुड फ्राइडे के रूप में चिन्हित किया जाएगा. इसी वजह से गुड फ्राइडे की तारीख हर साल 22 मार्च से 25 अप्रैल के बीच आती हैं. इस साल वसंत विषुव 21 मार्च को था, पूर्णिमा 13 अप्रैल को और ईस्टर 20 अप्रैल को मनाया जाएगा. इसलिए इस बार गुड फ्राइडे 18 अप्रैल को मनाया जा रहा हैं.

 


 

क्या है गुड फ्राइडे और ईस्टर का कनेक्शन?

गुड फ्राइडे वह दिन है जब ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया था और वे मानवता के पापों को धोने के लिए अपने जान कुर्बान कर देते हैं. इसके तीन दिन बाद यानी रविवार को वे पुनर्जीवित हुए, जिसे ईस्टर संडे के रूप में मनाया जाता हैं. यही कारण है कि गुड फ्राइडे और ईस्टर दोनों एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं.

 

ईस्टर संडे कैसे मनाया जाता हैं?

ईस्टर संडे को खुशी और आशा का प्रतीक माना जाता हैं. इस दिन ईसाई समुदाय सनराइज सर्विस यानी सूर्योदय से पहले की प्रार्थना सभा का आयोजन करता हैं. इसमें महिलाएं अगुआई करती है और लोग हाथों में मोमबत्तियां लेकर ईसा मसीह के पुनर्जीवित होने के गीत गाते हुए रैली निकालते हैं. इसके बाद ईस्टर एग्स (रंग-बिरंगे अंडे) बांटे जाते है, जो जीवन और नई शुरुआत का प्रतीक माने जाते हैं.

 

क्रिसमस की तारीख क्यों नहीं बदलती?

क्रिसमस हर साल 25 दिसंबर को मनाया जाता है क्योंकि यह सौर कैलेंडर के अनुसार तय हैं. हालांकि बाइबिल में यीशु मसीह के जन्म की तारीख का स्पष्ट उल्लेख नहीं है, फिर भी ईसाई इतिहासकारों और चर्च ने चौथी सदी (लगभग 336 ईस्वी) में 25 दिसंबर को यीशु के जन्मदिन के रूप में मान्यता दी थी.

 

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