अजय लाल/न्यूज 11 भारत
रांची/डेस्क: झारखंड की राजनीति में शनिवार को दो तस्वीरों ने पॉलिटिकल ड्रामे की नई नींव रख दी. राजधानी रांची के लोगों ने शनिवार को जैसे ही आंखे खोली उनकी नजर एक पोस्टर पर गयी. यह पोस्टर झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता की तरफ से रांची की सड़कों पर लगाया गया था. लिखा था - ( पोस्टर देंखे )

अब सवाल यह कि इस पोस्टर का मतलब क्या और मनोज पांडेय अपने इस पोस्टर से क्या साधना चाहते हैं. विषयवार समझिए. थोड़ी गंभीरता से देखें तो क्या मनोज पांडेय कांग्रेस को कोई मैसेज देना चाहते हैं. एक दिन पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रामेश्वर उरांव ने कार्तिक उरांव फ्लाईओवर के बहाने राज्य की सरकार पर निशाना साधने की कोशिश की थी. उन्होंने कहा था कि कार्तिक उरांव फ्लाईओवर के निर्माण में आदिवासियों की भावना का ख्याल नहीं रखा गया. रामेश्वर उरांव ने आदिवासी जनभावना को उकसाने की कोशिश की. बहुत हद तक वे सफल भी रहे. इससे पहले कि रामेश्वर उरांव के इस बयान की विवेचना हो पाती राज्य सरकार में कांग्रेस कोटे के मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने सीएम को एक पत्र लिखकर कहा कि राज्य में एससी यानी शेड्यूल कास्ट के लोगों की हालत आदिवासियों से भी बदतर है.
जाहिर तौर पर यह दोनो ही वाक्ये ने सरकार को परेशान किया होगा या फिर चर्चा हुई होगी. और फिर अगले ही दिन मनोज पांडेय ने कह दिया कि गुरूजी है तो गुरूर है. न्यूज 11 के वरिष्ठ संवाददाता और झामुमो बिट को देखने वाले राकेश कुमार कहते हैं कि मनोज पांडेय के इस पोस्टर को सिरे से नकारा नहीं जा सकता. कहीं ना कहीं उन्होंने कांग्रेस को उनकी औकात में रहने की नसीहत दी है. वे आगे बताते हैं कि मनोज पांडेय ने इशारे ही इशारे में वह सब कुछ कह दिया जो झामुमो नहीं कहना चाहती थी.
अब दूसरे पक्ष पर आइए. मनोज पांडेय इकलौते ऐसे शख्स हैं जो पार्टी में प्रवक्ता में रहते हुए सोरेन परिवार की भक्ति में डूबे रहते हैं. रांची का हरमू और सहजानंद चौक पर वो पोस्टर लगाने और इस माध्यम से मुख्यमंत्री की तारीफ करने का कोई भी मौका वे नहीं छोड़ते. न्यूज 11 के वरिष्ठ सहयोगी और कांग्रेस को कवर करने वाले विपिन उपाध्याय कहते हैं कि मनोज पांडेय ने सपने में नहीं सोचा होगा कि उनका यह पोस्टर विवादित हो जायेगा. वे कहते हैं कि हर त्योहार और खास मौके पर वे पोस्टर लगाने के लिए जाने जाते हैं, लेकिन इस बार उनका यह पोस्टर गले की फांस बन गयी. शायद उनको अहसास नहीं रहा होगा कि उनका यह पोस्टर विवाद की वजह बन जायेगी. खैर....
अब दिल्ली चलिए. भाजपा विधायक शशिभूषण मेहता पिछले दिनों दिल्ली गये थे. झारखंड भवन में बकौल विधायक कमरा बुक कराया था. लेकिन कमरा मिला नहीं. और वे झारखंड भवन के पास धरना पर बैठ गये. अपने लोगों से फोटो वायरल कराया. चर्चा मिली. फिर कहा जा रहा है कि राज्य के स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी के हस्तक्षेप से कमरा मिल गया.
अब सवाल यह है कि शशिभूषण मेहता ने इस माध्यम से क्या करना चाहा. बेशक, वो विपक्ष में हैं और सरकार को घेरने का वे कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते. अपने इस वायरल तस्वीर से उन्होंने यह भी साबित करने की कोशिश की है कि झारखंड भवन में भाजपा विधायकों को कद्र नहीं मिलता. भाजपा बिट को कवर करने वाली रूची शर्मा कहती है कि शशिभूषण मेहता विधायक हैं और उन्हें यह बात खल गयी कि माननीय होते हुए पहले से बुक कमरा उन्हें नहीं मिला. और इन सबके बीच वे चर्चा में आ गये. रूचि शर्मा कहती है कि शशिभूषण मेहता विधानसभा सत्र के दौरान भी धरना पर बैठने वालों में सबसे आगे रहते हैं...
दरअसल. दोनो ही तस्वीरों की जरूरत बेवजह तैयार की गयी. एक ने निष्ठा दिखाने के चक्कर में विवाद पैदा कर दिया और दूसरे ने अपने को बेचारा साबित करके राज्य सरकार को घेरने में कोई मौका नहीं छोड़ा.