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रांची/डेस्कः प्रोजेक्ट भवन के सभागार में आज मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 'अबुआ वीर दिशोम अभियान' की शुरुआत की. मौके पर सीएम हेमंत सोरेन और मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने नगाड़ा बजाते हुए कार्यक्रम का शुभारंभ किया. इस दौरान सीएम ने कार्यक्रम में मौजूद अधिकारी और डीसी से दिशोम का मतलब पूछा. वहीं अपने संबोधन में सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि आज से अबुआ वीर दिशोम अभियान की शुरुआत हुई है. मैंने कई बार अपने पदाधिकारियों को कहा है ये राज्य देश के अन्य राज्यों से थोड़ा अलग है. जो काम राज्य गठन के वक्त होना चाहिए था वो आज हो रहा है. खेती-बाड़ी के लिए राज्य में उतनी जमीन नहीं है लेकिन फिर भी हमारे लोग इसी पर निर्भर हैं
सीएम ने कहा कि वनाधिकार अधिनियम बने कितने साल हो चुके हैं मुख्य सचिव ने आपको ये बताया है 20 वर्षो में इस विषय पर विशेष ध्यान रहा ही नहीं. लगता है ये सरकारी काम के व्यवस्था में ये कूड़े के ढेर पर रखा हुआ था. इसलिए इसे मुहिम बनाना पड़ा है दूसरे राज्य में वन पट्टों का वितरण ऐसे हुआ कि आज बोलना अच्छा नहीं लग रहा है. इस काम में अंतर क्यों आता है अधिकारी बताएं, मुझे नहीं लगता आप कुछ ठान लें और वो नहीं हो सकता. सिद्धो-कान्हु वन उपज महासंघ हमने बनाया लेकिन इसको बनाने में भी एक साल लग गया. हमने अगर वन अधिकार पर ध्यान नहीं दिया होता तो ये चर्चा के काबिल भी नहीं रहता.
राज्य में सबसे ज्यादा खनिज संपदा निकलती हैं- सीएम
मुख्यमंत्री हेमंत ने कहा कि आज मैं खरी-खोटी सुनाने को भी तैयार हूं. आपको सब समझना होगा. इस राज्य में सबसे ज्यादा खनिज संपदा निकलती है. जो खेती युक्त जमीन है उससे भी कोयला निकाला जा रहा है. खनन कंपनी इस राज्य को ऐसा कबाड़ करके खनिज निकाल कर छोड़ेंगे जिसका आपको ख्याल भी नहीं है. कल ऐसे खदान का रिक्लेम किया तो क्या मिलेगा. उन्होंने कहा कि जो किसान विस्थापित हो रहे हैं उसका क्या होगा. इसी के चलते बिरसा हरित क्रांति योजना की हमने शुरूआत की है और इसमें हमें सफलता मिल रही है मगर गति धीमी है. हालांकि कई ऐसी चीजें है जिसे आपको अपने जिले में ध्यान देना है. ये आपकी जिम्मेदारी है आप जिले के मुख्यमंत्री है छोटे मोटे आदमी नहीं है.
उन्होंने कहा कि आज पर्यावरण पर चर्चा होती है. आपने देश की राजधानी दिल्ली की स्थिति देखी होगी. वहां स्कूल-कॉलेज बंद हो गये हैं. हमारा आदिवासी समाज पेड़ को कभी नुकसान नहीं पहुंचाता है. हमने बुके (गुलदस्ता) की प्रथा खत्म कर दी है. और पौधा देने की शुरुआत की है डीसी अपने कैंपस से पौधारोपण नहीं किया करते, अगर ऐसा नहीं कर सकते तो आपको बंगला क्यों दे अपार्टमेंट में रहिए, हम इसकी समीक्षा करेंगे, सीएम ने कहा कि गेंदे-गुलाब के फूल लग जाते हैं मगर उपयोगी पेड़ के लिए कदम नहीं बढ़ते. ऐसा क्यों..आज भी कई जगहों पर अंग्रेजों के लगाए पेड़ जिंदा हैं. जिला के पदाधिकारी थोड़ा प्रयास करें. सरकारी घर-दफ्तरों में भी ये काम हो. आने वाले मानव जीवन के लिए ये बहुत जरूरी हैं इससे कोई नुक्सान होने वाला नहीं है.
जंगल की जमीन पर नजर गड़ाए रखते हैं वन विभाग- मुख्यमंत्री हेमंत
सीएम ने कहा कि लोग तो धरती को कब्र बनाने में लगे हुए हैं वन पट्टा को चैलेंज के रूप में लें नहीं तो मामला इस योजना में गड़बड़ होगा. इस कार्यक्रम को पूरा किया गया तो जंगल में अतिक्रमण करने वाले नहीं दिखेंगे. हम शहर में ही अतिक्रमण करने वालों से जूझ रहे हैं. शहर में ये नहीं रूकेगा ललेकिन गांव में रुक सकता है काम को लटकाने के बहुत उपाय है मगर रास्ता निकालने का क्यों नहीं. हमने बहुत कुछ बांटा हैं राशन, पेंशन, धोती. इस अभियान का असर आने वाले समय में दिखेगा. आप जब जिला से मुख्यालय आयेंगे तब आपको इस योजना का पता चलेगा. आदिवासियों की मांग जिसको लेकर भटकते है उसमें कई डीसी ने गड़बड़ी की है मुझसे भी वन पट्टे बंटवाए गए है लेकिन कितना रकबा का. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि आदिवासियों के इतिहास पर ध्यान दें, अंग्रेज आदिवासियों को अपने साथ भी ले गए. जानते हैं क्यों..? क्योंकि इनसे पेड़-पौधा लगवाना था, जंगल को बचाना सबके बस की बात नहीं. वन विभाग से तो नहीं ही होगा. कुछ व्हाट्सएप देखकर मन विचलित होता है. वन विभाग जंगल की जमीन पर नजर गड़ाए रखते है. मेरे पास बोरा भरकर शिकायत है. इनको लेकर बैठा तो कितने लोग नपेंगे पता नहीं. कार्यक्रम में अपने संबोधन के अंत में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्यवासियों को आगामी पर्व दीपावली और छठ की बधाई दी.