न्यूज़11 भारत
रांची/डेस्क: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा नेता चंपाई सोरेन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि आज धनबाद की एक बेटी का एफिडेविट सोशल मीडिया पर वायरल है, जिसमें उसके तथाकथित तौर पर मुस्लिम धर्म अपनाने और शादी करने का जिक्र है. लगातार लव जिहाद कर रहे इन लोगों को कोई बताए कि झारखंड में एफिडेविट पर धर्म परिवर्तन करवाना अथवा शादी करना वैध नहीं है. नीमडीह वाली बेटी की तरह ही, इस बार भी लड़की की उम्र 19 साल बताई जा रही है, जो संदिग्ध है. इन एफिडेविट्स में तस्वीर अथवा कोई भी प्रमाण पत्र नहीं लगा है, तो इस से क्या साबित होता है?
सवाल यह है कि जब झारखंड धर्म स्वतंत्र अधिनियम (2017) के तहत राज्य में धर्म परिवर्तन से पहले जिले के उपायुक्त/ जिलाधिकारी से पूर्वानुमति लेना अनिवार्य है और उसके उल्लंघन पर सजा का भी प्रावधान है, तो फिर सरकार ऐसे धर्मांतरण करने एवं करवाने वालों के खिलाफ कार्यवाई क्यों नहीं करती?
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि नीमडीह में जब लड़का एवं लड़की दोनों एक ही गाँव के रहने वाले हैं, तो फिर तथाकथित धर्म परिवर्तन के लिए आसनसोल और विवाह के लिए वीरभूम (बंगाल) का सर्टिफिकेट क्यों बनवाया गया? झारखंड के नियमों को दरकिनार कर ऐसे फर्जी दस्तावेजों के बल पर क्या साबित करने का प्रयास हो रहा है? किस के संरक्षण में यह गोरखधंधा चल रहा है?
कल बोकारो में बीएसएल प्रबंधन द्वारा कुछ बांग्लादेशी घुसपैठियों को पकड़ा गया एवं उनके घरों को जमींदोज किया गया. लेकिन इन सभी मामलों में राज्य सरकार ऐसे खामोश बैठी है, मानो कुछ हुआ ही नहीं हो. क्योंकि उन्हें हमारे समाज के बिगड़ते ताने-बाने एवं इन बेटियों से ज्यादा अपने वोट-बैंक की चिंता है. इन मुद्दों पर समाज को जागरूक होकर, सख्त कदम उठाना होगा, अन्यथा ऐसी घटनाएं बढ़ती चली जायेंगी. कभी वे लोग प्रेम का झांसा देकर, तो कभी अपहृत कर के जबरन, हमारी बेटियों को ले जाते रहेंगे और राज्य सरकार ऐसे ही मूकदर्शक बनी देखती रहेगी. जागो झारखंड, जागो !