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रांची/डेस्क: गणेश चतुर्थी का पर्व हिन्दू धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है. भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और शुभता का प्रतीक माना जाता है, और उनकी पूजा से जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है. लेकिन, भगवान गणेश की मूर्ति घर लाने और स्थापित करने से पहले कुछ महत्वपूर्ण वास्तु शास्त्र के नियमों का पालन करना चाहिए. इन नियमों का ध्यान रखने से जीवन में सकारात्मकता और शांति बनी रहती है. आइए जानते हैं इन नियमों के बारे में विस्तार से.
मूर्ति का रंग कैसा हो?
गणेश जी की मूर्ति खरीदते समय उसके रंग का विशेष ध्यान रखना चाहिए. सफेद रंग की मूर्ति सबसे शुभ मानी जाती है. सफेद रंग पवित्रता और शांति का प्रतीक होता है, और इस रंग की मूर्ति घर में रखने से घर में शांति, समृद्धि, और सुख का वास होता है.
सूंड की दिशा का महत्व
गणेश जी की मूर्ति की सूंड की दिशा भी महत्वपूर्ण होती है. वास्तु शास्त्र के अनुसार, बाईं तरफ झुकी हुई सूंड वाली मूर्ति को घर में रखना शुभ माना जाता है. इस प्रकार की मूर्ति से घर में समृद्धि, खुशी, और शांति का प्रवाह होता है.
मूर्ति की दिशा
गणेश जी की मूर्ति को रखने के लिए सही दिशा का चुनाव करना आवश्यक है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, मूर्ति को घर के पश्चिम, उत्तर या उत्तर-पूर्वी कोने में रखना सबसे शुभ होता है. इन दिशाओं में मूर्ति रखने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है.
मूर्ति का आसन और मुद्रा
गणेश जी की मूर्ति की मुद्रा भी महत्वपूर्ण होती है. बैठी हुई मुद्रा या ललितासन वाली मुद्रा में मूर्ति को घर में रखना शुभ माना जाता है. इस मुद्रा में गणेश जी की मूर्ति रखने से घर में शांति, संतुलन और आराम की भावना बनी रहती है.
इन जगहों पर न रखें मूर्ति
कुछ स्थानों पर गणेश जी की मूर्ति रखना अशुभ माना जाता है. मूर्ति को बेडरूम, गराज, सीढ़ियों के नीचे या लांड्री के पास रखने से बचना चाहिए. ऐसा करना नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित कर सकता है और जीवन में अशांति का कारण बन सकता है.
गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की मूर्ति घर लाने से पहले इन वास्तु शास्त्र के नियमों का पालन करने से घर में सुख-समृद्धि और शांति का वास होगा. इन नियमों को ध्यान में रखकर गणेश जी की पूजा करने से उनके आशीर्वाद से जीवन में सभी कार्य सफल होंगे और विघ्नों का नाश होगा.