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रांची/डेस्क: अवैध रूप से भारत में प्रवेश और फर्जी दस्तावेज के आधार पर रहने के मामले में गिरफ्तार की गई बांग्लादेशी युवती निपाह अख्तर उर्फ खुशी को न्यायिक दंडाधिकारी पीके वर्मा की अदालत ने पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है. सुनवाई के दौरान आरोपी को हजारीबाग जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश किया गया. उसका बचाव डालसा के एलएडीसी अधिवक्ता बीरेंद्र प्रताप ने किया. बचाव पक्ष की दलीलों और सबूतों के अभाव को देखते हुए अदालत ने निपाह को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया.
यह मामला 31 मई 2024 को बरियातू थाना में दर्ज हुआ था. तत्कालीन थाना प्रभारी सुरेश कुमार मंडल ने प्राथमिकी में निपाह अख्तर के साथ पायल दास उर्फ निम्पी बरुआ और अनिका दत्ता उर्फ शर्मिन अख्तर पर बिना वैध दस्तावेज के सीमा पार कर भारत में घुसपैठ और फर्जी पहचान के सहारे रांची में रहने का आरोप लगाया था. दो आरोपी अब भी फरार हैं और उनका मामला अलग कर दिया गया है.
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, निपाह अख्तर को कोलकाता से ब्यूटी पार्लर में नौकरी दिलाने के बहाने रांची लाया गया था. लेकिन जब उसे यह पता चला कि उसे देह व्यापार में धकेला जाने वाला है, तो उसने बरियातू स्थित राज अपार्टमेंट के छठे तल्ले से भागकर सीधे थाने पहुंचकर अपनी आपबीती सुनाई. उसकी सूचना पर पुलिस ने छापेमारी भी की, लेकिन मामले में उसे पीड़िता की जगह आरोपी बना कर जेल भेज दिया गया. वह करीब चार महीने जेल में रही, बाद में उसे जमानत मिली. अब अदालत के फैसले से निपाह अख्तर को न्याय मिला है.