न्यूज 11 भारत
रांची/डेस्क: ईरान-इजराइल युद्ध में अमेरिका के कूद पड़ने का असर शेयर बाजार पर दिख गया है. दो दिनों के बाद सोमवार को शेयर बाजार खुले थे, लेकिन बाजार खुलते ही 15 मिनट में ही शेयर बाजार में हाहाकार मच गया. इन 15 मिनटों में निवेशकों के 3 लाख करोड़ रुपये डूब गये. बाजार जैसे खुला सेंसेक्स ने 705 अंक का गोता लगा लिया. शेयर बाजार में जो हाहाकार मचा है, वह ईरान-इजराइल युद्ध का असर तो है ही, इस युद्ध में अमेरिका के कूद पड़ने के बाद की स्थितियों का असर ज्यादा पड़ा है, क्योंकि ईरान ने अमेरिका हमले के जवाब में हार्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने का फैसला लिया है. जलडमरूमध्य वह मार्ग है जिससे होकर विश्व भर के व्यापारिक जहाज गुजरते हैं. विश्व भर में कच्चे तेल का जो परिवहन होता है, उसका 20 प्रतिशत इसी मार्ग से होता है. इस जलमार्ग के बंद हो जाने का असर विश्व के उन तमाम देशों पर पड़ेगा जो इस मार्ग से अपना सामान दूसरे देशों में भेजते हैं.
ईरान के इसी फैसले से आज भारतीय सेंसेक्स सदमे में आ गया और कुल मार्केट वैल्यूएशन जो करीब 450 लाख रुपये थी 5 लाख रुपये फिसल गयी. इसी के चलते पहले 15 मिनट में ही निवेशकों के तीन लाख करोड़ डूब गये.
शेयर बाजार के डूबने के ये कारण प्रमुख है
ईरान और इजरायल युद्ध में अमेरिका की दखलअंदाजी तो प्रमुख कारण है ही. अमेरिका की किसी भी मनमानी हरकत का असर विश्व की अर्थव्यवस्था पर तो पड़ता ही है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने जब-जब नया टैरिफ लागू किया तब-तब इसका असर शेयर बाजार पर पड़ा ही है. अब जब कि अमेरिकी विधिवत रूप से मिडिल ईस्ट के युद्ध में कूद पड़ा है, इसकी व्यापक प्रतिक्रिया तो होनी है जो भारत में शेयर बाजार पर पड़ी है.
ईरान का होर्मुज जलडमरूमध्य बंद करने का फैसला इसका बहुत बड़ा कारण है. विश्व के कुल तेल आयात का 20 प्रतिशत इसी मार्ग से होता है. इस मार्ग से बंद हो जाने से तेलों के परिवहन पर को अतिरिक्त बोझ पड़ेगा, इसका असर कई देशों की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा और वहां की जनता की जेब पर भी पड़ेगा. क्योंकि उन देशों में जहां यह तेल पहुंचेगा, वहां इसकी कीमतें तो बढ़ेंगी ही.
मिडिल ईस्ट जहां ईरान-इजराइल युद्ध चल रहा है, विश्व भर में अधिकांश तेलों की सप्लाई यहीं से होती है. ईरान के युद्ध में फंसे रहने का असर वहां के क्रूड तेलों पर भी पड़ेगा. यह असर कीमतों पर तो पड़ेगा ही. क्रूड तेलों पर अतिरिक्त खर्च करने का राजकोषीय असर भी पड़ता है. इससे रुपये के अवमूल्यन का भी खतरा बढ़ता है. रुपये के अवमूल्यन से डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होगा. तो इन्हीं सबका असर शेयर बाजार पर पड़ा है और शेयर बाजार में हाहाकार मच गया.