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रांचीः एमिटी यूनिवर्सिटी यानी चकाचौंध की नयी दुनिया. एमिटी यूनिवर्सिटी को झारखंड सरकार ने पहले निजी विश्वविद्यालय की मान्यता दी थी. लेकिन अब तक इस विश्वविद्यालय का अपना कैंपस नहीं बना है. अब भी विश्वविद्यालय के सारे पाठ्यक्रम भाड़े के बहुमंजिली इमारत में ही चल रहे हैं. कहने को बार-बार उच्च और तकनीकी शिक्षा विभाग को बताया जाता है कि हमें 25 एकड़ जमीन चाहिए. जमीन लेने की प्रक्रिया जरूरी है. 2016 में स्थापित इस विश्वविद्यालय में 12 सौ से अधिक छात्र हैं.
विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ आरके झा के अनुसार कोर कैपिटल एरिया के 10 एकड़ में नया कैंपस बन रहा है. छह साल में कैंपस बना नहीं है. निवारणपुर (ओवरब्रिज), महात्मा गांधी मुख्य पथ के दो किराये के भवन में विश्वविद्यालय के क्रियाकलाप धड़ल्ले से जारी हैं. एमिटी यूनिवर्सिटी भारत के हर शहरों में है और शायद आपके रिश्तेदार या आपके जान पहचान में से किसी का बच्चा होगा जो इस नामी और महंगे कॉलेज में जाता होगा. इस कॉलेज की चकाचौंध को देखा जाए तो यह कॉलेज मिडिल क्लास फैमिली के बच्चों के लिए नहीं लगता है. फिर भी किसी तरह लोग लोन या सेविंग्स बचा कर अपने बच्चों का यहां एडमिशन करवाते हैं.
शायद ही ऐसा पाठ्यक्रम हो जो यूनिवर्सिटी में नहीं पढ़ाया जाता हो
एमिटी झारखंड में एप्लाइड साइंसेस, कॉमर्स, कंप्यूटर साइंस, आइटी, इंजीनियरिंग, लैंग्वेज, मैनेजमेंट, वाइल्ड लाइफ साइंसेस, बायोटेक, कम्युनिकेशन, इकोनॉमिक्स, जर्नलिज्म, लॉ और मास कॉम के फुल टाइम कोर्स संचालित होते हैं. पीजी स्तर के एप्लाइड साइंसेस, कॉमर्स, इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, बायोटेक, कंप्यूटर साइंस और लॉ के पाठ्यक्रम संचालित हो रहे हैं. झारखंड में एमिटी को खुले लगभग छह साल होने जा रहे हैं. एमिटी के ब्रांड को देखकर झारखंड के बच्चे यहां एडमिशन भी ले रहे है. दुनिया भर की पब्लिसिटी और हर चौक-चौराहों पर होर्डिंग्स जिस तरह से लगी हुई है. इसे देख कर लगेगा शायद यहीं से आपके करियर की सही शुरुआत हो सकती है.
इस कॉलेज में एडमिशन के नाम पर न्यूनतम तीन लाख और अधिकतम 10 लाख रुपये तक कोर्स फीस लिया जाता हैं. कोविड के समय ऑनलाइन क्लासेज के नाम से सेमेस्टर के शुल्क में पांच-पांच हजार तक का इजाफा किया गया. अब तो हद ही कर दी गयी है. पास आउट बच्चों से माइग्रेशन, कैरेक्टर सर्टिफिकेट, मार्कशीट के लिए पांच-पांच सौ रुपये लिये जा रहे हैं. लेकिन वसूली पर न तो छात्र और न ही अभिभावक आवाज उठाते हैं.
झारखंड में निजी विश्वविद्यालय खोलने के लिए 25 एकड़ भूमि जरूरी
झारखंड सरकार ने निजी विश्वविद्यालयों के लिए राज्य सरकार ने 25 एकड़ भूमि अनिवार्य शर्त रखी है. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के प्रावधानों के अनुसार किसी भी निजी विश्वविद्यालय के लिए एक लाख सात हजार वर्ग फीट से अधिक का शैक्षणिक कैंपस होना जरूरी है. इसके अलावा प्रशासन और मैनेजमेंट के कार्यों के लिए लगभग 11 हजार वर्ग फीट का प्रशासनिक भवन होना जरूरी है. विश्वविद्यालय में पढ़ रहे कुल बच्चों में से 25 फीसदी स्टूडेंट्स के लिए छात्रावास का रहना जरूरी किया गया है. निजी विवि के संचालन में प्रो. यशपाल बनाम छत्तीसगढ़ मामले में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय बेंचमार्क है. 11 फरवरी 2005 के फैसले में कहा था कि वही निजी विश्वविद्यालय संचालित होंगे, जहां यूजीसी के तय मानकों के हिसाब से इंफ्रास्ट्रक्चर पढ़ाई होगी. पर इसका पालन झारखंड में कहीं नहीं हो रहा है.