झारखंड की 36 जातियों को केंद्र सरकार की अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) सूची में शामिल करने का प्रस्ताव भेजने की मंजूरी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दे दी है. इसके साथ ही उन्होंने राज्य में बीसी-वन, बीसी-टू के रूप में अधिसूचित इन जातियों को केंद्रीय ओबीसी सूची में शामिल करने के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है. अब केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय को अनुरोध पत्र लिखा जाएगा. वहां से मंजूरी के बाद झारखंड की पिछड़ी जातियों को केंद्र सरकार और केंद्रीय उपकरणों की नौकरियों में आरक्षण का फायदा मिलेगा.
आठवीं अनुसूची में शामिल की जाएं जनजातीय भाषा मुंडारी, हो, कुड़ुख
मुख्यमंत्री ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर झारखंड की जनजातीय भाषा मुंडारी, हो और कुड़ुख को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने का आग्रह किया है. सोरेन ने पत्र में कहा है कि झारखंड एक आदिवासी बहुल राज्य है और यहां के एक बड़े क्षेत्र में जनजातीय भाषाएं प्रचलन में हैं. बता दें कि अभी आठवीं अनुसूची में 22 भाषाएं हैं. आठवीं अनुसूची में शामिल होने पर उस भाषा की पहचान बनती है. भाषा के साहित्यकारों व कवियों को प्रोत्साहित किया जाता है. ज्ञानपीठ आदि पुरस्कारों के लिए नामांकित किए जाते हैं.
इन जातियों के नाम भेजेगी सरकार
मंत्रालय को भेजे जा रहे प्रस्ताव में कुड़मी, माहिस्य, मगदा-गौड़ महाकुड़/गोप, ग्वाला, चंद्रवंशी/ रवानी, हजाम, बारी, बागची, राजभट (मुस्लिम), शाह, फकीर, मदार, देवान, शेख, कुम्हार/ कुंभकार, सोय, तिली /एकादश तिली /द्वादश टिली /एकादश तेली/ द्वादश तेली, वागाल/ खंडवाल खंडुवाल खंडाइत, खैरा, परघा/ परीधा/पैरधा / पलीआर, मड़ैया, कुलु/गोराई, सुंडी, वीयार, वेश बनिया एवं एकादश बनिया, ग्वाला (मुस्लिम), जदुपतिया, गोसाई, गिरि सन्यासी ,अतित, अतिथ, परथा, बनिया( रॉकी एवं बियाहूत कलवार, जायसवाल, जैशवार, कमलापुरी, वैश्य, बनिया, माहुरी, वैश्य, बंगी वैश्य, वर्णवाल, गधबनिक/ गधबनिया /ओमर /उमर वैश्य /वर्णवाल/गंधबनिया / गंधबनिक/ ओमर/उमर वैश्य/ बनिया / बनवार), घासी महाकुल/ म्हकुल, सुवर्ण वणिक अष्टलोही कर्मकार, स्वर्णकार, सूत्रधार, जैसवार कुर्मी व चंदेल कुर्मी, राजभाट / ब्रह्मभाट, वैष्णव, पाइक, चासा, क्याली व मलिक (मुस्लिम) जाति को केंद्रीय ओबीसी सूची में शामिल करने का आग्रह किया जा रहा है.