Sunday, May 4 2025 | Time 11:35 Hrs(IST)
  • BJP प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने MGM घटना पर जताया दुख, सोशल मीडिया X पर किया पोस्ट
  • खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 का बिहार में ऐतिहासिक आगाज़
  • NEET UG 2025: नीट यूजी परीक्षा आज, एक गलती ही पड़ सकती है भारी, जानें परीक्षा का समय, ड्रेस कोड, पैटर्न और जरुरी दिशा-निर्देश
  • गर्मी से बचना है तो डाइट में शामिल करें ये 7 ठंडक देने वाले फूड्स, जानें लू से बचने के टिप्स और ट्रिक्स
  • Bihar Job Alert: बिहार में इंजीनियरों के लिए सुनहरा मौका! BPSC ने निकाली 1000 से अधिक पदों पर बंपर बहाली, जानें कैसे करें आवेदन
  • Bihar Job Alert: बिहार में इंजीनियरों के लिए सुनहरा मौका! BPSC ने निकाली 1000 से अधिक पदों पर बंपर बहाली, जानें कैसे करें आवेदन
  • सड़क पर खड़े वाहनों से वसूला गया जुर्माना, एसडीओ ने अतिक्रमण पर कसी लगाम
  • जमशेदपुर: चलती कार में अचानक लगी आग, ड्राइवर की जलकर मौत
  • गुमला में चोरों का आतंक: बंद घर से 57 हजार नकद और जेवरात उड़ाए, पुलिस की गश्ती पर उठे सवाल
  • चारधाम यात्रा करना अब होगा और भी खास! भारत गौरव डीलक्स टूरिस्ट ट्रेन से सिर्फ 17 दिन में करें धार्मिक सफर
  • जाति और आर्थिक जनगणना से अंतिम व्यक्ति तक पहुंचेगा विकास: मंत्री डॉ सुनील
  • पाकिस्तानी राजदूत की एक और हवाबाजी, कहा- भारत ने हमला किया या सिंधु नदी का पानी रोका तो परमाणु हथियारों से मिलेगा जवाब
  • Jharkhand Weather Update: झारखंड में मौसम ने ली करवट! गर्मी से राहत, ओलावृष्टि और बारिश ने बढ़ाई ठंडक
NEWS11 स्पेशल


झारखंडी कला-संस्कृति से भी जुड़ा है टुसू पर्व, जानें कौन और क्यों मनाते है ये पर्व

गांव-गांव में आज हुआ टुसू की स्थापना
झारखंडी कला-संस्कृति से भी जुड़ा है टुसू पर्व, जानें कौन और क्यों मनाते है ये पर्व

कौशल आनंद, न्यूज 11 भारत


रांचीः 15 दिवसीय चलने वाले झारखंड का महत्वपूर्ण स्थानीय त्योहार15 दिवसीय टुसू पर्व का आज से आगाज हो गया. गांव-गांव में आज टुसू स्थापना होगा. कोरोना गाइडलाइन के तहत इस बार मोरहाबादी मैदान में टुसू महोत्सव का आयोजन नहीं किया जा रहा है. मगर गांव-गांव में यह पर्व मनाया जाएगा. कोरोना संक्रमण को देखते हुए आयोजक कोरोना गाइडलाइन के तहत इसके आयोजन का दावा किया है. आज नृत्य संगीत के साथ टुसू को स्थापित किया गया. कुरमाली भाषा परिषद के अध्यक्ष राजा राम महतो ने कहा कि कोरोना संकट के कारण इस बार कोई मेला का आयोजन नहीं किया गया। 15 जनवरी को नव वर्ष के रूप में स्वागत करें. आपसी मतभेद भुलाकर प्रेम व शांति से रहें और सादगी से पर्व मनाएं, यही अपील परिषद ने किया है. 

 

गांव-घर मे ही मनाया जाएगा पर्व

उन्होंने जानकारी दी कि टुसू पर्व झारखंड के स्वाभिमान का पर्व है. झारखंड के पूरे कुरमी समाज व पंचपरगनिया क्षेत्र का टुसू प्रमुख त्योहार है. कोरोना काल के कारण इस वर्ष मोरहाबादी मैदान में मेला का आयोजन नहीं किया गया. मगर कुरमी समाज के घर और गांवों में टुसू महोत्सव मनाएगा.  इस दौरान पारंपरिक नृत्य-संगीत की धूम छायी रहेगी. महिलाओं ने घर में टुसू की स्थापना की और माथे पर टुसू लेकर नृत्य व संगीत का आयोजन किया.

 

दामोदर नदी में लोग लगाते हैं डुबकी

मकर संक्रांति पर तेलमोचो पुल के निकट दामोदर नदी में लोग हजारों की संख्या में आस्था की डुबकी लगाते हैं. टुसू पर्व के रूप में मकर संक्रांति को मनाना स्थानीय लोगों की वर्षों पुरानी परंपरा है. हजारों की संख्या में महिलाएं टुसू के साथ टुसू का गीत गाते हुए दामोदर नदी में पवित्र स्नान करने जाती हैं और टुसू के प्रतीक चुड़ौल को नदी में प्रवाहित करती हैं। नहाकर चावल से बने पीठा व मूढ़ी खाना परंपरा है. मगर

इस बार कोरोना संक्रमण के कारण बहुत ही सीमित संख्या में होने की संभावना है. 

 


 

झारखंडी कला-संस्कृति से भी जुड़ा है टुसू पर्व

रंग-बिरंगे टुसू झारखंड की लोक संस्कृति को दर्शाते हैं. हजारों की संख्या में लड़कियां टोली बनाकर गीत गाती हैं. ‘मकर सिनाय दामोदर चाला’, ‘बिदाई लेती गो टुसु बाला’, ‘मकर सिनाय दामोदर चाला’. ‘ढोल नागाड़ा टुसु साजावा’, ‘आर साजावा पिठाक डाला’, ‘हाला हाला माला पिंधी जीती गो टुसू बाला’, ‘मकर सिनाय दामोदर चाला’ आदि लोकगीतों की धूम रहती है.  

 

कृषि से जुड़ा है टुसू पर्व

टुसू पर्व कृषि से जुड़ा हुआ सबसे बड़ा पर्व है, जिसकी तैयारी एक महीने पूर्व से धान कटनी के बाद से शुरू होती है. टुसू पर्व के संबंध में कहा जाता है कि टुसू कृषक परिवारों के लिए देवी के समान है, जिसका दर्जा मां अन्नपूर्णा लक्ष्मी से की गई है। धान कटनी के बाद खेत से डिनी लाई जाती है और पहले पौष को ही टुसू की स्थापना की जाती है। देवी टुसू मणि को कुंआरी कन्याओं द्वारा प्रतिदिन गेंदाफूलों से पूजन किया जाता है.

 

टुसू को लेकर यह है मान्यता

टुसू न तो किसी राजा महाराजा की बेटी थी और न बहन. कुछ लोग इससे जुड़ी कई काल्पनिक और मनगढ़ंत कहानियां बताते हैं. लेकिन, सत्य नहीं है. टुसू परब फसल कटने के बाद किसानों के लिए खुशी का त्योहार है. सच तो यही है कि जिसकी कृपा से अगहन से पौष मास तक घर-खलिहान धन धान्य से परिपूर्ण हो जाता है। उसे देवी के रूप में पूजे जाने की परंपरा है.

 

टुसू मेला भी होता है आयोजित

टुसू पर्व पर मेला का भी आयोजन होता रहा है. दामोदर नदी के तेलमोचो पुल, बिरसा पुल के अलावा गवाई डैम पिंड्राजोरा, इजरी नदी, सीमाबाद पुल, सुयाडीह के निकट कपाट घाट, पोड़वा फतेहपुर के निकट नौकाघाट, बिनोद सेतु सिंहडीह, तेलीडीह के निकट गरगा नदी सहित दर्जनों जगह पर मकर संक्रांति के दिन टुसू मेला लगता है.

 

विशेष तरह के खान-पान बनते हैं, बाहर के लोग लौटते हैं गांव-घर

कुर्मी बहुल क्षेत्र और पूरे पंचपरगनिया क्षेत्र में इन 15 दिनों में विशेष तरह के पकवान बनाए जाते हैं. चन्ना दाल और गुड़ा का पीठा, मटन, कई प्रकार की सब्जियां बनायी जाती हैं. पूरे 15 दिन लोग एक दूसरे के घर आते-जाते हैँ, मिलते-जुलते हैं. टुसू में जो लोग बाहर में रहते हैं, वे इस पर्व में गांव-घर वापस आते हैं. पूरे 15 दिन लोग गांव-घर में जश्न मनाते हैं. टुसू पर्व के दौरान ही कुंवारे युवक-युवतियों की देखा-देखी और शादी विवाह तय किए जाते हैं. टुसू के बाद वैवाहिक कार्यक्रम भी शुरू होते हैं.
अधिक खबरें
आस्था और अंधविश्वास का संगम: झारखंड के इस जिले में नवरात्र के समय लगता हैं 'भूत मेला', देश कई राज्यों से आते हैं लोग
अप्रैल 05, 2025 | 05 Apr 2025 | 1:02 AM

झारखंड के पलामू जिले के हैदरनगर में नवरात्र के दौरान आयोजित होने वाला "भूत मेला" एक अनूठा आयोजन है, जो आगंतुकों के मन में कई सवाल खड़े करता है. क्या यह मेला गहरी आस्था की अभिव्यक्ति है, या फिर अंधविश्वास की पराकाष्ठा? यह प्रश्न इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि यह आयोजन नवरात्रि जैसे पवित्र समय में होता है, जो देवी की आराधना और सकारात्मकता का प्रतीक है . इस विरोधाभास के कारण, इस मेले का विश्लेषण करना आवश्यक हो जाता है ताकि इसकी जटिलताओं को समझा जा सके.

इस धाम में लगता हैं भक्तों का तांता, झारखंड के प्रमुख तीर्थ स्थलों में हैं शामिल
अप्रैल 06, 2025 | 06 Apr 2025 | 1:44 PM

अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य और पहाड़ों से घिरे कालेश्वरी धाम झारखंड के प्रमुख तीर्थ स्थलों में शुमार है. चैत्र नवरात्र और रामनवमी के मौके पर झारखंड और बिहार के साथ-साथ बंगाल, उड़ीसा सहित अन्य प्रदेशों के भक्त जनों का तांता यहां लगा रहता है. दुर्गा सप्तशती कथा में भी मां कालेश्वरी का भी वर्णन मिलता है जिससे श्रद्धालुओं की अटूट श्रद्धा कालेश्वरी धाम के प्रति है.

युवा उद्यमियों ने बदल दी जिला की फिजा, अब विदेशों में लोग चखेंगे चतरा के शुद्ध देशी चावल का स्वाद..
अप्रैल 03, 2025 | 03 Apr 2025 | 10:22 AM

झारखंड राज्य के सबसे पिछड़े जिलों में सुमार चतरा को जल्द ही एक बड़े उद्योग निजी उद्योग की सौगात मिलने वाली है. जिससे न सिर्फ यहां के सैकड़ो हुनरमंद हाथों को स्थानीय स्तर पर रोजगार मिलेगा, बल्कि चतरा के शुद्ध देशी गांवों से निकलने वाले धान के चावल का स्वाद अब देश के साथ-साथ विदेश के लोग भी चख सकेंगे.

झारखंड में लगातार बढ़ रहा है भूकंप का खतरा ! देखिए ये Special Report
अप्रैल 02, 2025 | 02 Apr 2025 | 5:09 PM

झारखंड में अब तक का सबसे बड़ा भूकंप 31 जुलाई 1868 को हजारीबाग क्षेत्र में आया था. तब से लेकर अब तक झारखंड में 4 से 5 रिक्टर स्केल का भूकंप लगातार आता रहा है. भूगर्भ वैज्ञानिकों के मुताबिक जिस गति से झारखंड में खनन हो रहा है और खदानों में पानी भरा जा रहा है, झरखंड में भी भूकंप का खतरा बढ़ रहा है.

तलाक के बाद एलिमनी की रकम कैसे तय होती है? क्या पति को भी मिल सकता है गुजारा भत्ता?
मार्च 20, 2025 | 20 Mar 2025 | 8:16 AM

भारत के स्टार क्रिकेटर युजवेंद्र चहल (Yuzvendra Chahal) और धनश्री वर्मा (Dhanashree Verma) के तलाक के बाद, चहल को कोर्ट के आदेश पर 4.75 करोड़ रुपये की एलिमनी राशि चुकानी है. अब तक उन्होंने करीब 2.30 करोड़ रुपये चुका दिए हैं, और बाकी की रकम जल्द अदा करेंगे. यह पहला मामला नहीं है जब तलाक के बाद एलिमनी की मोटी रकम चर्चा में आई हो, चाहे वह हॉलीवुड के सेलिब्रिटी हों या बॉलीवुड के हाई-प्रोफाइल ब्रेकअप. तलाक और एलिमनी की रकम हमेशा से खबरों में बनी रहती है.