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रांची/डेस्क: क्या तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस सांसद शशि थरूर भाजपा में शामिल होने वाले हैं! ऐसी अटकलें लगने लगी हैं. हालांकि अटकलें बहुत पहले से लग रही हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि पिछले कुछ समय से शशि थरूर और कांग्रेस आलाकमान के रिश्ते अच्छे नहीं चल रहे हैं. इस दौरान शशि थरूर पीएम मोदी के फेवर में कई बार बोलते भी नजर आये. इतना ही नहीं, जब ऑपरेशन सिंदूर के बाद केन्द्र सरकार ने सर्वदलीय 7 प्रतिनिधिमंडलों को विदेश भेजा, उसमें सबसे महत्वपूर्ण दल, जो अमेरिका भी गया, उसमें शशि थरूर भी शामिल थे. कहने को तो वह कांग्रेस सांसद हैं, लेकिन बता दें कि इन प्रतिनिधिमंडलों में कांग्रेस ने अपने किसी भी सांसद का नाम प्रस्तावित नहीं किया था।
प्रतिनिधिमंडलों का विदेश दौरा समाप्त हो चुका है, और सभी सांसद वापस लौट चुके हैं. वापस आने के बाद तिरुवनन्तपुरम से 4 बार के सांसद शशि थरूर ने कांग्रेस को लेकर एक बयान भी दे दिया है. उन्होंने पहली बार स्वीकार किया कि उनके और कांग्रेस पार्टी के बीच रिश्ते सही नहीं चल रहे हैं. अपनी पीड़ा बताते हुए शशि थरूर ने यहां तक कहा कि जो भी विवाद थे, उन्हें सुलझाया जा सकता था, लेकिन पार्टी की ओर से कोई प्रयास नहीं किया गया.शशि थरूर की एक पीड़ा यह भी है कि गुरुवार को ही खत्म हुए नीलांबुर विधानसभा उपचुनाव के प्रचार के भी काबिल उन्हें नहीं समझा गया.
अब जबकि शशि थरूर ने इतनी बड़ी बात कह दी है तो इसके दो ही मतलब निकाले जा सकते हैं या तो थरूर अपनी मर्यादा को ताक पर रखकर पार्टी में बने रहें या फिर पाला बदल लें. जहां तक पाला बदलने की बात है तो लम्बे समय से इसकी चर्चा भी हो रही है कि भाजपा उनका अगला ठिकाना हो सकती है. पीएम मोदी के साथ उनकी कुछ मुलाकातें भी हुई हैं और इन मुलाकातों के बाद उन्होंने पीएम मोदी की तारीफ भी की. उसी का नतीजा है कि उन्हें 7 प्रतिनिधिमंडलों में से एक प्रतिनिधिमंडल का मुखिया बनाकर विदेश भेजा गया. हालांकि इस पर उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने इसके लिए उनकी सेवा मांगी जिसका देश का एक नागरिक होने के नाते अपना कर्तव्य मानकर स्वीकार किया.
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