श्रीकांत/न्यूज11 भारत
गिरीडीह/डेस्क: झारखंड की पहचान जल, जंगल और जमीन, खूबसूरत वादियों और प्रकृति की खूबसूरती से होती है, लेकिन जब बात जल, जंगल, जमीन और जीवन के अस्तित्व की हो तो विरोध लाजमी है. इसकी बानगी गिरिडीह सदर प्रखंड के औद्योगिक क्षेत्र चतरो में देखने को मिली, जहां प्रदूषण के विरोध में सैकड़ों महिला-पुरुष हाथों में तख्तियां और पारंपरिक हथियार लेकर फैक्ट्री के सामने धरने पर बैठ गये.
फैक्ट्री से फैल रहे प्रदूषण के विरोध में स्थानीय ग्रामीण हाथों में तख्तियां लेकर सड़कों पर उतर आये और नारे लगाये. ग्रामीणों का आरोप है कि उक्त फैक्ट्री से फैल रहे प्रदूषण से पूरा गांव प्रभावित है. फ़ैक्टरी प्रदूषण के कारण गांव के अधिकांश लोगों में त्वचा रोग, नेत्र रोग और श्वसन रोग बढ़ रहे है. ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने प्रशासन के नुमाइंदों समेत तमाम दरवाजे खटखटाए लेकिन कोई समाधान नहीं निकला जिसके चलते मजबूरन उन्हें सड़क पर उतरना पड़ा. ग्रामीणों ने कहा कि हमारी एक ही मांग है कि हमें जहरीले धुएं से मुक्ति दिलायी जाये और प्रदूषण की जेल से मुक्ति दिलायी जाये.
ग्रामीण इतने गुस्से में हैं कि वोट का बहिष्कार करने की भी बात कर रहे है
बताया गया कि ग्रामीण समूह ने चतरो स्थित अतिबीर इंडस्ट्रीज, बालमुकुंद स्पंज आयरन, वेंकटेश्वर आयरन एंड स्पंज, निरंजन मेटालिक लिमिटेड फैक्ट्री के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. मौके पर प्रखंड विकास पदाधिकारी स्थानीय मुफस्सिल थाने की पुलिस के साथ मौके पर पहुंचे और ग्रामीणों को समझाने का प्रयास किया लेकिन ग्रामीण अपनी मांग पर अड़े रहे. उन्होंने कहा कि हर बार आश्वासन देकर हमें बीमार बनाया जा रहा है और हमारी जान को खतरा है. मैं धीरे-धीरे इसमें लीन होता जा रहा हूं'.
पिछले दिनों ग्रामीणों की शिकायत पर
गिरिडीह सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी और DC नमन प्रियेश लकड़ा के नेतृत्व में फैक्ट्री संचालकों के साथ बैठक हुई. इस दौरान उद्योग विभाग के महाप्रबंधक और उद्योग जगत से जुड़े लोग मौजूद थे. बैठक के दौरान सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी ने सभी फैक्ट्री संचालकों से हर कीमत पर प्रदूषण के खिलाफ काम करने का आग्रह किया. लोगों के स्वास्थ्य पर इसका बुरा असर न पड़े, इसके लिए बैठक में इस बात की भी समीक्षा की गयी कि सीएसआर मद में खर्च की जा रही राशि गाइडलाइन के अनुरूप खर्च हो रही है या नहीं. साथ ही फैक्ट्रियों में 75 प्रतिशत स्थानीय लोगों को काम पर लिया जा रहा है या नहीं, इसकी भी समीक्षा की गयी और 15 दिनों के अंदर सभी कमियों को दूर करने का निर्देश दिया गया.