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झारखंड


गढ़वा जिले के कंचनपुर गांव के कॉलोनी भुइयां टोला की जमीनी हकीकत, नहीं पहुंची सरकार की योजनाएं

40 घरों की जिंदगी टूट -फूटी घरों में, 35 वर्षों में न आवास मिला
गढ़वा जिले के कंचनपुर गांव के कॉलोनी भुइयां टोला की जमीनी हकीकत, नहीं पहुंची सरकार की योजनाएं

अरुण कुमार यादव/न्यूज़11 भारत


गढ़वा/डेस्क: गढ़वा जिले के रंका प्रखंड कार्यालय से महज 100 मीटर दूर कंचनपुर गांव के कॉलोनी भुइयां टोला की हालात आज तक नहीं बदली है. इस टोले में आज भी बिजली, पानी, शिक्षा, चिकित्सा जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे है. इस टोले में 35 वर्ष पूर्व 40 लोगों को इंदिरा आवास बना कर मिला था. तत्कालीन मुखिया पारसनाथ पांडेय ने 40 इंदिरा आवास के तहत एक-एक कमरा का घर बना कर रहने लिए दिया गया था. अब यह आवास जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है. आवास अब रहने लायक नहीं है. जंगल की सुखी झाड़ियों को घेराबंदी कर बांस - बल्ली में खपड़ा लगाकर झोपड़ी बना लिए हैं. खानाबदोश की तरह जिंदगी गुज़र-बसर करते है. ये अपने झारखंड की अनुसूचित जाति के भुइयां जाति के है. इस टोले में 40 चुल्हे जलते है. आबादी लगभग 250 है. इसमें 200 मतदाता है. इस टोले के चप्पे-चप्पे में गरीबी व तंगहाली है. कंचनपुर पंचायत शत प्रतिशत ओडीएफ व विद्युतीकरण रंका प्रखंड की सच्चाई बयान करती है. शौचालय बना है, शौचालय बनते के साथ पैन-पौदान व सोखता ध्वस्त हो गया है. शौचालय लकड़ी रखने के लिए उपयोग होता है. इस कारण लोग खुले में शौच करने को मजबूर है. बिजली के तार व पोल लगा दिए गए है. लेकिन कनेक्शन नहीं मिला है. इस टोले में आज भी ढिबरी युग में जीने को विवश हैं. 

 

न वृद्धा, न विधवा पेंशन, न अनाज, गढ़वा-रंका विधानसभा क्षेत्र की इस टोले की झोपड़ी व मिट्टी नुमा इनकी गरीबी की दास्तां बयान करती है. इस टोले में सामाजिक सुरक्षा के लिए चलाइ जाने वाली योजना का लाभ लोगों को नहीं मिलता है. एक दर्जन वृद्ध को वृद्धा, विधवा पेंशन नहीं मिलता है. एक-दो परिवार को जन वितरण प्रणाली के दुकान से अनाज नहीं मिलता है. शिवरतन भुइयां व उसकी पत्नी कलावती देवी ने बताया कि उसे वृद्धा पेंशन नहीं मिलता है. प्रखंड कार्यालय व मुखिया के पास कितने बार आवेदन दिए. परंतु पेंशन चालू नहीं हुआ. वहीं टोले में कुछ महिलाओं को विधवा पेंशन नहीं मिलता है. राजेश भुइयां ने बताया कि उसका आधार कार्ड नहीं बना है. इस कारण राशन नहीं मिलता है. उसने कहा कि वह बाहर मजदूरी करने गया था. वहीं उसका आधार कार्ड खो गया. अब नया आधार कार्ड नहीं बन रहा है.

 

35 वर्ष पूर्व पूर्व सांसद स्व कमला कुमारी ने भूमि दिलाने का आश्वासन दिया था. शिवरतन भुइयां, जगती कुंवर ने कहा कि 35 वर्ष पूर्व वर्ष 1988-90 में 40 इंदिरा आवास उद्घाटन करने पहुंची सांसद स्व कमला कुमारी ने लोगों को एक-एक बीघा भूमि देने का आश्वासन दिया था. लेकिन अब तक भूमि नहीं मिला. अभी तक 40 परिवार भूमिहीन है. इन परिवारों को जमीन देने के लिए प्रशासन तत्परता दिखाता तो कई रास्ते थे. गैरमजरूआ जमीन की बंदोबस्ती से लेकर भूदान की सैकड़ों एकड़ जमीन पड़ी थी. अब सभी जमीन जमीनदारों व पुंजि पत्तियों ने बंदोबस्त करा ली है. ये योजनाएं अब तक नहीं मिली, सोना कुंवर, जगती कुंवर, भगमनिया देवी, संजु देवी ने कहा कि टोले के लोग 35 वर्ष पुराने बने इंदिरा आवास में जंगल की सुखी झाड़ियों से घेराबंदी कर रहने को विवश है. अभी तक प्रधानमंत्री आवास, अबुआ आवास नहीं मिला है. दो परिवारों को राशनकार्ड नहीं बना है.

 


 

जन-धन योजना के तहत बैंकों में खाता, एक दर्जन परिवारों को उज्जवला योजना के तहत मुफ्त गैस कनेक्शन, मुफ्त बिजली कनेक्शन, आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना, पेयजल के लिए योजना, सौभाग्य योजना का लाभ नहीं पहुंचा है. कॉलोनी भुइयां टोला में एक चापाकल है. गर्मी आते ही पानी भूमिगत हो गया है. रूक-रूक कर पानी आता है. आधा किलोमीटर दूर चापाकल से पानी लाकर पीने को विवश हैं. 

 

वोटर कार्ड-आधार कार्ड है

पार्टियों ने इनसे वोट भी लिया इन दलित भुइयां जाति के पास वोटर आईडी कार्ड और आधार कार्ड है. राजनीतिक दल के लोग चुनाव के समय पहुंचते हैं. और हर चुनाव में वोट करते हैं. वोट के समय नेता आते हैं. वोट मांगते है. चुनाव जीतने के बाद नहीं आते है. लोगों ने कहा कि सांसद कमला कुमारी के बाद अबतक कोई सांसद, विधायक नहीं पहुंचे है. कभी कुछ नहीं मिला. उन्होंने कहा कि गरीबी व तंगहाली के कारण 50-60 युवा चेन्नई, हैदराबाद, पुणे काम करने चले गए हैं. इस बार लोकसभा चुनाव में उनका वोट नहीं पड़ेगा.
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