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झारखंड


BBMKU में स्व. बिनोद बिहारी महतो की प्रतिमा का राज्यपाल ने किया अनावरण, पढिए पूरा सम्बोधन

BBMKU में स्व. बिनोद बिहारी महतो की प्रतिमा का राज्यपाल ने किया अनावरण, पढिए पूरा सम्बोधन

न्यूज़11 भारत

रांची/डेस्क: बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय, धनबाद में स्व. बिनोद बिहारी महतो की प्रतिमा के अनावरण समारोह के अवसर पर राज्यपाल-सह-झारखण्ड राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति संतोष कुमार गंगवार  के सम्बोधन के मुख्य बिन्दु:-
 
जोहार! नमस्कार!
 
1. बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय, धनबाद में आज आयोजित इस समारोह में आप सभी के मध्य सम्मिलित होकर मुझे अपार हर्ष हो रहा है. यह अवसर केवल एक प्रतिमा के अनावरण का नहीं, बल्कि एक युगपुरुष के संघर्ष, विचार और प्रेरणा को स्मरण करने का है.
2. मैं स्व. बिनोद बिहारी महतो जी को श्रद्धापूर्वक नमन करता हूँ, जिन्होंने समाज में शिक्षा, श्रम और आत्मगौरव के महत्व को सशक्त रूप में स्थापित करने की दिशा में अहम योगदान दिया. उनकी स्मृति में स्थापित यह प्रतिमा आने वाली पीढ़ियों को यह संदेश देती रहेगी कि कठिनाइयों में भी आत्मबल, समर्पण और शिक्षा से परिवर्तन संभव है. वे न सिर्फ़ कोयलांचल क्षेत्र के गौरव थे, बल्कि झारखंड की सामाजिक चेतना के अग्रदूत भी थे.
3. मुझे प्रसन्नता है कि इस विश्वविद्यालय का नाम स्व. बिनोद बिहारी महतो जी के नाम पर रखा गया है. छात्रहित को देखते हुए इस विश्वविद्यालय की स्थापना इस उद्देश्य के साथ की गई थी कि विद्यार्थियों और विश्वविद्यालय प्रशासन के मध्य दूरियाँ कम हो. विश्वविद्यालय विद्यार्थियों से जुड़ी हर पहलू का निरंतर बारीकी एवं नज़दीकी से अनुश्रवण कर सकें तथा संवाद बेहतर हों.   
4. आज हम जिस समय में हैं, वह केवल डिग्री हासिल करने तक का नहीं, उत्कृष्टता (Excellence) हासिल करने का समय है. मैं मानता हूँ कि विश्वविद्यालयों को इस दिशा में स्वयं को एक आदर्श संस्थान के रूप में विकसित करना होगा, विद्यार्थियों की समस्याएँ, चाहे वह प्रमाण पत्र की हो, परीक्षा परिणाम की हो या प्रशासनिक प्रक्रिया की, सभी के लिए सरल, पारदर्शी और समयबद्ध व्यवस्था सुनिश्चित की जाए. विश्वविद्यालयों को चाहिए कि वे शैक्षणिक कैलेंडर का सख्ती से पालन करें. छात्रों को यह महसूस हो कि विश्वविद्यालय उनके भविष्य को लेकर चिंतित है. 
5. राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में मैं यह स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूँ कि वर्तमान में राज्य की उच्च शिक्षा की स्थिति से मैं पूरी तरह संतुष्ट नहीं हूँ, लेकिन शिक्षण संस्थानों में सुधार लाने हेतु मैं पूर्णतः प्रतिबद्ध हूँ. रिक्त कुलपति पदों की नियुक्तियाँ समयबद्ध तरीके से पूरी की जा रही है. आशा करता हूँ कि वे अपने दायित्वों का निष्ठापूर्वक निर्वहन करेंगे. जहाँ कुलपति या प्रतिकुलपति का कार्यकाल समाप्त हो रहा है, वहाँ नियुक्ति प्रक्रिया पहले ही शुरू की जा चुकी है, ताकि समय पर नियुक्ति हो सकें. 
6. आज यहाँ समारोह में माननीय मुख्यमंत्री जी भी उपस्थित हैं. मैं उनसे विशेष अनुरोध करता हूँ कि राज्य की उच्च शिक्षा को और अधिक सुदृढ़ बनाने हेतु सार्थक पहल करें. विश्वविद्यालयों में नियुक्ति प्रक्रिया में गति लाने हेतु झारखण्ड लोक सेवा आयोग को आवश्यक निदेश दिये जाएँ. राज्य के विश्वविद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शैक्षणिक वातावरण के लिए शिक्षकों, विश्वविद्यालय पदाधिकारियों एवं गैर शिक्षकेतर कर्मियों की नियुक्ति अत्यन्त ही आवश्यक हैं. 
7. मैं यह भी समझता हूँ कि समस्याओं को लेकर बहुत से लोग मेरे पास आते हैं,  लेकिन समाधान की दिशा में समन्वित प्रयास कम दिखते हैं. विद्यार्थी का कार्य है पढ़ना, शिक्षक का कार्य है पढ़ाना और विश्वविद्यालय प्रशासन का कार्य है इन दोनों के बीच सेतु बनाकर सभी के लिए बेहतर वातावरण तैयार करना, तो ऐसा क्यों नहीं होता है? जब सभी अपने-अपने दायित्वों को समझकर टीम भावना से कार्य करेंगे, तब ही हम वास्तविक सुधार की दिशा में अग्रसर हो सकेंगे. 
8. मैं प्रायः विभिन्न शिष्टमंडलों, शिक्षाविदों और छात्र प्रतिनिधियों से उच्च शिक्षा में सुधार हेतु सुझाव मांगता हूँ. झारखण्ड राज्य की भूमि वीरों की रही हैं, इस माटी के स्वतंत्रता सेनानियों ने तीर-कमान से भी अत्याचारियों का डटकर मुकाबला किया. यह भूमि खनिज संपदा से समृद्ध है, पर इससे भी अधिक महत्त्वपूर्ण हमारी युवा संपदा है, जिसे सही दिशा, कुशलता और प्रेरणा देने का कार्य हमारे विश्वविद्यालयों को करना है. यदि हम अपनी युवा शक्ति को आत्मनिर्भर, दक्ष और नवोन्मेषी बना सके, तो यही झारखण्ड भविष्य में ज्ञान और कौशल का गढ़ बनकर उभरेगा और अपने कार्यों से कीर्तिमान रचेगा. 
9. एक विश्वविद्यालय की पहचान उसकी शोध गुणवत्ता, नवाचार और विद्यार्थियों की सफलता से होती है. हमें ऐसी शोध को बढ़ावा देना होगा जिसमें मौलिकता हो, सामाजिक सरोकार हो तथा वह देश की प्रगति में सहायक बने. आज का युग ज्ञान का युग है और ज्ञान का सबसे बड़ा केंद्र हमारे शिक्षण संस्थान हैं. हमें ऐसा वातावरण निर्मित करना होगा कि विद्यार्थियों को अन्य प्रदेशों में जाने की जरूरत महसूस न हो, बल्कि देशभर से विद्यार्थी यहाँ पढ़ने के लिए आयें.
10. विश्वविद्यालय में एक प्रभावी कैम्पस प्लेसमेंट सेल हो, उद्योगों के साथ साझेदारी बढ़े, शिक्षक अपने आचरण से प्रेरक बनें, गुरू-शिष्य संबंध सशक्त हों और संस्थान का वातावरण स्वच्छ, निर्भीक और नवाचार-उन्मुख हो. इन सभी पहलुओं  की ओर विश्वविद्यालय को ध्यान देना आवश्यक है.
11. माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का "विकसित भारत @2047" का दृष्टिकोण सभी के लिए मार्गदर्शक है. इसके केंद्र में शिक्षा, नवाचार, आत्मनिर्भरता, और युवा शक्ति है. मुझे विश्वास है कि हमारे राज्य के विश्वविद्यालय इस मिशन में अग्रणी भूमिका निभाएंगे. 
12. एक विश्वविद्यालय केवल डिग्री प्रदान करने का केंद्र नहीं होना चाहिए. वह सामाजिक बदलाव का वाहक, चरित्र निर्माण का केंद्र और सार्वजनिक चेतना का प्रकाश-स्तंभ हो. विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा केवल उसकी इमारतों से नहीं, बल्कि उसके विद्यार्थियों की सोच, शिक्षकों की निष्ठा और शोध की गुणवत्ता से बनती है. 
 
अंत में, राज्यपाल संतोष गंगवार ने कहा कि मैं विश्वविद्यालय परिवार को शुभकामनाएँ देता हूँ. आइये, हम सभी मिलकर इस विश्वविद्यालय को देश के श्रेष्ठतम शैक्षणिक संस्थानों की पंक्ति में खड़ा करें और झारखण्ड को एक ‘सशक्त एजुकेशन हब’ के रूप में विकसित करें. जय हिन्द!   जय झारखण्ड!
 
 

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