प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: संविधान सभा ने 14 सितंबर 1949 को देवनागरी लिपि में लिखी हिन्दी भाषा को संघ की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया था. इस निर्णय के बाद हिन्दी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के अनुरोध पर वर्ष 1953 से पूरे भारत में 14 सितंबर को हिन्दी दिवस बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता हैं. इस मौके पर स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय व सरकारी दफ्तरों मे हिन्दी पखवाड़े के तहत वाद-विवाद, हिन्दी निबंध लेखन, कविता, पाठ आदि का आयोजन किया जाता हैं. सीमा सुरक्षा बल मेरू कैम्प में के एस बन्याल, महानिरीक्षक, सीसुबल हजारीबाग के तत्वावधान में 14 सितंबर से लेकर 28 सितंबर को हिन्दी पखवाड़े के रूप में बड़े ही उत्साह के साथ मनाया गया.
इस पखवाड़े में सीमा प्रहरियों के लिए हिन्दी निबंध लेखन, हिन्दी टंकण प्रतियोगिता, हिन्दी प्रश्नोत्तरी एवं हिन्दी टिप्पणी/आलेखन प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया. हिन्दी दिवस मुख्य समारोह के अवसर पर मेरू कैंप स्थित प्रशासनिक भवन परिसर में सभी कार्मिकों को सरकारी कार्य हिन्दी में करने की महानिदेशक की अपील सभी को पढ़कर सुनाई गई. इस अवसर पर मेरू कैंप के सभी अधिकारी, अधीनस्थ अधिकारी व अन्य कार्मिक उपस्थित रहे. राकेश रंजन लाल, उप महानिरीक्षक ने अपने संबोधन में कहा हिन्दी को संघ की राजभाषा के रूप में स्वीकार किये जाने के 75 वर्ष पूर्ण हो गए है, राजभाषा विभाग द्वारा इसे राजभाषा हीरक जयंती के रूप में मनाया जा रहा हैं. हिन्दी हमारी राष्ट्र भाषा है और राजभाषा के रूप में हिन्दी का अधिकतम प्रयोग किए जाने के लिए हमें अपने सरकारी कामकाज मे हिन्दी का अधिक से अधिक प्रयोग करने का भरसक प्रयास करना चाहिए. उन्होने कहा कि आज का युग कम्प्यूटर का युग है, अब कम्प्यूटर और अन्य हिन्दी सॉफ्टवेयर की उपलब्धता के फलस्वरूप हिन्दी में कार्य करना पहले से और अधिक सरल हो गया हैं. अब केवल टंकण से ही नही बल्कि बोलकर भी कम्प्यूटर पर हिन्दी में टंकण कार्य किया जा सकता हैं.
महोदय ने कहा कि यह हर्ष का विषय है कि सरकारी काम-काज हिन्दी में किए जाने में लगातार प्रगति हो रही हैं. मुझे यह बताते हुए बड़ा हर्ष हो रहा है कि सीमा सुरक्षा बल में 2023-24 के दौरान सर्वाधिक एवं उच्च कोटि का कार्य हिन्दी भाषा में करने के लिए प्रशिक्षण केन्द्र एवं विद्यालय ने सभी प्रशिक्षण संस्थानों में तीसरा स्थान प्राप्त किया हैं. हमें थोड़ा औरा हिन्दी का प्रयोग बढ़ाकर अगले वर्ष पहला स्थान सुनिश्चित करना हैं. हिन्दी भाषा हमारी अस्मिता की पहचान है और सभी अधिकारी एवं कार्मिक अपनी राजभाषा में कार्य करके अपने को गौरवान्वित महसूस करें. प्रशिक्षण केन्द्र एवं विद्यालय, मेरू कैम्प इस अथक प्रयास को निरंतर करता रहेगा.