/न्यूज 11 भारत
रांची/डेस्क: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पहले साइप्रस यात्रा, फिर कनाडा में जी7 शिखर सम्मेलन में भागीदारी के बाद अब अपने तीसरे पड़ाव क्रोएशिया के लिए निकल पड़े हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तीनों देशों की यह यात्रा काफी महत्वपूर्ण है. पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद से उपजे वैश्विक हालत में अपने लिए अधिक समर्थन जुटाने की मोदी बड़ी कूटनीतिक तैयारी कर चुके हैं. इसी का हिस्सा साइप्रस, कनाडा और क्रोएशिया की यात्राएं हैं. पीएम मोदी की साइप्रस की यात्रा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि साइप्रस तुर्की का विरोधी देश तो है ही, साथ ही आतंकवाद के मुद्दे पर वह कई बार भारत के साथ खड़ा नजर आया है. बता दें कि तुर्की के कारण ही साइप्रस को दो भागों में बंटना पड़ा था, इसका दर्द साइप्रस को हमेशा सालता है. इसीलिए आतंकवाद पर जब पीएम मोदी तुर्की को घेरने की योजना बना रहे हैं तो इसमें साइप्रस का साथ उनके लिए बेहद जरूरी है. इसके अलावा पीएम मोदी की इस यात्रा से भारत और साइप्रस के बीच व्यापार, निवेश समेत अन्य सहयोगी सम्बंधों की शुरुआत होने वाली है.
आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कनाडा यात्रा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है. क्योंकि यही कनाडा जस्टिन ट्रूडो के समय भारत को आंखें दिखा रहा था, लेकिन नये प्रधानमंत्री मार्क कोर्नी ने न सिर्फ भारतीय प्रधानमंत्री को इज्जत के साथ जी7 शिखर सम्मेलन में आमंत्रित करने के लिए कनाडा आमंत्रित किया, बल्कि एक ऐसा मार्ग भी खोल दिया है जिसके सहारे भारत कनाडा के खालिस्तानी आन्दोलनों पर नकेल कस सके.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र का तीसरा पड़ाव क्रोएशिया भी आने वाले दिनों में अब भारत का बड़ा सहयोगी बनने जा रहा है. सबसे पहले यह बता दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी क्रोएशिया जाने वाले पहले प्रधानमंत्री हैं. पीएम मोदी ने अगर क्रोएशिया को अपना नया साथी बनाने का मन बनाया है तो यह जरूर उन्होंने कोई दूर की कौड़ी वाली सोच होगी. पीएम मोदी ने क्रोएशिया की ओर यूं ही रुख नहीं किया है. साइप्रस की ही तरह क्रोएशिया भी यूरोपीय संघ (EU) का हिस्सा है. इससे यह तो साफ हो जाता है कि साइप्रस और क्रोएशिया के सहारे पीएम मोदी यूरोपीय संघ में अपनी पैठ बनाना चाहते हैं. जाहिर है पीएम मोदी की इस यात्रा से भारत और यूरोपीय संघ और नजदीक आयेंगे. फिर यूरोपीय देशों में क्रोएशिया ने तकनीक, विज्ञान, ऊर्जा आदि के क्षेत्र में काफी तरक्की भी कर ली है. इसलिए इन क्षेत्रों में भविष्य में दोनों देशों में आपसी सहयोग बढ़ेंगे. फायदा तो क्रोएशिया का भी होगा. भारत के सहयोग से क्रोएशिया की यूरोपीय देशों में बड़ी पैठ बन सकती है. बाल्कन क्षेत्र में होने के कारण क्रोएशिया भारत के लिए यूरोप और पश्चिम एशिया में पुल का काम कर सकता है.
कुल मिलाकर भारत की तीनों देशों की यात्रा करने के बाद भारत को तीन अच्छे सहयोगी मिल जायेंगे जो आतंकवाद पर तो इसका समर्थन करेंगे ही, कई क्षेत्रों में एक दूसरे के सहायक सिद्ध होंगे.
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