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रांची/डेस्क: गिरिडीह के पारसनाथ पहाड़ को संथाल आदिवासियों का धार्मिक तीर्थ स्थल घोषित कर इसके संरक्षण और निगरानी की जिम्मेवारी ग्राम सभा को देने की मांग को लेकर फागू बेसरा आज राज्यपाल से मिले और उन्हें ज्ञापन सौंपा. फागू बेसरा ने बताया कि पारसनाथ पर्वत को संथाल आदिवासी ‘मरांग बुरू’ यानी ईश्वर के रूप में पूजते हैं और यह स्थान पीरटांड इलाके में स्थित है.
उन्होंने बताया कि इस पर्वत की चोटी पर "युग-जाहेर थान (सरना)" और तलहटी में "दिशोम माँझी थान" स्थित है. हर साल दो प्रमुख अवसरों पर यहां पारंपरिक बोंगा पूजा होती है. फागुन शुक्ल पक्ष की तृतीय तिथि को युग-जाहेर दिशोम बाहा पूजा और बैशाख पूर्णिमा को धार्मिक शिकार सेन्दरा तथा लॉ-बीर बैसी का आयोजन किया जाता है.
सेन्दरा में बीमार और कमजोर वन्य जीवों का शिकार परंपरा के अनुसार किया जाता है और लॉ-बीर बैसी में आपसी विवादों का निपटारा माँझी-परगना द्वारा होता है. उन्होंने कहा कि छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम 1908 के तहत संथाल आदिवासियों को इस भूमि पर परंपरागत अधिकार प्राप्त हैं, लेकिन अब इन परंपराओं का उल्लंघन हो रहा है.