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सिमडेगा/डेस्कः- सिमडेगा के मुस्लिम बाहुल इलाके खैरन टोली मदरसे के पास रहने वाली सबकी बांधो फुफू नहीं रहीं. बिल्कुल अकेली रहने वाली बांधो फ़ुफू जात और धर्म से ईसाई थी, लेकिन सुबह का नाश्ता, दोपहर का खाना, रात के भोजन का इंतजाम और ईद में इदी का पूरी आत्मीयता के साथ अलग बगल के मुसलमान परिवार के लोग कराते रहते थे.
आज 85 साल की उम्र में बांधो फूफु ने दुनिया को जब अलविदा कहा तो उस वक्त भी पड़ोस के मुसलमान उनकी खिदमत मे जुटे थे.मृतिका खैरन टोली मदरसा के बगल लगभग 70 साल से वही पर रही थी. आज जब उनकी मैय्यत हुई तो उसके कफ़न दफन का इंतज़ाम मोहम्मद सहजाद ऊर्फ राजन ,मोहम्मद वसीम ऊर्फ हीरु ,मोहम्मद तबरेज ऊर्फ मोटू और आस पास के लोगों ने पूरी शिद्दत से अंजाम दिया. ईसाई रीति रिवाज के अनुसार इनका अंतिम संस्कार किया गया.इस पूरे प्रकरण की चहुंओर भुरि भूरि प्रशंशा हो रही है.