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रांची/डेस्क: झारखंड सरकार की तीन महत्वकांक्षी योजनाओं का हाल इन दिनों बेहाल होता दिखाई दे रहा है. पेट्रोल सब्सिडी योजना से लेकर अबुआ आवास की बात करें और उसके बाद मईंया कल्याण योजना की तो लोक लुभावन जरुर कहे जा सकते हैं लेकिन सच यह है कि घोषणा के बाद योजना का दम निकल जा रहा है. बीजेपी इन तमाम योजनाओं को लेकर लगातार आक्रामक दिखाई दे रही है. बीजेपी का आरोप है कि गरीबों को कल्याण के नाम पर ठगा जा रहा है.एक नजर में आपको झारखंड की तीन महत्वकांक्षी योजनाओं का हाल दिखाते हैं.
पेट्रोल सब्सिडी योजना
झारखंड सरकार की योजनाओं का धरातल पर हाल बेहाल
पेट्रोल सब्सिडी योजना औंधे मुंह जमीन पर
25 रुपये प्रति लीटर पेट्रोल सब्सिडी योजना की हुई थी शुरुआत
26 जनवरी 2022 को दुमका से शुरु की गयी थी योजना
राष्ट्रीय स्तर पर दिया गया विज्ञापन, लाखों रुपये फूंके गए
केन्द्र सरकार पर लगे पेट्रोल के दाम बढ़ाने के आरोप
राज्य सरकार ने किया राहत का दावा जो निकला शगुफा
पोर्टल पर ही कैद रह गयी पेट्रोल सब्सिडी योजना
लोगों को नहीं मिली राहत
बजट और अनुपूरक बजट में पेट्रोल सब्सिडी योजना का जिक्र तक नहीं
कब हुई शुरु और अब क्या बंद हो गयी पेट्रोल सब्सिडी योजना
अबुआ आवास योजना
गरीबों को दिया जाना है अपना घर (अबुआ आवास)
20 लाख लोगों का सपना कब होगा घर अपना
मात्र 2 लाख रुपयों में लाभुकों को बनाना है 3 कमरों का पक्का मकान
2019 में चुनाव प्रचार में JMM का मुख्य मुद्दा था अबुआ आवास
सरकार बना लेने के 4 वर्षों के बाद 15 अगस्त 2023 में शुरु हुई योजना
वर्ष 2023-24 के बजट में जारी की गयी पहली किस्त
23 जनवरी 2024 को जारी की गयी पहली किस्त
पहली किस्त से अघुरे कमरे बना दूसरी किस्त का आज भी गरीब कर रहे इंतजार
2.5 लाख लोगों को अभी तक नहीं मिली पहली किस्त
2024-25 के बजट में जारी नहीं की गयी पहली किस्त
रुपये नहीं मिलने से एक भी आवास बनकर नहीं हुआ पूरा
मईंया सम्मान योजना
48 लाख महिलाओं को लाभ पहुंचाने का दावा
देश में नहीं हुई जनगणणा फिर कैसे निकाले अधिकारियों ने महिलाओं की संख्या
राज्य या केन्द्र सरकार के अनुबंधकर्मियों, संविदाकर्मी और मानदेयकर्मी हुए योजना से अयोग्य
राज्य में लाखों की संख्या में अनुबंधकर्मी, संविदाकर्मी और मानदेयकर्मी
तीनों ही वर्गों की गरीब महिलाओं की आशाओं पर फिर गया पानी
परिजनों तक को किया गया योजना के लाभ से बाहर
आंगनबाड़ी सेविका- सहायिका को आखिर कितना मिलता है वेतन
पारा शिक्षकों की हालत खस्ता, परिजनों पर भी टूटेगा आफत का पहाड़
सहायक पुलिसकर्मी, सचिवालय कर्मी समेत अन्य अनुबंधकर्मियों के घर की महिलाएं की जा रही नजरअंदाज
आयकर दाताओं के परिजनों को नहीं मिलेगा लाभ
शून्य (नील) रिटर्न फाइल करने वालों पर क्या लिया जाएगा निर्णय
ऑनलाइन के साथ साथ ऑफलाइन भरे जा रहे फार्म
कई जिलों में बिचौलिए हुए हावी, केवल फार्म भरने के वसूल रहे 500 से 1000
फार्म लेने के लिए महिलाएं कतार में, लेकिन साहब लोग रह रहे गायब
धानरोपणी छोड़ 4 दिन से महिलाएं लगा रहीं कार्यालयों के चक्कर
4 दिन में मजदूरी से हो जाती कम से कम 1200 रुपये कमाई
1000 के चक्कर में 1200 के नुकसान पर महिलाओं में भारी आक्रोश
इन तीनों योजनाओं का हाल देखने के बाद यह सहज कहा जा सकता है कि आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर थिंक टैंक के सूझावों पर अमल तो किया जा रहा है लेकिन इन योजनाओं से जनकल्याण अभी कोसों दूर है. वोट बैंक को बढ़ाने के लिए योजनाओं की लालसा में राजनीतिक दल केवल घोषणाओं का यह प्रयोग कर रहे हैं जिसके सफल होने की उम्मीद काफी कम है.