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रांची/डेस्क: भारत में आयोजित देशव्यापी औद्योगिक हड़ताल के तहत, हेवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन (एचईसी) के मजदूरों ने जबरदस्त एकजुटता का प्रदर्शन करते हुए हड़ताल को सफल बनाया. प्रबंधन की तमाम कोशिशों और दबाव के बावजूद मजदूर डटे रहे और अपनी ताकत का एहसास कराया.
एचईसी में सुबह 8 बजे से पहले ही निदेशक (उत्पादन) और निदेशक (कार्मिक) सीआईएसएफ जवानों के साथ कारखाने में मौजूद थे और मजदूरों से अंदर आने की अपील कर रहे थे. उन्होंने चेतावनी भी दी कि अनुपस्थित रहने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी. यहां तक कि दोपहर 2 बजे तक रिपोर्टिंग करने की चेतावनी दी गई, लेकिन अधिकांश मजदूरों ने इन दबावों को दरकिनार करते हुए हड़ताल में भाग लिया. रिपोर्ट्स के मुताबिक, लगभग 70% मजदूरों ने इस हड़ताल में हिस्सा लिया.
विशेष रूप से सप्लाई विभाग के मजदूरों की भूमिका अहम रही. उन्होंने आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाई, जिसके लिए हटिया मजदूर यूनियन ने उन्हें विशेष धन्यवाद दिया है. बारिश के बावजूद यूनियन ने प्रबंधन और सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की. मजदूरों ने चार श्रम संहिताओं को वापस लेने और श्रम कानूनों की रक्षा के लिए देश भर के साथियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर प्रदर्शन किया.
हटिया मजदूर यूनियन ने 2010 में सप्लाई मजदूरों के हित में जो समझौता किया था, उसे लागू कराने का आदेश पहले ही जारी हो चुका है. यूनियन ने स्पष्ट किया कि न तो उस समझौते को बदला जा सकता है और न ही काटा या मरोड़ा जा सकता है. मजदूरों का वेतन न केवल नहीं कटेगा, बल्कि ₹3,000 से ₹5,000 तक की बढ़ोतरी भी लागू होगी. इसके भुगतान की जिम्मेदारी एचईसी प्रबंधन की होगी, और किसी भी मजदूर की छुट्टी नहीं काटी जाएगी.
यूनियन की अगली प्राथमिकता:
अब यूनियन की अगली प्राथमिकता स्थायीकरण (Regularisation) की ओर बढ़ना है. यूनियन का कहना है कि यह मुद्दा जल्द ही उच्च स्तर पर उठाया जाएगा. हटिया मजदूर यूनियन (सीटू) के अध्यक्ष भवन सिंह ने बयान जारी कर कहा, “हमारे संघर्ष का उद्देश्य सिर्फ वर्तमान लाभ नहीं, बल्कि मजदूरों के अधिकारों और भविष्य की सुरक्षा सुनिश्चित करना है. सप्लाई मजदूरों के साथ मिलकर 2010 के ऐतिहासिक समझौते की रक्षा हमारी पहली जिम्मेदारी है.”
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