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झारखंड


हजारीबाग के इंटरनेशनल रामनवमी के शिल्पकारों की 106 वर्षो की अमर गाथा

लगातार 36 घंटे ताशे की धुन पर थिरकते रहते हैं रामभक्तो के पांव
हजारीबाग के इंटरनेशनल रामनवमी के शिल्पकारों की 106 वर्षो की अमर गाथा
प्रशांत शर्मा/न्यूज11 भारत

हजारीबाग/डेस्क: हजारीबाग की रामनवमी 106 वे वर्ष में प्रवेश कर गई है. आज हजारीबाग की रामनवमी इंटरनेशनल रामनवमी और वर्ल्ड फेमस रामनवमी के नाम से जानी जा रही है. पूरे चैत्र मास तक चलने वाले इस महापर्व ने हजारीबाग को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय क्षितिज पर लोकप्रिय बना दिया है. हजारीबाग के रामनवमी जुलूस के जन्मदाता स्वर्गीय गुरु सहाय ठाकुर ने सन् 1918 में अपने पांच साथियों के साथ पहला महावीरी झंडा निकाला था. उस समय गुरू सहाय ठाकुर की उम्र लगभग 24 - 25 वर्ष की रही थी. वे भगवान राम के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने चाहते थे. वे समाज में व्याप्त कुरीति को दूर करना चाहते थे. वे स्त्री शिक्षा के प्रबल पक्षधर थे. वे हिंदू समाज में नवजागरण लाना चाहते थे. इन्हीं पवित्र उद्देश्यों को लेकर गुरु सहाय ठाकुर ने भगवान राम के जन्मदिन पर जुलूस निकलने का संकल्प लिया था.

 

 गुरु सहाय ठाकुर के उक्त संकल्प को पूरा करने के लिए  प्रारंभ में हजारीबाग नगर के पांच विशिष्ट जन शामिल हुए थे. आगे चलकर ये पांच पांडव व पांच विशिष्ट जनों ने मिलकर जो कार्य किया. आज उसी का परिणाम है कि हजारीबाग की रामनवमी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी लोकप्रिय हो पाई है. हजारीबाग की रामनवमी को इंटरनेशनल रामनवमी बनाने में गुरु सहाय ठाकुर के साथ उनके पांच सहयोगियों का नाम अंकित नहीं करता हूं, तब शायद रामनवमी जुलूस की गौरव गाथा अधूरी रह जाएगी. 

 

1918 में पहला महावीरी झंडा के प्रणेता स्वर्गीय गुरू सहाय ठाकुर के साथ कंधा से कंधा मिलाकर चलने वाले लोगों में स्वर्गीय हीरालाल महाजन, स्वर्गीय  टीभर गोप, स्वर्गीय कन्हाई गोप, स्वर्गीय यदुनाथ बाबू , स्वर्गीय जटाधर बाबू शामिल थे. अगर गुरु साहब ठाकुर को अपने मित्रों का भरपूर सहयोग न मिला होता तब शायद आज रामनवमी की एक दूसरी तस्वीर ही हमारे सामने  होती. शुरुआती रामनवमी जुलूस के साथी रहे  हीरालाल महाजन हजारीबाग के जाने-माने एक व्यवसायी थे. व्यवसाय करते हुए हीरालाल महाजन समाज सेवा से भी  जुटे रहे थे. हीरालाल महाजन की राम के प्रति  बड़ी श्रद्धा रही थी. इनका आवास हजारीबाग नगर के मन रोड पर स्थित है. आज भी इनके वंशज व्यवसाय के अलावा नौकरी पेशा में जुड़ गए है. हीरालाल महाजन रामनवमी जुलूस को विस्तार देने  में अपनी महती भूमिका अदा की थी. हजारीबाग के रामनवमी को और भी आकर्षित बनाने के लिए इन्होंने पहली बार रामनवमी के जुलूस में एक हाथी को शामिल किया था. हाथी को बहुत ही अच्छे ढंग से सजाया था. वे खुद हाथी पर बैठकर रामनवमी जुलूस के झंडों के साथ नगर का भ्रमण किए थे. यह  एक अद्भुत जुलूस यात्रा थी. जिसे आज भी याद किया जाता है. हीरालाल महाजन एक संवेदनशील और मृदुभाषी व्यक्ति थे. रामनवमी के अवसर पर ये  फिर से युवा बन जाया करते थे. 

 

1918 में जब पहली बार हजारीबाग में महावीरी झंडा जुलूस निकल गई थी, तब  उनकी उम्र 29-30 साल की थी. हीरालाल महाजन अब हमारे बीच नहीं रहे. इसके बावजूद उन्हें हर रामनवमी पर याद किया जाता है. यदुनाथ बाबू हजारीबाग नगर के जाने-माने एक वकील थे. आज भी उनके वंशज में कई लोग वकील है. कई लोग नौकरी पेशा से जुड़े हुए है. आज उनके नाम पर यादो बाबू चौक बहुत ही लोकप्रिय है. यदुनाथ बाबू अपने  वकालत के पेशे के प्रति ईमानदार रहे थे. वे गुरु  सहाय ठाकुर से बहुत नजदीकी रूप से जुड़े हुए थे. वे गुरू सहाय ठाकुर के मित्रों में एक थे. जब गुरु सहाय ठाकुर ने उन्हें भगवान राम के जन्मदिन पर जुलूस निकालने के बाद कही थी, तब उन्होंने सहर्ष स्वीकार कर लिया था. आज हजारीबाग में  जो रामनवमी इतनी भव्य तरीके से मनाई जाती है. 36 घंटे तक जुलूस में शामिल लोगों के पैर लगातार थिरकते रहते है. जय श्री राम. जय श्री राम की जय घोष से पूरा शहर गुंजायमान हो उठता है. इस भव्यता को लाने में यदुनाथ बाबू के अवदान को कभी विस्मृत नहीं किया जा सकता है. यदुनाथ  बाबू भी श्री राम के एक अन्यन भक्त थे. रामनवमी जुलूस की प्रस्तुति और बेहतर से बेहतर  हो सके, इस निमित्त वे  अपने महत्वपूर्ण सुझावों को रामनवमी समिति के साथियों से दिया करते थे. आज उसी का परिणाम है कि रामनवमी का यह जुलूस इतना विस्तार पा सका है. 

 

टीभर गोप हजारीबाग के जाने-माने दूध के व्यवसायी थे. वे जाति से ग्वाला थे. गायों की बहुत ही मन से सेवा किया करते थे. इनका पुश्तैनी मकान हजारीबाग नगर के ग्वाल  टोली चौक पर स्थित है. आज  इनके वंशज के कुछ लोग अपने पारंपरिक दूध का कारोबार करते है. शेष लोग व्यवसाय एवं अन्य पेशे से जुड़े हुए है. टीभर गोप हजारीबाग के एक प्रसिद्ध दूध व्यवसायी के तौर पर जाने जाते थे. वे अखाड़ा के पहलवान भी थे. वे भगवान राम और हनुमान के पक्के भक्त थे. समाज सेवा के प्रति उनकी तत्परता देखी जाती थी. वे समाज सेवा के कार्यों  में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया करते थे. रामनवमी जुलूस के पहले सह यात्री थे. वे जब तक जीवित रहे थे. रामनवमी जुलूस में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते रहे थे. आज भी लोग टीभर गोप के लाठी भांजने की शैली को याद करते है. हजारीबाग की रामनवमी को इंटरनेशनल रामनवमी में तब्दील करने में टीभर गोप की अवदान को कभी विस्मृत नहीं किया जा सकता है. 

 

 जटाधर बाबू हजारीबाग के जाने-माने एक वकील थे. वे गुरु सहाय ठाकुर के अच्छे मित्र थे. वे दोनों बराबर कचहरी में मिला करते थे. दोनों के बीच काफी अच्छी मैत्री थी. जब गुरू सहाय ठाकुर ने चैत्र शुक्ल नवमी के दिन महावीरी झंडा निकालने का प्रस्ताव उनके समक्ष रखा था, तब  जटाधर बाबू ने तुरंत स्वीकार कर लिया था. जटाधर बाबू जब तक जीवित रहे थे ,रामनवमी के जुलूस को विस्तार देने में कोई कमी नहीं की थी. वे हमेशा रामनवमी जुलूस को विस्तार देने के लिए रामनवमी समिति की बैठकों में भाग लेते रहे थे. वे जीवन के अंतिम क्षणों तक रामनवमी जुलूस के विस्तार से जुड़े रहे थे. बसंती लाल जैन जो हजारीबाग बाडम बाजार के निवासी थे. वे व्यवसाय से जुड़े हुए थे. आज भी उनके परिवार के लोग व्यवसाय से जुड़े हुए है. कुछ लोग नौकरी पेशे से भी जुड़ गए है. बसंती लाल जैन जाति से जैन जरूर थे, लेकिन भगवान राम के पक्के भक्त थे. बसंती लाल जैन चाहते भी चाहते थे कि हिंदू समाज में नवजागरण आए. सामाजिक कुरीतियों मिटे. घर-घर में राम के संदेश पहुंचे. बसंती लाल जैन बहुत छोटे ही उम्र में रामनवमी जुलूस से जुड़ चुके थे. वे एक कार्यकर्ता के रूप में गुरु सहाय ठाकुर, हीरालाल महाजन आदि के साथ जुलूस में शामिल रहते थे. बाद के दिनों में बसंती लाल जैन जुलूस को विस्तार देने में निरंतर लगे रहे थे. स्वर्गीय बी.डी. जायसवाल  हजारीबाग के जाने-माने व्यवसायी थे. इनका पूरा नाम विश्वेश्वर प्रसाद जायसवाल है. रामनवमी के जुलूस को आगे बढ़ाने में इनके महती योगदान को कभी विस्मृत नहीं किया जा सकता है. आज उनके वंशज  व्यवसाय से जुड़े हुए है. उनका पौत्र मनीष जायसवाल हजारीबाग सदर के विधायक है. वे भी रामनवमी के जुलूस को विस्तार देने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे है. बी.डी. जयसवाल रामनवमी महासमिति की हर बैठकों में अपनी माहिती भूमिका अदा करते रहे थे. जब तक जीवित रहे थे. रामनवमी के जुलूस में शामिल होते रहे थे. हजारीबाग नगर के राम नारायण प्रसाद अधिवक्ता जो हजारीबाग नगर पालिका के अध्यक्ष भी रह चुके थे. वे  नगर के जाने-माने वकील  के साथ वरिष्ठ समाजसेवी के रूप में भी अपनी पहचान बनाने में सफल रहे थे. उन्होंने रामनवमी  जुलूस को विस्तार देने में  महती योगदान दिया था. 

 

गुरू सहाय ठाकुर, हीरालाल महाजन, टीभर गोप , यदुनाथ बाबू, कन्हाई गोप,  जटाधर बाबू के  निधन के पूर्व ही उस कालखंड के  नई युवा पीढ़ी सक्रिय हो गई थी. नई पीढ़ी के युवाओं के सामने आने से पुरानी पीढ़ी को उम्मीद जग गई थी कि ये नये लोग रामनवमी को विस्तार देने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. रामनवमी जुलूस को विस्तार देने में राम नगीना सिंह, तिलकधारी राम, राय जागेश्वर प्रसाद चौधरी, हरिहर प्रसाद, सरजू प्रसाद क्रौंच, हरिहर प्रसाद जायसवाल, बृजलाल जैन ,धरणीधर प्रसाद,  मुखा लाल खंडेलवाल, बाल गोविंद गोप, मदनलाल शर्मा , जुगल गोप, राजकुमार गुप्ता, रामेश्वर गुप्ता, अटल बिहारी घोष, राम सिंहासन बाबू, करमचंद लाल, दशरथ महतो, धनेश्वर लाल मुनीम, नागेश्वर प्रसाद वकील, जगदीश प्रसाद वकील,  सरजू राम वकील, लाल बिहारी लाल वकील, कालेश्वर प्रसाद वकील,  हरिहर राम , ज्ञानी राम, रामेश्वर प्रसाद, राधा राम मोहित, मिल्खा सिंह, अंगद सिंह, डॉ जगन्नाथ प्रसाद, नत्थू लाल अग्रवाल, गुलाबचंद अग्रवाल, ईश्वर दयाल राणा, पूरणमल, गंगा सहाय सैनी, शिवलाल सेठी, कर्मवीर आदि ने रामनवमी जुलूस को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था. आज ऐसे प्रतापी राम भक्तों की  मेहनत से ही हजारीबाग की रामनवमी इंटरनेशनल रामनवमी में तब्दील हो पाई है. 
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