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रांची/डेस्कः- रुद्राक्ष की बात करें तो इसका सीधी संबंध भगवान शिव से है. मान्यताओं के अनुसार रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसु से हुई थी. धार्मिक दृष्टिकोण के इसकी एक अलग महत्व है. इसका धारण लोग सावन में विशेष रुप से करते हैं. शास्त्रों में इसके कई फायदे गिनवाए गए हैं. कहते हैं कि भगवान शिव पर जिसकी कृपा होती है वही इसका धारण करते हैं. काशी के ज्योतिशाचार्य का कहना है कि रुद्राक्ष शरीर में कवच के रुप में काम करता है. सावन के दिन में इसे धारण करना और भी शुभ माना जाता है. इसे बेहद प्रभावशील माना जाता है. इसे पहनने से जीवन में एकाग्रता और उन्नति देखने को मिलती है. इससे किसी भी प्रकार का डर दुर हो जाता है. ज्योतिष के अनुसार जिनकी कुंडली में सूर्य कमजोर होती है उसे रुद्राक्ष धारण कर लेना चाहिए. आंखो के विकार, हड्डी संबंधित परेशानी व बीपी जैसी समस्या में यह काफी लाभकारी है. बेवजह जिन्हें हमेशा गुस्सा आता है उसे रुद्राक्ष धारण करना चाहिए. रुद्राक्ष नेगेटिव उर्जा को खत्म करने के लिए बेहद कारगर है. इसके अलावा पंडित मिश्रा ने बताया कि रुद्राक्ष कई ग्रहों के अंतर्दशा और महादशा में साकारात्मक प्रभाव डालता है. रुद्राक्ष ध्यान साधना में काम आता है. यह शरीर के चक्रों को संतुलन करता है. कई बीमारियों से भी दूर रखता है. प्रेशर व मानसिक तनाव से दूर रखता है. हर उम्र के लोग रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं. ऐसे तो शिव महापुराण ग्रंथ में कुल 16 प्रकार के रूद्राक्ष हैं और सभी के देवता, ग्रह, राशि एवं कार्य भी अलग-अलग हैं. पर 1 मुखी, 5 मुखी और 14 मुखी रुद्राक्ष सबसे ज्यादा उपयोग होता है.
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