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रांची/डेस्क: राजधानी रांची में करीब 400 करोड़ रुपये की लागत से NH-75 पर बने राज्य के पहले एलिवेटेड फ्लाईओवर का उद्घाटन 3 जुलाई को केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी करेंगे. फ्लाईओवर का निर्माण रातू रोड के ऊपर हुआ है, जो शहर में जाम की सबसे गंभीर समस्याओं में एक रहा है. इसके शुरू होने से आवागमन में बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है.
उद्घाटन से पहले सियासी गर्मी
उद्घाटन से पहले ही राजधानी रांची में राजनीतिक तापमान चरम पर है. शहर भर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ और भाजपा नेताओं के होर्डिंग्स और पोस्टर लगाए गए हैं. लेकिन इन प्रचार सामग्रियों में झारखंड के मुख्यमंत्री की तस्वीर गायब है, जिससे नया राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है.
JMM का भाजपा पर तीखा हमला
झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडेय ने इसे "ओछे दिल की राजनीति" करार देते हुए कहा, "कुछ दिन पहले जब मुख्यमंत्री ने सिरमटोली फ्लाईओवर का उद्घाटन किया था, हमने सभी दलों के नेताओं की तस्वीरें लगाई थीं. लेकिन यहां भाजपा ने जानबूझकर भेदभाव किया है."
भाजपा का पलटवार
JMM की आलोचना पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल सहदेव ने कहा, "हम पार्टी के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं चमका सकते. जो हमारा आयोजन है, उसमें हमारी प्राथमिकताएं होंगी."
नामकरण पर भी मचा घमासान
एलिवेटेड फ्लाईओवर के नामकरण को लेकर भी विवाद गहराता जा रहा है. JMM और कांग्रेस इस फ्लाईओवर का नाम 'दिशोम गुरु' शिबू सोरेन के नाम पर रखने की मांग कर रहे हैं. JMM के केंद्रीय महासचिव मिथिलेश ठाकुर ने कहा, "कई सामाजिक संगठन और जनता भी चाहती है कि इस पुल का नाम गुरुजी के नाम पर रखा जाए." वहीं, भाजपा इस फ्लाईओवर का नाम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखने के पक्ष में है. दूसरी ओर, कुछ सामाजिक व राजनीतिक संगठनों ने विनोद बिहारी महतो और कांग्रेस नेता ज्ञानरंजन के नाम की भी मांग उठाई है.
2022 में शुरू हुआ था निर्माण
यह फ्लाईओवर साल 2022 में शुरू हुआ था और इसे झारखंड का पहला एलिवेटेड रोड माना जा रहा है. इसके चालू हो जाने से रातू रोड, कोकर, और कांटाटोली जैसे इलाकों में जाम की समस्या काफी हद तक खत्म होने की उम्मीद है.
उद्घाटन से पहले बढ़ती बयानबाज़ी
जहां एक ओर सरकार और प्रशासन उद्घाटन की तैयारियों में जुटे हैं, वहीं दूसरी ओर नामकरण और पोस्टर विवाद को लेकर राजनीतिक दल आमने-सामने हैं. फ्लाईओवर का उद्घाटन अब सिर्फ एक बुनियादी सुविधा का उद्घाटन नहीं, बल्कि राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन और वर्चस्व की लड़ाई का प्रतीक बन गया है. बहरहाल, आम जनता की निगाहें इस बात पर हैं कि यह बहुप्रतीक्षित फ्लाईओवर उनकी रोज़मर्रा की जिंदगी को कितना आसान बना पाएगा.