न्यूज11 भारत
भारत/डेस्कः- गांजा कई देशों में लीगल है, लेकिन इससे इसका दुष्परिणाम में कमी नहीं आ सकता. भारत में 1985 में NDPS एक्ट के तहत चरस व गांजे पर प्रतिबंध लगाया गया है. गांजे का नशा लोगों को अलग अलग तरीके से प्रभावित करता है. इससे चिंता बेचैनी भी बढ़ती है. सोचने की क्षमता को भी प्रभावित करता है. हाल ही में एक प्रिवेंटिग मेडिसिन रिपोर्ट में पब्लिश एक स्टडी में बताया गया है कि जिन लोगों को गांजा के सेवन की आदत है ऐसे लोगों में 5 साल के अंदर ही मुंह का कैंसर, खास तौर पर होठ व जीभ का कैसर होने का कतरा 3 गुणा ज्यादा बढ़ जाता है. कैलिफोर्निया युनिवर्सिटी के 6 मेडिकल स्टोर्स के 45,000 से अधिक मरीज मेडिकल रिकार्ड के आधार पर स्टडी से अधिक और समय समय पर उपयोग किए जाने के डेटा को देखने के बाद ये बात सामने आई.
स्टडी कहती है ..
कैनबिस यूज डिसऑर्डर जिसे मरिजुआना की लत के बारे में भी जाना जाता है, इससे केवल कभी कभार मनोरंजन के लिए धुम्रपान करने से नहीं बल्कि यह बार बार होने वाले सेवन को दर्शाता है. एक स्टडी से पता चला है कि हफ्ते में 14 या फिर उससे अधिक ज्वाइंट पीने वाले लोग कैनबिस डिसआर्डर के शिकार होते हैं.
सीयूडी और ओरल कैंसर के बीच संबंध है
रिसर्च में 45,129 व्यस्कों को शामिल किया गया है. शुरुआत में जिनका मुंह का कैंसर नहीं था. 5 सालों में 949 वयस्कों में सीयूडी विकसित हुआ था और इनमें 0.74 प्रतिशत को आगे चलकर ओरल कैसंर हुआ है, वहीं सीयुडी में न होने वालों में ये केवल 0.23 प्रतिशत था.