प्रशासनिक उपेक्षा और संसाधनों की कमी के कारण यह विद्यालय गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा
प्रशांत शर्मा/न्यूज11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: इंदिरा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय राज्य में अपनी तरह का एकमात्र उत्कृष्ट संस्थान है, जिसे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और छात्राओं के सर्वांगीण विकास के लिए स्थापित किया गया था. हालांकि, प्रशासनिक उपेक्षा और संसाधनों की कमी के कारण यह विद्यालय गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है.
2011 से विद्यालय प्राचार्य विहीन है और फिलहाल एक प्रभारी के भरोसे चल रहा है. अभी वर्तमान में आरडीडी प्रभार में है. इसके परिणामस्वरूप विद्यालय की प्रशासनिक और शैक्षणिक गतिविधियों में आवश्यक नेतृत्व और दिशा का अभाव है.
विद्यालय के लिए आवश्यक शिक्षिकाओं की योग्यता व्याख्याता पद से भी अधिक निर्धारित की गई है, लेकिन कुल 27 शिक्षिकाओं के स्थान पर सिर्फ दो स्थायी शिक्षिकाएं ही कार्यरत हैं. यह शिक्षण कार्य में गंभीर बाधा उत्पन्न कर रहा है. बाहरी शिक्षिकाओं की अस्थायी नियुक्ति से समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है, क्योंकि वे विद्यालय के आंतरिक मामलों में कोई योगदान नहीं दे रही हैं. विद्यालय में स्थायी रसोईया का न होना भी एक गंभीर समस्या है. माली, चपरासी, और दरबान से रसोई का काम चलाया जा रहा है, जिससे पाकशाला की गुणवत्ता और छात्रों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.
पाठशाला प्रभारी की अनुपस्थिति भी इस स्थिति को और गंभीर बनाती है. विद्यालय में स्थित पांच आश्रम मात्र एक मेट्रोन के भरोसे चल रहे हैं, जिससे छात्राओं की देखरेख और सुरक्षा पर सवाल उठते हैं. यह स्थिति छात्राओं के समग्र विकास और सुरक्षा के लिए एक गंभीर चुनौती है. झारखंड सरकार की ओर से इस विद्यालय के प्रति उदासीनता स्पष्ट रूप से दिखाई देती है. शिक्षा के अधिकार और बालिकाओं के उत्थान के उद्देश्य से स्थापित इस विद्यालय की उपेक्षा न केवल शिक्षा व्यवस्था पर बल्कि समाज के विकास पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है.
सरकारी स्तर पर इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है, जिससे संस्थान के भविष्य पर प्रश्नचिह्न लग गया है. तत्काल रूप से विद्यालय में एक स्थायी प्राचार्य की नियुक्ति आवश्यक है, जो विद्यालय की दिशा और विकास के लिए आवश्यक कदम उठा सके.आवश्यकतानुसार योग्य शिक्षिकाओं की स्थायी नियुक्ति की जानी चाहिए, ताकि शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार हो सके. पाकशाला प्रभारी, स्थायी रसोईया, मेट्रोन और अन्य सहायक स्टाफ की भर्ती से विद्यालय के संचालन में सुधार आएगा और छात्राओं को बेहतर सुविधाएं मिल सकेंगी.
विद्यालय की वर्तमान स्थिति समाज के लिए एक चिंताजनक विषय है. समाज को सरकार पर दबाव डालना चाहिए ताकि इस विद्यालय को आवश्यक संसाधन और प्रशासनिक समर्थन मिल सके. शिक्षा के क्षेत्र में यह उपेक्षा राज्य के विकास में बाधक बन सकती है. हजारीबाग के इंदिरा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय की स्थिति प्रशासनिक लापरवाही और संसाधनों की कमी का प्रतीक है. इसे दूर करने के लिए सरकारी और सामाजिक स्तर पर तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है. यह विद्यालय राज्य में महिला शिक्षा और सशक्तिकरण का एक महत्वपूर्ण केंद्र है, और इसे उपेक्षित नहीं किया जाना चाहिए. जब तक प्रशासन इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाता, तब तक विद्यालय की प्रगति और छात्राओं का भविष्य अनिश्चित रहेगा.