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रांची/डेस्कः- पहलगाम हमले आपरेशन सिंदूर व भारत पाक के बीच तनाव के बाद सबसे ज्यादा कोई शख्स अगर चर्चा में हैं तो वो है भारत के विदेश सचिव विक्रम मिश्री. देश विदेश से जुड़ी हर तरह के अहम जानकारी वो खुद ही अपने प्रेस कांफ्रेंस में साझा कर रहे हैं. लेकिन बहुत कम ही को पता होगा कि इतने बड़े पद पर जिम्मेवारी लेकर बैठे विक्रम मिश्री की पढ़ाई झारखंड के जमशेदपुर से हुई है. बता दें कि विक्रम मिश्री का जन्म 1964 में श्रीनगर में हुआ था. स्कूली पढ़ाई उसने श्रीनगर, उधमपुर और ग्वालियर में की थी. दिल्ली युनिीवर्सिटी से उन्होने हिन्दी में ग्रेजुएशन किया फिर जमशेदपुर स्थित XLRI से उसने 1987 में एमबीए की पढ़ाई की. उसके बाद विक्रम 1989 में विदेश सेवा के लिए चुने गए. इस दौरान उन्होने वॉशिंगटन, इस्लामाबाद, ब्रसेल्स, ट्यूनिस और बीजिंग जैसे नामी देशों में अपना योगदान दिया. विक्रम मिश्री तीन प्रधानमंत्रियों के साथ काम कर चुके हैं. आई. के. गुजराल, डॉ. मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी के नीजि सचिव रह चुके हैं.
विदेश मंत्रालय की सबसे उंची पोस्ट
2019 से 21 के बीच विक्रम चीन में भारत के राजदूत के तौर पर कार्यरत थे और गलवान घाटी विवाद के समय चान से बात करने के लिए एक प्रमुख चेहरा थे. 15 जुलाई 2024 को विक्रम मिश्री भारत के 35वां विदेश सचिव नियुक्त किए गए थे. जो कि विदेश मंत्रालय की सबसे उंची पोस्ट होती है. विदेश सचिव का काम होता है दूसरे देशों से रिश्ता संभालना व कूटनीतिक फैसलों में अपना सलाह देना.
ये मिलती है सुविधांए
बता दें कि विदेश सचिव को हर महीने का वेतन 2 लाख रुपए से उपर होती है. इसके साथ ही सरकारी आवास वाहन सुरक्षा व डिप्लोमेटिक पासपोर्ट जैसी सुविधाएँ भी मिलती हैं. बतातें चलें कि विदेश सचिव बनने के लिए सबसे पहले आपको युपीएससी सिविल सेवा की परीक्षा पास करनी होती है. फिर भारतीय विदेश सेवा में चुने जाते हैं. कई वर्षों तक अलग अलग दूतावास मंत्रालयों में काम करने का अनुभव होना चाहिए फिर जाकर विदेश सचिव के पद पर काम करने को मिलता है. बता दें कि विदेश सचिव की नियुक्ति भारत सरकार की कैबिनेट नियुक्ति समिति द्वारा की जाती है. इसमें प्रधानमंत्री व गृहमंत्री शामिल होते हैं ये विदेश मंत्रालय का सबसे बड़ा प्रशासनिक पद होता है.