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रांची/डेस्क: राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स के ट्रॉमा सेंटर और सेंट्रल इमरजेंसी में वेंटिलेटर की भारी कमी मरीजों के लिए बड़ी समस्या बन गई हैं. यहां गंभीर हालत में लाए जा रहे मरीजों को समय पर वेंटिलेटर नहीं मिल पा रहा है, जिससे इलाज में देरी हो रही हैं. यह स्थिति लंबे समय से बनी हुई है, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल सका हैं.
रिम्स के ट्रॉमा सेंटर और इमरजेंसी में वेंटिलेटर की कमी से मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा हैं. इमरजेंसी वार्ड में कार्यरत डॉक्टरों की मानें तो वहां कुल 10 वेंटिलेटर है, जिनमें से सिर्फ 5 ही काम कर रहे हैं. बाकी पांच वेंटिलेटर तकनीकी खराबी के कारण बेकार पड़े हैं. यही नहीं, वेंटिलेटर की नियमित जांच और मरम्मत के लिए जरूरी वेंटिलेटर टेक्नीशियन की भी भारी कमी हैं. इससे खराब वेंटिलेटर समय पर ठीक नहीं हो पा रहे हैं. जूनियर डॉक्टरों ने बताया कि वेंटिलेटर की कमी के कारण मरीजों को बिना ऑक्सीजन के तड़पना पड़ता हैं. कई बार गंभीर मरीज को प्राथमिक उपचार भी नहीं मिल पाता, जिससे उनकी जान पर बन आती हैं. इसके अलावा मरीजों के परिजनों ने भी रिम्स प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया हैं. उनका कहना है कि इमरजेंसी वार्ड की हालत बेहद खराब हैं. ऐसे में गंभीर मरीजों को वेंटिलेटर न मिल पाना चिंताजनक हैं.
इस मामले में ट्रॉमा सेंटर के इंचार्ज डॉक्टर प्रदीप भट्टाचार्य ने वेंटिलेटर की कमी की बात मानी हैं. उन्होंने बताया कि झारखंड के दूरदराज इलाकों से रोजाना सैकड़ों मरीज इमरजेंसी में आते है लेकिन सीमित संसाधनों की वजह से सभी को वेंटिलेटर देना संभव नहीं हो पाता. हालांकि खराब वेंटिलेटर को दुरुस्त करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी हैं. उन्होंने बताया कि मरम्मत के लिए जरूरी फाइल आगे भेज दी गई है और जल्द ही उसे अप्रूवल मिलने की उम्मीद हैं. जैसे ही यह प्रक्रिया पूरी होगी, कम से कम 12 वेंटिलेटर फिर से चालू हो जाएंगे. फिलहाल मरीजों की संख्या ज्यादा और संसाधन कम होने से डॉक्टरों को इलाज करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा हैं. अब देखना यह है कि रिम्स प्रबंधन कब तक इस गंभीर समस्या का समाधान करता हैं.