प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: जिले के टाटीझरिया स्थित दूधमटिया जंगल से दुनिया भर में वृक्षों का बंधन यानी वृक्षाबंधन की शुरुआत की गई थी. शिक्षक महादेव महती, सुरेंद्र प्रसाद सिंह, बद्री महतो, इंदु महती, योधी प्रसाद यादव, कमल प्रसाद मेहता, छकन गोप, मूलचंद ठाकुर, अमृत महतो समेत अन्य लोगों ने 7 अक्टूबर 1995 को वृक्षों को बचाने के लिए संकल्प लिया था. हर साल 7 अक्टूबर के दिन वृक्षाबंधन कार्यक्रम किया जाता हैं. लोग वृक्ष लगाने और उसे बचाने का संकल्प लेते हैं. जहां कभी गिनती के पेड़ बचे थे, वहां आज लाखों वृक्ष खड़े हैं. जो अन्य लोगों को संदेश भी दे रहा है कि हमें बचाओ हम तुम्हें जीवन देगे.
दूधमटिया मॉडल के तर्ज पर 1200 से अधिक गांव में वृक्षानंधन कार्यक्रम, बढ़ा जंगलों का दायरा वृक्षाबंधन को पूजा से जोड़ा गया. लोगों को बताया गया कि वृक्ष हमारे जीवन में कितना महत्वपूर्ण हैं. 7 अक्टूबर को हजारों की संख्या में लोग पहुंचते हैं. इस मौके पर पेड़ न काटेंगे और न काटने देंगे का संकल्प लिया जाता हैं. कई लोग दूसरे राज्य से भी यहां पर पहुंचे और पेड़ कैसे बचाया जाए ये जानकारी लेते हैं. हजारीबाग के अलावा पूरे झारखंड की बात की जाए तो 1200 से अधिक गांवों में वृक्षाबंधन कार्यक्रम इन दिनों चल रहा हैं. जिसकी शुरुआत इसी दूधमटिया जंगल से हुई हैं. दूधमटिया के ही तर्ज पर हजारीबाग पूर्वी वन प्रमंडल क्षेत्र में विभिन्न 38 स्थानों होलंग, भेलवारा, रमुआ, कुसुम्भा, चलनिया, दिगवार, खुरंडीह, मंदरामी, सरौनी खुर्द, बभनवे, केसुरा, मयूरनचवा बन्हें, टुकटुको आदि में भिन्न भित्र तारीखों को वृक्षाबंधन कर पेड़ बचाने का संकल्प लिया जाता हैं. इसके अलावा कोडरमा वन प्रमंडल, धनबाद वन प्रमंडल, रांची वन्य प्राणी प्रमंडल समेत अन्य के वन समितियों ने भी वृक्षाबंधन कार्यक्रम को अपना कर अपने वनों को प्रभावी रूप से संरक्षित करने में सफलता हासिल की हैं.
दूधमटिया पर्यावरण मेले के वर्षगांठ के एक दिन पहले हर साल हजारीबाग से पर्यावरण संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए साइकिल रैली यहां पहुंचती हैं. 25 किमी की दूरी के दौरान नुक्कड़ नाटक व गीत संगीत के माध्यम से लोगों को वन बचाने का संदेश दिया जाता हैं. डहरभंगा की महिलाएं हर वर्ष वनदेवी की गीत गाते हुए गांव गांव भिक्षाटन करती है और लोगों को जंगाल बचाने का संदेश देते हैं.