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रांची/डेस्क: हिन्दू धर्म शास्त्रों में धनतेरस के पर्व को बहुत ही पावन पर्व माना जाता है. इस दिन से ही दिवाली के महोत्सव की शुरुआत होती है. हर साल धनतेरस पर अलग-अलग संयोग बनते हैं उनका महत्व भी व्यक्ति के जीवन में अलग होता है.
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, धनतेरस का त्योहार कार्तिक महीने में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को पड़ता है. इस दिन को बहुत ही शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि वे सोना, चांदी, बर्तन और यहां तक कि गैजेट्स की खरीदारी करना शुभ मानते हैं. इस दिन खरीदारी करने के पीछे मान्यता है कि इस दिन ऐसी चीजें खरीदने से घर में सौभाग्य और देवी लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है. इस बार धनतेरस का पर्व 29 अक्टूबर यानी आज मनाया जा रहा है. जानिए धनतेरस का शुभ मुहूर्त और महत्व.
धनतेरस 2024 शुभ मुहूर्त
अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11.48 बजे से 12:32 बजे तक
चर (सामान्य) - सुबह 09:18 - सुबह 10.41
लाभ (उन्नति) - सुबह 10.41 - दोपहर 12.05
अमृत (सर्वोत्तम) - दोपहर 12.05 - दोपहर 01.28
लाभ (उन्नति) - रात 7.15 - रात 08.51
धनतेरस का महत्व
धनतेरस को धनत्रयोदशी के रूप में भी जाना जाता है, जो पांच दिनों तक चलने वाले दिवाली उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है. माना जाता है कि भगवान कुबेर, देवी लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन के दौरान इसी दिन समुद्र से बाहर आए थे. इसलिए इस दिन तीनों देवताओं की पूजा की जाती है. इसके साथ ही इस दिन खरीदारी करना भी शुभ माना जाता है.
एक पौराणिक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन भगवान धनवंतरी अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे. धनवंतरी जी को भगवान विष्णु के ही अवतार के रूप में भी पूजा जाता है. ऐसी मान्यता है कि दुनिया में चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए भगवान विष्णु ने धनवंतरी जी के रूप में अवतार लिया था. भगवान धनवंतरी के प्रकट होने के उपलक्ष्य में ही धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है.
शास्त्रों में भी धनतेरस त्योहार का विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन धन्वंतरि देव, लक्ष्मी जी और कुबेर देव की पूजा अर्चना का विधान है. साथ ही, इस दिन सोना, चांदी और बर्तन खरीदना बहुत ही शुभ माना जाता है. इसके साथ ही यह भी मान्यता है कि इसी दिन घर में नया झाड़ू भी लाना चाहिए.