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रांची/डेस्क: 13 नवंबर को झारखंड में पहले चरण का मतदान होना है. सभी राजनीतिक दलों ने अपनी पूरी ताकत लगा दी है. वहीं, अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित लोहरदगा सीट पर करीब 40 साल तक कांग्रेस का कब्जा रहा है. बीजेपी व आजसू की 17 साल रही है. इस बार के चुनाव में भी आजसू व कांग्रेस की सीधी टक्कर है. कांग्रेस ने इस सीट से रामेश्वर उरांव को टिकट दिया है. वहीं, आजसू ने नीरू शांति भगत को अपना उम्मीदवार बनाया है.
लोहरदगा विधानसभा सीट से कई दिग्गज आदिवासी नेता जीत हासिल करते रहे हैं. 1967 से 1995 तक इस सीट पर 28 सालों तक कांग्रेस का कब्जा रहा है. वर्ष 1995 में पहली बार बीजेपी ने कांग्रेस को यहां शिकस्त दी थी. 2017 में हुए उपचुनाव में एक बार फिर कांग्रेस ने इस सीट पर बाजी मार ली थी. इसके बाद से ही इस सीट पर कांग्रेस परचम लहराती रही है. लोहरदगा हॉट सीट इसलिए मानी जाती है क्योंकि अब तक मात्र 9 लोगों को ही इस सीट से विधायक बनाने का मौका मिला है. इनमें से 4 विधायक मंत्री भी रहे हैं. इस सीट से इंद्रनाथ भगत और बिहार लकड़ा बिहार मंत्रिमंडल के सदस्य रहे थे. वहीं झारखंड अलग राज्य के गठन के बाद सधनू भगत और डॉ. रामेश्वर उरांव को मंत्री बनने का मौका मिला.
बता दें कि, कार्तिक उरांव जैसे बड़े आदिवासी नेता लोहरदगा लोकसभा सीट से तीन बार सांसद रहे हैं. पर फिर भी इस विधानसभा सीट पर आदिवासियों की स्थिति कुछ खास अच्छी नहीं है. बेरोजगारी, पलायन, उच्च और तकनीकी शिक्षा, बेहतर मेडिकल सुविधा यहाँ के बड़े मुद्दों में शामिल है. लोहरदगा विधानसभा क्षेत्र में कुल 2,87,145 मतदाता हैं, जिनमें महिला मतदाताओं की संख्या अधिक है.