प्रशांत शर्मा/न्यूज11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: जब कभी आप हजारीबाग नया बस स्टैंडवा से मिशन स्कूल की ओर जायेंगे. मिशन कोलेजियट स्कूल, मिशन अस्पताल वाले रास्ते में दाहिनी ओर एक खंढहर नूमा बंगला नजर आएगा. इस खंडहर नुमा बंगले का नाम "ब्रदरवुड हाऊस" है. किसी जमाने में यहाँ भारत भर से पहुंचे एक से एक विद्वान लोगो का निवास स्थान होता था. जब अंग्रेज भारत मे अपने साम्राज्य का विस्तार करने के लिए सम्पूर्ण भारत में अपनी शिक्षा नीति का जाल फैला रहे थे. उस समय हजारीबाग शहर भी इससे अछूता नहीं रहा था.
पुराने लोग बताते है 1891 में जब डबलिन मिशन ने हजारीबाग में अपना कदम रखा. उसके चार साल के भीतर हजारीबाग में कोलम्बस स्कूल, कोलम्बस कोलेज, मिशन अस्पताल और एलिजाबेथ स्कूल समेत बस स्टैंड के पास एक गिरजाघर की भी स्थापना की. उनके सामने सबसे बडा समस्या थी कि उतने टीचर, प्रोफेसर, नर्स आर डाक्टर के समूह को आखिर कहां ठहराया जाए. दूर-दूर से पढ़ने आए स्टूडेंट का ठौर ठिकाना कह बनाया जाए.
फलस्वरूप 1896 में मिशन स्कूल कैंपस मे ब्रदरवुड हाउस का निर्माण किया गया. इसी ब्राइटरवुड हाउस में सबों का आशियाना बनाया गया. इसी ब्रदरवुड हाउस में रहकर सबों ने हजारीबाग मे गरीब गुरबा की मदद और लोगो को शिक्षित करना जारी रखा. हजारीबाग के ऐतिहासिक मार्खम कालेज के संस्थापक ए.एफ. मार्खम भी रहे. उनके द्वारा स्थापित लाईब्रेरी के अवशेष यहाँ आज भी दिखते है. आज सरकारी उदासीनता के कारण आज हजारीबाग की यह ऐतिहासिक धरोहर दम तोड चुकी है।अभी इसके रख रखाव का जिम्मा बस स्टैंड के पास वाले गिरजाघर के मुख्य पादरी के पास है.