प्रशांत शर्मा/न्यूज 11 भारत
हजारीबाग/डेस्कः हजारीबाग के जंगल में गर्मी में आग लगने से हर साल करीब 50 हेक्टेयर जंगल जल जाते हैं. इससे बड़े पैमाने पर वन संपदा तबहा हो रहे हैं. इसमें से कई ऐसे पौधे हैं जो विलुप्त के कगार पर हैं. हजारीबाग जिले के वन क्षेत्रों को आग लगने से बचाने के लिए कोई कारगर व्यवस्था नहीं है. हालांकि पिछले वर्ष वन विभाग ने आग पर नियंत्रण करने के लिए कुछ उपकरण की खरीदारी हुई थी. यह उपकरण समतली वन क्षेत्रों में प्रयोग किया जा सकता है. मगर विषम भौगोलिक परिस्थिति में उपकरण कारगर साबित नहीं होंगे. हजारीबाग के अधिकतर जंगल पठारी और उबड़-खाबड़ हैं. जंगल के बीच से नाले और नदी गुजरी हुई है. इन दुर्गम क्षेत्रों में आग को नियंत्रित करने के लिए वन विभाग के पास कोई संसाधन नहीं है.
फायर वाचर मात्र आठ से दस
हजारीबाग पूर्वी प्रमंडल का वन क्षेत्र 64222 हेक्टेयर में है. इसमें सुरक्षित वन भूमि 61423.09 हेक्टेयर और रिजर्व फोरेस्ट 2798.93 हेक्टेयर है. आग लगने पर देखरेख के लिए वन विभाग की ओर से आठ से दस फायर वाचर के रूप में कार्यरत है. इतने बड़े क्षेत्र में मात्र आठ से दस मानव बल नाकाफी साबित होते हैं. एक फायर वाचर के जिम्मे करीब 650 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र बचाने का है.
अग्निशमन के लिए उपलब्ध संसाधन
हजारीबाग पूर्वी वन प्रमंडल में जंगलों में लगे आग को नियंत्रण करने के लिए आठ लीफ ब्लोवर, 12 ग्लबस, 12 हेलमेट, 12 फायर सेफ्टी शू, 12 फ्लैश लाइट, 12 फायर प्रोटेक्शन किट, चार झाड़ी काटने के लिए औजार शामिल है. हजारीबाग वन प्रमंडल में 107 वनरक्षी का पद सृजित है. इसमें मात्र 41 वनरक्षी ही कार्यरत है. कुछ सालों में जंगलों में आग लगने की घटना में बढ़ोतरी हुई है.
तीन सालों में 301 आगजनी की घटना
हजारीबाग पूर्वी वन क्षेत्र में पिछले तीन सालों में सरकारी आंकड़ों के अनुसार 301 आगजनी की घटना घटी है. आंकड़ों से कहीं अधिक जंगलों में आग लगने की घटना घटी है. जंगलों में आग के लिए निगरानी भारत सरकार के फोरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया से भी सेटेलाइट के माध्यम से किया जाता है. वर्ष 2021-22 में जंगल में आग लगने के 77 घटना में 16.98 हेक्टेयर जंगल जल गया. इसी तरह वर्ष 2022-23 में आग लगने की 92 घटना में 46.14 हेक्टेयर और वर्ष 2023-2024 में 132 घटनाओं में 4.545 हेक्टेयर जंगल जला है.
वन अग्निशमन दल निहत्था
हजारीबाग पूर्वी वन प्रमंडल में अग्निशमन दल के नाम पर कोई विशेष टीम नहीं है. यह काम वन विभाग के वनरक्षी और वन समिति के माध्यम से किया जाता है. प्रत्येक साल हजारीबाग के जंगलों में 100 से 150 जंगलों में आग लगने की घटनाएं होती हैं. इस आग को नियंत्रण करने के लिए वन विभाग के पास कोई रेपिडेक्शन टीम नहीं है.
गर्मी के दिनों में जंगल में आग लगने के कई कारण
हजारीबाग के जंगलों में पिछले कुछ सालों में मानव आबादी का दबाव बढ़ा है. जंगल क्षेत्र में महुआ चुनने के लिए लोग सूखे पतों में आग लगा देते है. इसके अलावा युवकों द्वारा जंगल घूमने के दौरान धूमपान करते समय भी आग लगते हैं. जंगलों में पिकनिक मनाने के दौरान लोग खाना बनाने के लिए बनाये गये चूल्हे को बिना बुझाये चले जाते हैं. पिछले दिनों गांव वाले जंगली हाथियों से बचने के लिए भी जंगल में आग लगा दिये थे. पूर्वी वन प्रमंडल के डीएफओ सौरभ चंद्रा ने कहा कि पिछले साल पूर्वी वन प्रमंडल द्वारा आग की रोकथाम के लिए कई उपकरण की खरीदारी की गयी है. इसके उपयोग से वनों में लगे आग पर नियंत्रण किया जा रहा है. साथ ही वन प्रमंडल क्षेत्र के 395 वन समितियों को जंगल को आग से बचने को लेकर जागरूकता कार्यक्रम चलाया जा रहा है. हजारीबाग में जंगली फायर सीजन के रूप में 15 फरवरी से लेकर 15 जून तक माना जाता है. इन समय अवधि में जंगलों में खूब आग धधकते हैं. आग पर नियत्रंण करने के लिए वन विभाग के पास एक से दो लाख रुपये विभाग की ओर से मिलता है.